Monday, February 8, 2010

नक्सल प्रभावित राज्यों में डटेंगे एक लाख जवान


नई दिल्ली . सीमा पार से संचालित आंतकवाद और पूर्वोत्तर के उग्रवाद पर लगाम लगाने की सुरक्षा एजेंसियों की उपलब्धियों को बेलगाम नक्सलियों ने धो डाला है। यही वजह रही कि नक्सलियों के खिलाफ बड़े अभियान की तैयारी शुरू हुई है।

संकेत हैं कि नक्सल प्रभावित राज्यों में इस माह के आखिर तक अ‌र्द्धसैनिक बलों के एक लाख से ज्यादा जवान तैनात हो जाएंगे। रविवार को आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में भी सबसे ज्यादा चर्चा आतंकवाद और उग्रवाद पर भी हुई। सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नक्सली हिंसा को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा करार दिया, तो गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि राज्यों के साथ मिल कर नक्सलियों को करारा जवाब दिया जाएगा।

यह बात अलग है कि नक्सलियों ने बंद के दौरान बिहार में रेल पटरी उड़ा कर और उड़ीसा में मुखबिर की हत्या कर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन को सलामी भेजी है।

सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में नक्सली हिंसा में ज्यादा जान-माल के नुकसान पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने मुख्यमंत्रियों से सामूहिक रूप से नक्सलियों से निपटने के उपायों पर विचार करने और उन पर तेजी से अमल करने को कहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस अभियान में यह ध्यान रखना जरूरी है कि पिछड़े, खास तौर से आदिवासी क्षेत्रों के लोग खुद को अलग-थलग महसूस न करने पाएं। इसके लिए राज्य सरकारें कार्रवाई के साथ-साथ आदिवासी इलाकों के विकास को अपनी प्राथमिकता पर रखें।

प्रधानमंत्री से पहले गृह मंत्री ने पूरे साल हुए नक्सली उत्पात का ब्यौरा दिया। पिछले साल आतंकी व पूर्वोत्तर की उग्रवादी हिंसा की तुलना में दोगुने से ज्यादा लोग नक्सली हिंसा में मारे गए। इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में सुरक्षा बलों ने भारी पैमाने पर आतंकियों व उग्रवादियों को मार गिराया। दूसरी तरफ नक्सली हर लिहाज से सुरक्षा बलों पर भारी पड़े। नक्सली कम मारे गए और उनकी तुलना में आम आदमी तो छोड़िए, ज्यादा संख्या में सुरक्षाकर्मियों को ही जान गंवानी पड़ी।

चिदंबरम ने याद दिलाया कि केंद्र ने माओवादियों से हिंसा त्यागने और बातचीत की अपील की थी। मगर माओवादियों ने हमारे प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इसलिए, हमने मुख्यमंत्रियों से विमर्श के बाद नक्सलवाद से सख्ती से निपटने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री ने भी पूरी तरह गृह मंत्री की पीठ पर हाथ रखा।

गृह मंत्री ने आशंका जताई कि अपने खिलाफ कार्रवाई को पटरी से उतारने के लिए इस साल भी नक्सली हिंसा होगी। जिस समय वह यह बात कर रहे थे, उसी समय बिहार के जमुई जिले में रेल ट्रैक उड़ा कर नक्सली कहर भी बरसा रहे थे।

चिदंबरम ने भरोसा जताया कि अगले कुछ समय में राज्य सरकारें नक्सल प्रभावित राज्यों में राज्य का शासन स्थापित कर सकेंगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने पूरी मदद का आश्वासन दिया है। सूत्रों के मुताबिक, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में एक लाख से ज्यादा अ‌र्द्धसैनिक जवानों की तैनाती इस माह के आखिर तक करने का आश्वासन भी केंद्र ने दिया है। फिलहाल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 60 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं।
(जागरण से साभार)

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