पश्चिम बंगाल के अखबारों से
दीपक रस्तोगी
पश्चिम बंगाल के शिल्दा में पुलिस कैंप पर माओवादियों के हमले के बाद मिले सबूतों से साफ हो रहा है कि नक्सलियों की महिला दस्ते की कुछ सक्रिय कैडरों का उस कैंप में बतौर यौनकर्मी आना-जाना था। इस तरह की सूचनाओं से मुख्यमंत्री से लेकर तमाम अधिकारी बौखला गए हैं और आनन-फानन में जांच बैठा दी है। केंद्र सरकार की टीम अपने स्तर पर छानबीन में जुटी है। वहां लापरवाही बरती गई। इससे किसी को इंकार नहीं। बांग्ला दैनिक "बर्तमान" लिखता है कि इस तरह की जानकारियों को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम के दबाव के चलते मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का सुर नरम हुआ है। अन्यथा बुद्धदेव भट्टाचार्य अपनी गलतियां मानने वाले कॉमरेडों में से नहीं हैं। दैनिक "आनंदबाजार पत्रिका" लिखता है कि शिल्दा कांड में राज्य के पुलिस महानिदेशक और गृह सचिव के बीच मतभेद भी उजागर हुए हैं। अंग्रेजी दैनिक "द टेलीग्राफ" लिखता है कि ऐसी ही खामियों के चलते नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों की कवायद का नतीजा सिफर रहा है।
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