Friday, February 5, 2010

तब तक नक्सली भय का राज चलता रहेगा: आईजी

राजनांदगांव ! दुर्ग रेन्ज के पुलिस महानिरीक्षक मुकेश गुप्ता ने आज यहां कहा कि राजनांदगांव की नक्सलियों के उन्मूलन में ग्रामीणों की एकजुटता जरूरी है। जब तक लोग नक्सलियों को अप्रत्यक्ष सहयोग देना बंद नहीं करेंगे तब तक उनके भय का राज चलता रहेगा। श्री गुप्ता ने स्थानीय सर्किट हाऊस में पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि नक्सलियों की कोई नीति,सिद्धांत नहीं है और उनके द्वारा की जाने वाली हिंसक वारदातो व हरकतो से उनको सहयोग करने वाली ग्रामीण जनता भी तंग आ चुकी है और अब लोग खुलकर पुलिस का सहयोग कर रहे है,यह नक्सलियों के उन्मूलन की दिशा में एक अच्छा संकेत है। श्री गुप्ता ने कहा कि नक्सलियों ने अपने आंतक वाले फरमान को व्यवस्था समझ लिया है। यह बात उनको प्रश्रय,खाना व अन्य तरीके से सहयोग करने वाले भी समझ रहे है और उसके विरोध में एकजुट हो रहे है। यह मैने अपने रूटीन दौरे में पाया है कि अब लोग भी समझ गए है कि छत्तीसगढ़ में शांति से ही विकास संभव है और यहां के शांतिप्रिय लोग समझकर अब कुछ करने में जुट गए है। पुलिस उनको इस कार्य में हर तरह का सहयोग प्रदान करेगी। आज कई गांव की जनता अपने क्षेत्र में थाना खोलने की मांग कर रही है। श्री गुप्ता ने बताया कि जिले के नक्सली प्रभावित क्षेत्र में इन्डो तिब्बत बटालियन के आने के बाद पुलिस और मजबूत हुई है। हम आतंक के खत्म होने का दावा नहीं करते,लेकिन जवानों में जो इस जंग के लिए जज्बा है वह अदभूत है। हमने जिले के लिए एक और आईटीबीपी बटालियन की मांग की है। नक्सली मुठभेड़ में नक्सलियों के बाजी जीतने के प्रश् पर उन्होंने कहा कि नक्सली घात लगाकर लड़ाई लड़ते है। उनका काम केवल लड़ना है। हम रक्षात्मक तरीके से खुले में कार्य करते है। इससे कभी-कभी हम उनके एम्बुल में फंस जाते है। ग्रीन हंट आपरेशन के समयावधि के बारे में ज्यादा कुछ कहने से इंकार करते हुए श्री गुप्ता ने कहा कि उनका अनुमान है कि शासन नक्सली उन्मूलन के लिए गंभीर है। करोड़ों रूपऐ की बैरक बन रही है। यह फोर्स व नक्सलियों के बीच की लंबी लड़ाई है। वह भी आसानी से अपना इलाका छोड़ने वाले नहीं और हम भी उन्हें खदेड़ने में पीछे रहने वाले नहीं। जिले के मदनवाड़ा,सीतागांव,खड़गांव में पुलिस चौकी खुलने से ग्रामीणों व पुलिस को खामियाजा के प्रश् को नकारते हुए उन्होंने कहा कि इससे हम मजबूत हुए है और इन चौकियों से नक्सली बौखलाए है,परंतु कुछ कर नहीं पा रहे है। सरपंच या अन्य जनप्रतिनिधियों का नक्सली उन्मूलन में भागीदारी के प्रश् पर श्री गुप्ता ने कहा कि यह कार्य अकेले सरपंच या किसी जनप्रतिनिधि का नहीं है। यहां नक्सल प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों की एकजुटता होनी चाहिए, जहां से नक्सली भय व आतंक के बल पर उनसे खाना,प्रश्रय या जवान लड़के व लड़की मांगते है, क्योंकि यह समस्या उन ग्रामीणों के लिए स्वयं घातक है। उन्होंने मीडिया जगत से नक्सली उन्मूलन के लिए जनमत बनाने का आग्रह करते हुए कहा कि अब पुलिस भी नक्सलियों के कार्य में मदद करने वाले ठेकेदारों की शिनाख्त कर रही है। कुछ सरपंचों को भी इसी सहयोग में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। नक्सली बंद की सफलता के पीछे उन्होंने भय व आतंक की बात बताई और कहा कि अब बटालियन व पुलिस की संयुक्त रणनीति से भय खत्म करने के लिए भी कदम उठाये जाएंगे। इस चर्चा के दौरान डीआईजी अरूण देव गौतम,एसपी प्रवीरदास भी उपस्थित थे।

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