Tuesday, February 16, 2010

इस्लामी आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा


धमतरी । आतंरिक सुरक्षा विशेषज्ञ एवं पूर्व पुलिस महानिर्देशक (उप्र) प्रकाश सिंह ने कहा कि माओवादियों का विचारधारा भारत देश में कभी सफल नहीं होगी। उनकी विचारधारा देश को तोडऩे की बात करती है। जबकि देश की आवाम की सोंच ऐसी नहीं है।श्री सिंह यहां रूद्री में सशिमं द्वारा आयोजित वैचारिक असहिष्णुता विषय पर आयोजित परिचर्चा में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।


उन्होंने कहा कि राजनीतिक सत्ता के लिए होती है और सत्ता के संचालन के लिए नीति बनाई जाती है। यदि नीतियोंं से किसी को लाभ नहीं मिलता तो उनमें असंतोष पैदा हो जाता है। ग्राऊंड लेबल पर हम देखे तो आज जो सामाजिक शोषण है उसके कारण भी अलगवाद की भावना पनपी है। आर्थिक असमानता की खाई काफी चौड़ी हो गई है। देश में आज भी 25 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं जिनमें व्यवस्था को लेकर काफी असंतोष है। शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में यदि ईमानदारी बरती जाती तो शायद देश में उग्रवाद नहीं पनपता। उन्होंने आगे कहा कि देश में आज जो नक्सलवाद की समस्या है उसके पीछे मूल कारण उसके पीछे मूल कारण भ्रष्ट्राचार है। भ्रष्ट्राचार के खिलाफ लडऩे सरकार की कोई प्रतिबद्धता नहीं है। उन्होंने जानकारी दी कि केंद्र सरकार एक मंत्री को दस आईएएस और दस आईपीएस अधिकारियों की सूची सौंपी थी, जिन्होंने करीब सौ करोड़ रुपए से भी अधिक की भ्रष्ट्राचार किया था लेकिन सरकार ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती 20 भ्रष्ट्र अधिकारियों की सूची सौंपी गई थी। इस पर कुछ लोगों ने मजाक मेरा मजाक उड़ाते हुए कहा कि मायावती को तो ऐसे ही भ्रष्ट्र अधिकारियों की जरूरत है, आपने तो उनका काम आसान कर दिया। नक्सलवादियों पर निशाना साधते हुए उनका आगे कहना था कि नक्सली एक तरफ वर्गहीन समाज की स्थापना की बात करते हैं। तो दूसरी ओर वह निरीह लोगों को हिंसा का शिकार बनाते हैं। आज नक्सलियों की हिंसा का सबसे ज्यादा शिकार भोले भाले आदिवासी और पुलिस के जवान हो रहे हैं।

राज्य सरकार द्वारा नक्सलियों को बातचीत के लिए आमंत्रित किए जाने पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए उनका कहना था कि नक्सलियों को लोकतंत्र पर कभी भरोसा नहीं हो सकता। वह हिंसा के सहारे सत्ता पर कब्जा जमाना चाहते हैं। इसीलिए उनके मूलधारा में जुडऩे का सवाल ही नहीं उठता। पूर्व पुलिस महानिर्देशक ने इस्लामी आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा बताते हुए कहा कि देश के अंदर हम नक्सलियों से निपट सकते हैं लेकिन सीमापार से आने वाली इस्लामी कट्टरपंथियों से निपटना काफी मुश्किल है। उनका आगे कहना था कि इस्लामी आतंकवादी वैचारिक असहिष्णुता का सबसे भयानक स्वरूप है। प्रसिद्ध स्तंभकार एवं पंडित श्यामाप्रसाद मुखर्जी शोध प्रतिष्ठान के निर्देशक तरूण विजय ने कहा कि आज नक्सलवाद देश की सबसे बड़ी समस्या बन गई है। देश के 87 जिले इस समस्या से झुलस रहे हैं। नक्सलवाद के चलते विकास कार्य प्रभावित हो गया है। नक्सलवाद की समस्या के पीछे भ्रष्ट नेताओं का हाथ बताते हुए उनका कहना था कि सत्ता की लालसा ने इस समस्या को काफी विकराल रूप दे दिया है। उनका आगे कहना था कि परिस्थितियां बदलना हमारे हाथ में है। हम अच्छे नेताओं को चुनकर भेजेंगे तो नक्सलवाद जैसी समस्या दूर हो सकती है। वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर ने चीन पर आरोप लगाया कि माओवादियों के द्वारा वह हमारे देश की घेराबंदी कर अराजकता की स्थिति पैदा कर रहा है। इसके पीछे उसका उद्देश्य देश को कमजोर करना है। श्री नैयर ने भ्रष्टाचार को नक्सली समस्या का मूल कारण बताते हुए सवाल उठाया कि क्या हम सपनों से टूटा हुआ भारत आने वाले पीढ़ी को देंगे। शिक्षाविद् सुरेश कुमार ठाकुर ने देश की मौजूदा शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि हमे नई पीढ़ी को आदर्श शिक्षा देनी चाहिए ताकि वह समाज व देश के प्रति अपने कर्तव्यों का इमानदारी से निर्वहन कर सके। कार्यक्रम का संचालन शंकर गजेन्द्र ने तथा आभार प्रदर्शन सनत शर्मा ने किया। इस अवसर पर ताराचंद हिन्दूजा, जानकी प्रसाद शर्मा, विनोद जैन, डा हीरा महावर, चंदूलाल जैन, डा विनोद पाठक, निर्मल बरडिया, कुंजलाल देवांगन, डा रामचंद हिन्दूजा, डा रामनरेश मिश्रा, पीपी शर्मा, राजेन्द्र शर्मा, सतीश त्रिपाठी, चंद्रशेखर शर्मा, नील पटेल, विजय ठाकुर आदि उपस्थित थे।

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