Tuesday, February 16, 2010

आपरेशन ग्रीन हंट की आहट से नक्सली भयभीत

आपरेशन ग्रीन हंट का खौफ नक्सलियों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। केंद्रीय गृहमंत्री पी। चिदंबरम की अध्यक्षता में हुई कोलकाता बैठक में भले ही मुख्यमंत्री शिबू सोरेन शामिल नहीं हुए। लेकिन दोनों उपमुख्यमंत्री रघुवर दास व सुदेश कुमार महतो के अलावा राज्य पुलिस प्रमुख व गृह सचिव की उपस्थिति से नक्सलियों का भ्रम टूटा है। नक्सली आपरेशन ग्रीन हंट की काट खोज रहे हैं। सूबे के एक बीडीओ का अपहरण उनकी नई रणनीति का हिस्सा है। इसी बहाने वे 'ब्लैकमेलिंग' पर उतर आए हैं।

कहने को तो प्रधान गृह सचिव व पुलिस के आला अधिकारी यह नहीं मानते हैं कि पुलिस के पास 'ग्रीन हंट' नामक अभियान की कोई योजना है। उनके अनुसार यह मीडिया का दिया नाम है। इसके बावजूद साफ नजर आ रहा है कि पुलिस किसी विशेष अभियान की ओर लगातार बढ़ रही है। यहां पर एयरफोर्स की एक कंपनी कभी भी आ सकती है। इस बल के रहने के लिए आवासों की खोज युद्ध स्तर पर की जा रही है। एयरफोर्स के कुछ अधिकारी पहले ही आ चुके हैं। सीआरपीएफ की 66 कंपनियां यहां तैनात हो चुकी हैं। दो बटालियन अतिरिक्त केंद्रीय बल की मांग राज्य पुलिस द्वारा की जा चुकी है। साठ से ज्यादा कंपनी अ‌र्द्धसैनिक बलों को तैनात किया जा चुका है। बीएसएफ का भी सहयोग मिल रहा है। बीएसएफ का एक हेलीकाप्टर यहां मौजूद है जबकि सेना के दो हेलीकाप्टरों की मांग पुलिस प्रशासन द्वारा केंद्र से की गई हैं।
अतिरिक्त बल आने व हेलीकाप्टर मिलने के बाद नक्सलियों के खिलाफ विशेष अभियान प्रारंभ हो जाएगा, जिसे आपरेशन ग्रीन हंट के नाम से पुकारा जा रहा है। सूबे को मिलने वाले हेलीकाप्टर का उपयोग पड़ोसी राज्य भी कर सकेंगे। यह साझा अभियान का एक पहलू होगा। पुलिस अभियान व नक्सल मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि आपरेशन ग्रीन हंट से नक्सलियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। चार राज्यों में एक साथ प्रस्तावित इस अभियान को केंद्र सरकार की ओर से हर तरह की मदद देने की बात कही गई है। रणनीति नक्सलियों को उनके क्षेत्र से बेदखल करने की है। नक्सलियों के हथियार जब्त हो सकते हैं।

आंध्रप्रदेश सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां जंगल व पहाड़ भरे पड़े हैं लेकिन वहां सरकार ने नक्सलियों पर पूरी तरह से काबू पा लिया। झारखंड में भी नक्सलियों को यही भय सता रहा है। नक्सलियों को इस बात का भी भय है कि विशेष अभियान शुरू होते ही उनकी लेवी पर हथौड़े पड़ने लगेंगे, जिससे उनकी आर्थिक रीढ़ टूट जाएगी। इसका सीधा प्रभाव संगठन की गतिविधियों पर पड़ेगा। जाहिर हो कि आपरेशन ग्रीन हंट का पहला चरण महाराष्ट्र में गढ़चिरौली के जंगलों में नवंबर के पहले हफ्ते से शुरू किया जा चुका है। छत्तीसगढ़ में इस आपरेशन के तहत सुरक्षा बल 50 से अधिक नक्सलियों को मार गिराया है।

बीडीओ प्रशांत लायक के अपहरण की घटना के बाद प्रधान गृह सचिव जेबी तुविद रविवार को ही कह चुके हैं कि नक्सली संगठन द्वारा बीडीओ को छोड़ने के बदले सरकार या प्रशासन से किसी भी तरह की मांग सीधे तौर पर अभी तक नहीं की गई है। वैसे, अपहृत बीडीओ को हर हाल में मुक्त करा लिया जाएगा। बीडीओ को रिहा कराने के सभी उपायों पर विचार किया जा रहा है। डीजीपी नेयाज अहमद ने कहा कि बीडीओ की रिहाई के लिए पुलिस अभियान जारी है।

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