Wednesday, February 24, 2010

बस्तर में तेजी से पांव पसार रहा एड्स

प्राकृतिक एवं नैसर्गिक नयनाभिराम दृश्यों सहित प्रचुर वन एवं खनिज संपदा के लिए विख्यात बस्तर की सरजमीं में एड्स के खौफनाक विषाणु तेजी से पैर पसार रहे हैं। 2 नए मरीजों के एचआईवी पाजीटिव पाए जाने के बाद पिछले एक वर्ष में एड्स मरीजों की संख्या ढाई गुनी बढ़कर 102 हो गई है। इस लाइलाज रोग ने अब तक 15 लोगों को लील लिया है। एक वर्ष पहले तक एचआईवी पाजीटिव रोगियों का आंकड़ा 40 था। 102 एड्स रोगियों की पुष्टि होना सरकारी पैमाना है। अनेक निजी क्लीनिकों में एलायजा एवं वेस्टर्न रक्त परीक्षण कराए जाते हैं, जिनकी जानकारी नहीं मिल पाती। अब तक जितने भी एड्स रोगियों की पहचान हुई है, वे आश्चर्यजनक रूप से 25 से 40 वर्ग आयु के हैं। अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ विवेक जोशी के अनुसार एड्स के मरीज ज्यादातर आंध्र व उड़ीसा के सीमाई इलाकों के निवासी हैं, जिनमें अधिकांशत: पेशे से ड्रायवर हैं। बस्तर में इस लाइलाज मर्ज के तेजी से फैलने के आसार हैं, क्योंकि जिनकी एड्स रोगी के रूप में पहचान हुई है, उन पर निगरानी की कहीं कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसा कोई कानून भी नहीं है। एड्स की गिरफ्त में महिलाएं भी आ गई हैं। जिन 102 लोगों में एचआईवी पाजीटिव पाए गए हैं, उनमें 25 महिलाएं भी शामिल हैं। मेडिकल कालेज में महिला कांऊसलर का पद रिक्त होने से, महिलाओं में एड्स के रोकथाम के उपाय नहीं हो पा रहे हैं। बदनामी के भय से अधिकांश रोगी सामने नहीं आते। यद्यपि जिला अस्पताल प्रबंधन इस मामले के प्रति अत्यंत गोपनीयता एवं सतर्कता बरत रहा है, किंतु इस जानलेवा लाइलाज मर्ज के प्रति जब तक समाज में जागरूकता व चेतना नहीं आएगी, एड्स अपने शिकंजे में समाज को आक्टोपस की तरह जकड़ता रहेगा। एड्स के कारणों पर यदि दृष्टिपात करें तो यह पता चलता है कि, यह मुख्यत: शारीरिक संपर्क और रक्त स्थानांतरण से संक्रमित होता है। एड्स के सबसे बड़े संवाहक वे हैं, जो रोटी-रोटी की तलाश में बड़े शहरों में जाते हैं। अकेलेपन में शारीरिक भूख मिटाने या तो वे समलैंगिक हो जाते हैं अथवा ऐसी महिलाओं के संपर्क में आ जाते हैं, जो जिस्मफरोशी के धंधे में पेशेवर होती हैं। लम्बी अवधि तक घर से दूर रहने वाले तथा इधर-उधर यौन संबंध बनाने की वजह से, अधिकतर इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों के समीप झोपड़ियों में होने वाली वेश्यावृत्ति इस रोग के विस्तारण की अहम कारक है।एड्स का हमला परमाणु हमले से भी अधिक खतरनाक है, क्योंकि परमाणु बम जहां एक निश्चित क्षेत्र की मानव लीला एक बार में समाप्त करता है, वहीं एड्स जैसा भयानक रोग आहिस्ता-आहिस्ता मनुष्य को खोखला कर देता है। परमाणु बम से बचने संधियों जैसे उपाय हैं, किंतु एड्स से निजात पाने अब तक कोई जीवनरक्षक दवा ईजाद नहीं हो पाई है।

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