Wednesday, February 24, 2010

केंद्र को कोई शर्त मंजूर नहीं - नक्सली नेता का शांति प्रस्ताव

नई दुनिया की रपट
उधर शांति की बात, इधर हिंसा इस बीच, हिंसा छोड़ने के प्रस्ताव के ठीक उलट पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले के काँटापहाड़ी क्षेत्र में माओवादियों ने सुरक्षा बलों के शिविर पर हमला बोल दिया। माओवादी समर्थक पीसीपीए के सदस्यों और कुछ माओवादियों ने सुरक्षा बलों के शिविर पर अंधाधुँध गोलीबारी की। इस कार्रवाई का सुरक्षा बलों ने करारा जवाब दिया और उनके एक सदस्य को मार गिराया।
बस्तर में २५ को हथियार डालेंगे !
बस्तर में सक्रिय नक्सली संगठन भाकपा माओवादी दक्षिण बस्तर ब्यूरो के रीजनल सेक्रेटरी रमन्ना ने २५ फरवरी से हथियार डालने का ऐलान किया है। इसके बदले में उन्होंने सरकार के सामने कुछ शर्त भी रखी है। नक्सली कमांडर ने फोन पर "नईदुनिया" से कहा कि अब सरकार क्या करती है, उस पर शांति की प्रक्रिया निर्भर होगी। उन्होंने कहा कि किशनजी के बयान से बस्तर के नक्सली सहमत हैं। रमन्ना ने कहा कि उनकी पहल पर सरकार को सकारात्मक ヒख अपनाते हुए शांति का माहौल बनाने की कोशिश करनी चाहिए जिससे बातचीत शुरू हो सके। उन्होंने कहा कि सरकार को आपरेशन ग्रीन हंट बंद करना चाहिए व जेलों में बंद नक्सली नेताओं की निःशर्त रिहाई कर देनी चाहिए। बेगुनाह आदिवासियों की हत्या सरकार बंद करे।
पुलिस सतर्करायपुर (निप्र)। नक्सलियों के युद्धविराम और शांतिवार्ता के प्रस्ताव पर राज्य पुलिस के कान खड़े हो गए हैं। पूर्व अनुभवों के आधार पर राज्य पुलिस के वरिष्ठ अफसर इसे नक्सलियों की चाल मान रहे हैं। पुलिस के रणनीतिकार नक्सलियों के इस पैंतरे की वजह तलाश रहे हैं। नक्सली क्षेत्रों में तैनात अफसरों और जवानों के साथ पुलिस ने अपने मुखबिरों को भी चौकन्ना कर दिया है। इसके बावजूद आगे की रणनीति के लिए निगाहें केंद्रीय गृहमंत्री पी। चिदंबरम और केंद्र सरकार पर टिकी है। -
केंद्र करे बात - मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़
मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का कहना है कि नक्सलियों से केंद्र सरकार को बातचीत करनी चाहिए। राज्य सरकारें उनसे अलग-अलग बातचीत कर समस्या का समाधान नहीं कर सकतीं। मंगलवार को विधानसभा परिसर में पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि नक्सलियों की सशर्त बातचीत की पेशकश मंजूर नहीं की जानी चाहिए। डॉ. सिंह के मुताबिक पश्चिम बंगाल से किसी नक्सली नेता ने एसएमएस भेज कर बातचीत की पेशकश की है। बातचीत का यह तरीका उचित नहीं है।उधर शांति की बात, इधर हिंसा इस बीच, हिंसा छोड़ने के प्रस्ताव के ठीक उलट पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले के काँटापहाड़ी क्षेत्र में माओवादियों ने सुरक्षा बलों के शिविर पर हमला बोल दिया। माओवादी समर्थक पीसीपीए के सदस्यों और कुछ माओवादियों ने सुरक्षा बलों के शिविर पर अंधाधुँध गोलीबारी की। इस कार्रवाई का सुरक्षा बलों ने करारा जवाब दिया और उनके एक सदस्य को मार गिराया।
नक्सली अपना प्रस्ताव फैक्स करें
दिल्ली (प्रे)। माओवादियों द्वारा की गई संघर्ष विराम की घोषणा के बाद सरकार ने मंगलवार को स्पष्ट कर दिया कि वार्ता हेतु उसे कोई शर्त मंजूर नहीं है। केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने सरकार का यह रुख स्पष्ट करते हुए कहा- हम माओवादियों से संक्षिप्त और सीधा बयान चाहते हैं कि वे हिंसा छोड़ने को तैयार हैं। उसमें किसी किंतु, परंतु की गुंजाइश नहीं है। वे अपना यह बयान ०११-२३०९३१५५ नंबर पर फैक्स कर सकते हैं। बयान मिलने के बाद मैं प्रधानमंत्री अन्य साथियों के साथ चर्चा कर जवाब दे सकूँगा। लेकिन सोमवार रात ७२ दिन के सशर्त संघर्ष विराम की घोषणा के अगले ही दिन मंगलवार को माओवादियों ने प. बंगाल में सुरक्षा बलों के एक शिविर पर हमला बोला और आंध्रप्रदेश में बीएसएनएल के कंट्रोल रूम में आग लगा दी।- केंद्रीय गृहमंत्री पी। चिदंबरम ने कहा- माओवादी नेता किशनजी जो कह रहे हैं, ऐसी शर्तें नहीं चलेंगी। सरकार ने भाकपा (माओवादी) नेताओं के कई बयान देखे हैं। इसमें प्रामाणिकता नहीं है।किशनजी ने भी दिया नंबर : माओवादी नेता किशनजी ने भी मंगलवार रात अज्ञात स्थान से प्रेट्र को फोन पर कहा- केंद्रीय गृह मंत्रालय को पहल करते हुए संघर्ष विराम की घोषणा करनी चाहिए तथा इसके लिए मीडिया में एक लिखित बयान जारी करना होगा। उस बयान की पड़ताल के बाद हम अपना जवाब प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को फैक्स कर देंगे। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम २५ फरवरी को शाम ५ बजे ९७३४६-९५७८९ नंबर पर कॉल कर सकते हैं। हम उनके कॉल का जवाब देंगे।
आंध्र में भी हिंसा
माओवादियों की ओर से हिंसा का मार्ग छोड़ने का प्रस्ताव खोखला दिखाई देता है। माओवादियों ने सोमवार रात आंध्रप्रदेश में विशाखापट्टनम जिले के पेड्डाबैलूर गाँव में बीएसएनएल का कंट्रोल रूम फूँक दिया। इस घटना को एक महिला सहित तीन माओवादियों ने अंजाम दिया।
समर्पण के बाद वार्ता - भाजपा
माओवादियों के प्रस्ताव पर भाजपा ने कहा कि पार्टी उनके साथ वार्ता के पक्ष में है, लेकिन ऐसा करने से पहले उनसे हथियार डलवाना जाना चाहिए। पार्टी के अनुसार आंध्र में पिछली बार माओवादियों के साथ संघर्ष विराम के बाद वार्ता की पहल के नतीजे अच्छे नहीं रहे थे।
हिंसा रोके बिना वार्ता नहीं
उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा है कि जब तक माओवादी संगठन हिंसा नहीं छोड़ देते, उनके साथ वार्ता नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वार्ता के पहले माओवादियों से समर्पण कराया जाना चाहिए।वार्ता की मेज पर आएँ दोनों पक्ष : वामदल समर्थक आरएसपी और फॉरवर्ड ब्लॉक ने माओवादियों के प्रस्ताव पर केंद्र की कड़ी प्रतिक्रिया के मद्देनजर कहा कि दोनों पक्षों को एक-दूसरे के खिलाफ हथियार रोककर वार्ता की मेज पर आना चाहिए।
प्रस्ताव पर ...
राज्य पुलिस के अफसर फिलहाल इस प्रस्ताव पर आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहना चाह रहे हैं, लेकिन राय व्यक्त कर रहे हैं कि नक्सलियों ने यह प्रस्ताव संयुक्त अभियान के दबाव में दिया है। सूत्र कहते हैं कि पहले ऑपरेशन ग्रीन हंट और उसके बाद शुरू हुए संयुक्त अभियान से राज्य में नक्सलियों को झटका लगा है। यह स्थिति तब है जब संयुक्त अभियान छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और उड़ीसा में चल रहा है। अब इसका विस्तार झारखंड, बिहार व प।बंगाल सहित अन्य राज्यों में किया जाना है। पुलिस के रणनीतिकारों के अनुसार नक्सली फिलहाल हमला झेलने की स्थिति में नहीं हैं। इसी वजह से उन्होंने युद्ध विराम का प्रस्ताव रखा है। अफसरों के अनुसार ग्रीन हंट और संयुक्त अभियान शुरू होने से पहले नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में वार्ता की इच्छा जाहिर की थी। इस प्रस्ताव के चक्कर में उन्होंने सरकार और सुरक्षाबलों को करीब महीनेभर तक उलझाए रखा। इस दौरान उन्होंने सुरक्षाबलों और सरकार के खिलाफ जमकर दुष्प्रचार किया। इसके बाद अचानक खामोश हो गए। संभवाना है कि इस बार भी नक्सली केंद्र और राज्य सरकार को उलझाने की कोशिश में हों। सूत्रों के अनुसार नक्सली कार्रवाई की तैयारी की आशंका को देखते हुए राज्य पुलिस ने प्रभावित क्षेत्रों के सभी एसपी को पूरी तरह सतर्क रहने का निर्देश दिया है। अफसरों ने कहा कि नक्सलियों ने केंद्र सरकार को वार्ता का प्रस्ताव भेजा है और इस मामले पर केंद्रीय गृहमंत्री श्री चिदंबरम स्वयं नजर रखे हुए हैं। इसकी वजह से इस मामले में जल्दबाजी में कुछ कहना ठीक नहीं होगा। आगे की रणनीति तय करने से पहले केंद्र सरकार के ヒख को भी ध्यान में रखना पड़ेगा।
आंध्रप्रदेश में भी हुई थी कोशिश
पुलिस अफसरों के अनुसार नक्सलियों के सफाए के लिए आंध्रप्रदेश में चलाए गए अभियान के दौरान भी युद्धविराम और वार्ता का प्रस्ताव नक्सलियों की तरफ से रखा गया था। सरकार की सहमति के बावजूद नक्सली वार्ता को राजी नहीं हुए।

No comments:

Post a Comment