Tuesday, February 16, 2010

नक्सली नहीं मानेंगे पुलिस की

जमशेदपुर. 16 फरवरी. नक्सलियों ने झारखंड में धालभूमगढ़ के अपहृत प्रखंड विकास अधिकारी (बीडीओ) प्रशांत कुमार लायक की रिहाई के एवज में जेल में बंद उनके कथित 14 समर्थकों के मामलों की न्यायिक पुन: जांच की पुलिस की पेशकश को ठुकराते हुए आज कहा कि राज्य मंत्रिमंडल इस पर निर्णय ले हालांकि उन्होंने इस प्रकरण में सरकार को 24 घंटे की और मोहलत देने का भी संकेत दिया। संगठन की बंगाल-उड़ीसा-झारखंड बार्डर रिजनल कमेटी के प्रवक्ता कामरेड राकेश ने अपने संदेश में कहा कि कहा कि अगर पूर्वी सिंहभूम जिले के गुड़ाबांधा क्षेत्र में चलाये जा रहे पुलिस के खोज अभियान को रोक दिया जाए तो वे श्री लायक के मामले में आज शाम छह बजे समाप्त हो रहे अपने अल्टीमेटम को 24 घंटे तक बढ़ाते हुए सरकार को और मोहलत दे सकते हैं। यह एक राजनीतिक मामला है इसलिए इसमें सरकार को कैबिनेट के जरिये निर्णय लेना चाहिए। आम जनता पर जुल्म करने वाली पुलिस से संगठन बात नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि गुड़ाबांधा क्षेत्र से अगर पुलिस अधीक्षक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी नहीं हटे तथा पूछताछ के लिए पकड़े गये निर्दोष ग्रामीणों पर पुलिस का जुल्म बंद नहीं हुआ तो शाम छह बजे के बाद बीडीओ के बारे में जनअदालत में निर्णय लिया जायेगा। जनता में सरकारी तंत्र के प्रति क्रोध को देखते हुए यह फैसला सजा-ए-मौत भी हो सकता है। ज्ञातव्य है कि पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) रेजी डुंगडुंग और उपायुक्त रविन्द्र कुमार अग्रवाल ने आज दोपहर घाटशिला में पत्रकारों से कहा कि गिरफ्तार 14 ग्रामीणों समेत किसी भी ऐसे व्यक्ति जो स्वयं को निर्दोष मानता है की रिहाई के लिए न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना होगा। चूंकि सभी का मामला अदालत में हैं इसलिए उनकी रिहाई अदालती प्रक्रिया के तहत ही हो सकती है। उधर अपहृत बीडीओ की पत्नी श्रीमती जूली भारती ने चार दिनों बाद भी उनके पति की रिहाई नहीं होने पर राज्य सरकार के प्रति नाराजगी जताते हुए आज कहा कि अगर उनके पति को कुछ होता हैं तो वे अपनी चार साल की बेटी के साथ मुख्यमंत्री आवास के समक्ष आत्मदाह कर लेंगी। ज्ञातव्य है कि श्री लायक को नक्सलियों ने शनिवार को उनके कार्यालय से सनसनीखेज तरीके से अगवा कर लिया था। उनको ढूंढने के लिए पड़ोसी राज्यों पश्चिम बंगाल और उड़ीसा पुलिस की सहायता से व्यापक अभियान चलाया जा रहा है।

No comments:

Post a Comment