Wednesday, February 24, 2010

बस्तर में नहीं बन सके दर्जनों पुल

माओवादी गतिविधियों के चलते 13 पुल-पुलियों का निर्माण नहीं कराया जा सका है। ये सभी कार्य पिछले कई सालों से लटके पड़े हैं। इनमें से 7 बड़े पुलों के निर्माण के लिए विभाग को कोई भी ठेकेदार नहीं मिल पा रहा है। साढ़े 12 करोड़ की लागत वाले इन कार्यों के लिए बार बार निविदा बुलाए जाने के बाद भी किसी ने भी कार्य में रूचि नहीं ली है। स्थिति यह है कि इनमें से कुछ कार्यों के लिए 11-11 बार तक निविदा बुलाई जा चुकी है। अंतत: हार कर लोक निर्माण विभाग के जगदलपुर स्थित सेतु निर्माण संभाग ने इन पुलों को बजट से अलग करने की गुहार शासन से की है।लोनिवि की सेतु निर्माण संभाग द्वारा 1 सौ 84 लाख रूपए की लागत से कोड़ेकुर्से-मिचगांव मार्ग पर कोटरी सेतु के लिए 27 सितंबर 2001 को प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी। लगातार 11 बार टेंडर बुलाए जाने के बाद भी किसी ने भी निविदा नहीं भरा। सरंडी-इरागांव मार्ग पर तारोकी सेतु का निर्माण साढ़े 72 लाख रूपए की लागत से होना था इसके लिए 12 मार्च 2003 को प्रशासकीय स्वीकृति दी गई थी। कोड़ेकुर्से- लोहत्तर मार्ग के 11 वें किलोमीटर पर कोटरी नदी सेतु का निर्माण 2 करोड़ 43 लाख रूपए की लागत से किया जाना था। इसके लिए प्रशासकीय स्वीकृति 7 जनवरी 2005 को दी गई थी। छठवीं बार निविदा आमंत्रित करने पर भी कोई निविदा नहीं मिली। बीजापुर जिले के भैरमगढ़ क्षेत्र में इंद्रावती नदी पर साढ़े 4 करोड़ की लागत से भैरमगढ़ इतामपारा-छोटे पल्ली मार्ग के 15 वें किमी पर बड़े पुल का निर्माण किया जाना था। इसके लिए 4 करोड़ 40 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति 16 नवंबर 2005 को मिली थी। बीजापुर-गंगालूर मार्ग के 14 वें किमी पर पदेड़ा नाला सेतु निर्माण के लिए 1 करोड़ 10 लाख रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति भी 16 नवंबर 2005 को मिली थी। बांदे से पीव्ही 109 मार्ग पर कोड़ेनार नदी पर पुल निर्माण के लए 31 जनवरी 2007 को 1 करोड़ 42 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति मिली। पांचवीं बार प्रयास करने के बाद भी किसी ने भी निविदा नहीं भरा। कुटरू-बेदरे मार्ग के 14 वें किमी पर करकेली नाला सेतु के लिए 12 दिसंबर 2007 को 65 लाख रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी लेकिन किसी भी ठेकेदार ने कार्य करने में रूचि नहीं ली। कार्यपालन यंत्री एसएस मांझी ने बताया कि उक्त कार्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थित हैं । बार बार निविदा बुलाने के बाद भी कोई भी इन कार्यों में रूचि नहीं ले रहा है। जिससे कार्य करना संभव नहीं हो पा रहा है। इन सभी कार्यों को बजट से विलुप्त करने अधीक्षण यंत्री के माध्यम से शासन को पत्र लिखा गया था।

No comments:

Post a Comment