Monday, February 22, 2010

माओवाद से प्रभावित हो रहा पर्यटन

भुवनेश्वर। उड़ीसा में दिन प्रतिदिन बढ़ रहे माओवादियों के हिंसाकांड का सीधा असर पर्यटन विभाग पर पड़ रहा है। राज्य के आदिवासी प्रवण इलाकों में स्थित पर्यटन स्थलों में पर्यटकों की संख्या में काफी कमी देखने को मिली है, जो कि राज्य पर्यटन विभाग के लिए चिन्ता का विषय बन गया है। प्राप्त जानकारी अनुसार मयूरभंज जिला में स्थित शिमिलीपाल अभयारण्य को इस साल पर्यटकों के लिए नहीं खोला गया है। खासकर ठंडी व गर्मी के दिनों में यहां पर्यटकों की खासी भीड़ लगती है। इस समय तक हजारों पर्यटक शिमिलीपाल आते है, परन्तु इस साल पर्यटकों के लिए अभयारण्य बंद हो जाने के कारण इन पर निर्भर करने वाले लोगों के जीविका पर इसका सीधा प्रभाव पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष पर्यटन ऋतु से पहले ही यहां माओवादियों का उत्पात चरम पर पहुंच गया। इनके ताडंव लीला से यहां पर्यटकों का आना तो दूर की बात है जंगल विभाग के कर्मचारी भी यहां काम करने के लिए साहस नहीं जुटा पा रहे है। माओवादियों ने जिन अतिथि गृह व दफ्तर इत्यादि नष्ट किए है, उनका अभी तक मरम्मत भी नहीं हो पाया है। शिमिलीपाल के अन्दर जाने के लिए जंगल विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय की अनुमति आवश्यक होती है, परन्तु इस साल एक भी व्यक्ति को प्रवेश के लिए अनुमति पत्र नहीं दिया गया है। वर्षा ऋतु के बाद यहां के रास्तों की मरम्मत होनी चाहिए, मगर वह भी आज तक नहीं हो पायी है।यह स्थिति केवल शिमिलीपाल ही नहीं अविभक्त कोरापुट में भी अनुरूप स्थिति देखने को मिली है। इस जिला में स्थित प्रसिद्ध शिवालय गुप्तेश्वर को पिछले साल की तुलना में काफी कम यात्री आए है। यहां नक्सल उपद्रव के साथ पुलिस बल के कुम्बिंग ऑपरेशन से जो आतंक बना है, उसकी वजह से बाहर राज्यों के पर्यटकों को आना तो दूर की बात है, राज्य के यात्री भी गुप्तेश्वर जाने से डरते है। यहां यह बताना उचित होगा कि गुप्तेश्वर व शिमिलीपाल केवल उदाहरण है। राज्य के कुछ अन्य माओ प्रभावित इलाका जैसे कि बडरमा, बाइसीपल्ली, करलापाट, कोटगड़, सातकोशिया, सोनाबेड़ा आदि जगहों पर पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आने की बात पता चली है। गौरतलब है कि उड़ीसा के शिमला जैसे स्थान माने जाने वाले फुलवाणी के दारिंगीबाड़ी को राज्य व राज्य के बाहर से काफी मात्रा में पर्यटक पहुंचकर हर साल प्रकृति के सौंदर्य का उपभोग करते थे, मगर यहां पर बढ़ते माओवादियों के आतंक व हिंसाकाण्ड से डरने की वजह से ज्यादातर पर्यटक उड़ीसा नहीं आ रहे है।

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