केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल द्वारा चिकित्सा शिविर का आयोजनजगदलपुर ! ''मौसले'' की जरूरत संबंधी ''पिरामिट थ्योरी'' के अनुसार सबसे निचले पायदान में स्थित भोले-भाले आदिवासी सत्ता के भूखे नक्सलियों के स्वार्थ पूर्ति के लिए सबसे आसान शिकार है। जनता को प्रशासन और सुरक्षा बलों की पहुंच से दूर रखने के लिए नक्सली हर विकास प्रक्रिया में बाधा पहुंचाते हैं। ताकि भोले-भाले आदिवासी बाहरी दुनिया से दूर रह सके और ''लाल-गलियारो'' की सपने की पूर्ति के लिए कच्चे माल के रूप में आदिवासी कटते-मरते रहे। नक्सलवाद की जंड निश्चित रूप से आर्थिक कारणों से गहरी हुई है। लेकिन इसके लिए पूर्ण रूप से नक्सली ही जिम्मेदार हैं। अगर ऐसा नही है तो फिर स्कूल भवन को उंडाना, बिजली खम्भा तोंडना, संडक निर्माण रोकना ये सब काम नक्सली क्यो कर रहे हैं। ऐसे में आम आदिवासी जनता की रक्षक और उन्हें मूलभूत सुविधाओं दिलाने का बींडा, बस्तर में तैनात केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की 80 वीं बटालियन ने भीे उठाया है। विदित हो कि 18 फरवरी को 80 बटालियन, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल ने बीजापुर के धूर नक्सल प्रभावित इलाके के 8 से 14 वर्ष के 70 बच्चों को बस्तर की सांस्कृतिक और आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले जगदलपुर का भ्रमण कराया। इसके अन्तर्गत बच्चों को चित्रकोट जलप्रपात, रेल्वे स्टेशन और अन्य दर्शनीय ज्ञानवर्धक स्थानों का भ्रमण कराया गया। जो कि अभी तक इन बच्चों की कल्पना में ही साकार होता था। उल्लेखनीय है कि 80 वीं बटालियन केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल 08 में अपनी तैनाती के बाद से ही अपने कार्यक्षेत्र में आक्रामक परिचालनिक अभियानों के साथ-साथ आम जनता के दुख-दर्द की साथ ही रही है। इसी क्रम में 24 फरवरी को 80 बटालियन केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल ने अपने सी800 कम्पनी के तैनाती स्थल ग्राम पैद्दा कौडेपाल, जिला बीजापुर में ''मुफ्त चिकित्सा शिविर'' का आयोजन किया। जिसमें लगभग 300 ग्रामीण जो कि बीजापुर के बीहंड जंगलों और सामाजिक रूप से अज्ञात गांवों से आए लाभान्वित हुए। इस शिविर में 80 बटालियन के डॉ। जयवालन, डॉ। एस.के.राय, फार्मसिस्ट हजारिका, नर्सिग असिस्टेंड सुरेश कुमार, फार्मासिस्ट टिर्की ने ग्रामीणों का ईलाज किया तथा डॉ. द्वय ने ग्रामीणों को स्वस्थ रहने के बारे में विस्तारपूर्वक समझाया। चिकित्सा शिविर में जांच के दौरान 2 ग्रामीणों इब्राहिम 6 वर्ष ग्राम नीमेंड को एसाटिस, बुधिरी 29 वर्ष ग्राम केका को एनीमिया से अत्यंत रूप से ग्रसित होना पाया गया। डॉक्टर की सलाह पर उन्हें तत्काल ही बेहतर चिकित्सा के लिए 80 बटालियन के एम्बुलेंस द्वारा महारानी अस्पताल जगदलपुर लाया गया तथा उनका नियमित उपचार शुरू किया गया।इस अवसर पर कमाण्डेंट श्री सिंह ने ग्रामीणों को केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के मित्रवत चेहरे से परिचित कराया तथा शर्मीले स्वभाव के आदिवासियों के बाकि दुनिया से रूबरू होने के लिए उत्साहित किया। अब तो ग्रामीण जनता के और भी करीब जाने के लिए सी.आर.पी.एफ. जवान स्थानीय ''गोण्डी'' भाषा भी सीख रहे हैं। ताकि उनके बीच संवाद स्थापित हो सके तथा जनता की समस्याओं से रूबरू होने में स्थानीय भाषा बाधक न बन सके। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल इस तरह से जनता की मित्र है। सी.आर.पी.एफ. की मदद और सुरक्षा से बस्तर अंचल में विकास कार्य तेज गति से आगे बंढ रहा है। यही समय है कि जनता प्रशासन का सहयोग करें और नक्सल समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पाए। ग्रामीणों ने भविष्य में भी इसी तरह से मदद की अपेक्षा की तथा केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल को धन्यवाद ज्ञापित किया। ग्रामीणों ने बहुत ही उत्साह के साथ इस शिविर में भाग लिया तथा केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की इस फिक्रमन्दी के लिए अभिभूत हुए।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment