Thursday, February 25, 2010

युद्ध विराम हो सकता है नक्सली रणनीति का हिस्सा

72 दिन तक माओवादियों द्वारा की गई युद्ध विराम की घोषणा के समाचार को पुलिस गंभीरता से ले रही है। आईजी बस्तर रेंज टीजे लांगकुमेर ने बताया कि बीजापुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, नारायणपुर तथा कांकेर जिलों के कुछ हिस्सों में आपरेशन ग्रीनहंट के साथ-साथ त्रिशुल अभियान भी चलाया जा रहा है। जिसमें ग्रामीणों के सहयोग से पुलिस को सफलता मिल रही है। जिसके चलते नक्सलियों पर लगातार दबाव बढ़ा है। पिछले कुछ समय से पुलिस पार्टियां दूर-दराज के इलाकों में पहुंचकर अभियान चला रही हैं।अबुझमाड़ के कुछ क्षेत्रों से ग्रामीणों के हिस्से का चावल नक्सलियों द्वार लेने की सूचना मिली है लेकिन ग्रामीणों के विरोध के चलते वे इस काम में सफल नहीं हो पाए हैं। दूसरी ओर युद्ध विराम को लेकर पुलिस को किसीभी तरह का आधिकारिक निर्देश नहीं मिला है। पुलिस रुटिन में अपना काम करती रहेगी। इस संबंध में यदि कोई निर्देश मिलेगा तो उसके अनुसार काम किया जाएगा । खास बात यह है कि ग्रामीण एवं दूर-दराज के क्षेत्रों में गश्त करते समय या अपने दायित्वों को अंजाम देते समय यदि कोई उन पर गोलीबारी करता है तो आत्मरक्षा के लिए पुलिस भी उन्हे जबाव देगी। कानून हाथ में लेने किसी को अधिकार नहीं है। युद्ध विराम को माओवादियों की किसी रणनीति का हिस्सा होने से इंकार नहीं किया जा सकता।गौरतलब है कि माओवादियों की ऐसी घोषणाओं के बीच आईजी ने पांचों जिला के एसपी, डीआईजी स्तर के अधिकारियों को विशेष तौर पर सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। तय रणनीति के मुताबिक गश्त करनी है तथा आपरेशन चलाना है। क्या हो पाएगी वार्ता ? माओवादियों की युद्ध विराम की घोषणा की चर्चा में अभी तक न तो शासन स्तर पर कोई जबाव आया हैऔर ना ही प्रशासन को उच्चस्तरीय कोई दिशा-निर्देश मिले हैं। ऐसी स्थिति में किसी वार्ता की संभावना नहीं लगती। सूत्रों के मुताबिक आंध्र प्रदेश सहित एक-दो दूसरे स्थानों पर शासन एवं नक्सलियों के बीच वार्ता के अनुभव ठीक नहीं रहे हैं। पुलिस ने पूरी परिस्थिति पर नजर रखी हुई है।

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