Wednesday, February 24, 2010

ग्रीन हंट अभियान रोकने को फेंका पासा


जमशेदपुर। नक्सलियों ने 72 दिनों के सीजफायर का पासा फेंक कर दूर की कौड़ी खेली है। केन्द्र सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ ग्रीन हंट के नाम से बड़े मुहिम की तैयारी कर रखी है। ग्रीन हंट के शुरू होने से नक्सलियों को काफी नुकसान हो सकता है। इसे नक्सली नेता अच्छी तरह से भांप चुके हैं। उग्रवादियों का प्रयास है कि किसी तरह ग्रीन हंट अभियान मई तक रुक जाये। केन्द्रीय गृह मंत्री पी। चिदंबरम ने बढ़ी नक्सली गतिविधियों पर चिंता व्यक्त करते हुए उग्रवादियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर मुहिम शुरू करने की रूपरेखा तैयार कर ली है लेकिन झारखंड सरकार की ओर से हरी झंडी नहीं मिलने के कारण ग्रीन हंट अभियान में विलंब हो रहा है। गृह मंत्री व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के बीच ग्रीन हंट अभियान के मुद्दे पर बैठक होनी है। इस बीच नक्सलियों ने अपने स्तर से सीजफायर की घोषणा कर दी है। नक्सली मामलों के जानकार बताते हैं कि एकाएक नक्सलियों की ओर से 72 दिनों के सीजफायर की घोषणा करने के पीछे कई राज छुपे हुए हैं। नक्सलियों को पता है कि जून के बाद बारिश का मौसम आ जायेगा। बरसात के मौसम में पुलिस व अ‌र्द्ध सैनिक बलों को जंगल में तलाशी अभियान चलाने में दिक्कत होगी। ऐसे में बारिश के मौसम में अभियान चलाने की अनुमति नहीं मिल पायेगी। बारिश के मौसम में जंगल के रास्ते पहाड़ों की चोटियों पर पहुंचने में पुलिस को भारी परेशानियां होगी, साथ ही सैनिकों के जंगल में फंसने का डर होगा। नवंबर के बाद ठंड का मौसम रहेगा। ऐसे में नक्सली चाहते हैं कि किसी तरह अभी ग्रीन हंट अभियान रुक जाये। इसी वजह से नक्सलियों ने अपने स्तर से सीजफायर की घोषणा कर दी है।

नक्सली संगठन में मतभेद उजागर
जमशेदपुर:
सीजफायर को लेकर नक्सलियों के बीच ही आपसी मतभेद उभर आने की खबर है। सूत्रों के अनुसार किशनजी ने केंद्र सरकार को 72 दिनों के सीजफायर की जो घोषणा की है, उसपर सीपीआई माओवादी की केंद्रीय कमेटी का समर्थन प्राप्त नहीं है। माओवादी नेता गणपति ने युद्धविराम का विरोध किया है। बताया जाता है कि संभवत: इसलिए केंद्र सरकार किशनजी के प्रस्ताव पर किसी भी प्रकार का कदम जल्दबाजी में उठाने के पक्ष में नहीं है।

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