जगदलपुर ! बस्तर में सक्रिय वामपंथी उग्रवादियों से लड़ने के लिये पुलिस बल के सहायक के रूप में भर्ती किये गए विशेष पुलिस अधिकारियों (एसपीओ) की स्थिति पुलिस विभाग में बधुवा मजदूरों जैसी हो गई है। पुलिस थाने में झाड़ू-पोछा कराने से लेकर घरेलू काम-काज तक एसपीओ के जवानों से कराया जा रहा है।
बीजापुर जिले के भैरमगढ़ थाना क्षेत्र में 234 एसपीओ के जवान भर्ती किये गए है। पुलिस बल की कमी को देखते हुए इन जवानो के माध्यम से माओवादियों को मुंहतोड़ जवाब देने की योजना बनाई गई थी। फलस्वरूप भैरमगढ़ के साथ-साथ दक्षिण-पश्चिम बस्तर के अधिकांश पुलिस थानों में बड़ी संख्या में एसपीओ के जवान तैनात किये गए है। पुलिस विभाग की जानकारी के अनुसार इन जवानों की कुल संख्या 3 हजार से यादा आंकी गई है। भैरमगढ़ में पदस्थ एक एसपीओ की माने तो विभिन्न थानों में पदस्थ इन जांबाज जवानों की स्थिति बंधुवा मजदूर जैसी हो गई है। अपना नाम नहीं प्रकाशित किये जाने की शर्त पर इस एसपीओ ने बताया कि महिला एसपीओ द्वारा पुलिस थानों में झाड़ू-पोंछा करवाया जा रहा है और खाली समय में पुरूष एसपीओ से अन्य घरेलू काम करवाये जा रहे है। वैसे झाड़ू-पोंछा करने के अलावा एसपीओ नेताओ के घरों की सुरक्षा भी कर रहे है। उदाहरण के लिये भैरमगढ़ निवासी संसदीय सचिव महेश गागड़ा के पुस्तैनी मकान और आवास की रक्षा एसपीओ कर रहे है। श्री गागड़ा के अलावा कांग्रेसी नेता अजय सिंह के सुरक्षा के लिये भी एसपीओ के जवान तैनात किये गए है। अधिकांश एसपीओ की शिकायत है कि पुलिस विभाग द्वारा उन्हें वेतन के रूप में 2130 रूपयें उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन एक दिन की गैरहाजरी हुई तो दो दिन का वेतन अधिकारियों द्वारा काट लिया जाता है। भैरमगढ़ के थाना प्रभारी से उक्त संबंध में जब जानकारी चाही गई तो उन्होंने बताया कि एसपीओ के अनुपस्थित होने का वेतन वे लोग नहीं काटते है।
वे तो केवल गोसवारा बनाकर भेज देते है। गोसवारा पास करने का कार्य जिला पुलिस कार्यालय से किया जाता है। एक-एक दिन की छुट्टी के लिये मोहताज इन एसपीओ की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है। 24 घंटे उनका समय थाना और उसके आस-पास कट रहा है। पुलिस का साथ देने के कारण वे माओवादियों के हिट लिस्ट में आ चुके है। इसलिये मौत के डर से अब वे अपने गांव भी नहीं लौटना चाहते।
बीजापुर जिले के भैरमगढ़ थाना क्षेत्र में 234 एसपीओ के जवान भर्ती किये गए है। पुलिस बल की कमी को देखते हुए इन जवानो के माध्यम से माओवादियों को मुंहतोड़ जवाब देने की योजना बनाई गई थी। फलस्वरूप भैरमगढ़ के साथ-साथ दक्षिण-पश्चिम बस्तर के अधिकांश पुलिस थानों में बड़ी संख्या में एसपीओ के जवान तैनात किये गए है। पुलिस विभाग की जानकारी के अनुसार इन जवानों की कुल संख्या 3 हजार से यादा आंकी गई है। भैरमगढ़ में पदस्थ एक एसपीओ की माने तो विभिन्न थानों में पदस्थ इन जांबाज जवानों की स्थिति बंधुवा मजदूर जैसी हो गई है। अपना नाम नहीं प्रकाशित किये जाने की शर्त पर इस एसपीओ ने बताया कि महिला एसपीओ द्वारा पुलिस थानों में झाड़ू-पोंछा करवाया जा रहा है और खाली समय में पुरूष एसपीओ से अन्य घरेलू काम करवाये जा रहे है। वैसे झाड़ू-पोंछा करने के अलावा एसपीओ नेताओ के घरों की सुरक्षा भी कर रहे है। उदाहरण के लिये भैरमगढ़ निवासी संसदीय सचिव महेश गागड़ा के पुस्तैनी मकान और आवास की रक्षा एसपीओ कर रहे है। श्री गागड़ा के अलावा कांग्रेसी नेता अजय सिंह के सुरक्षा के लिये भी एसपीओ के जवान तैनात किये गए है। अधिकांश एसपीओ की शिकायत है कि पुलिस विभाग द्वारा उन्हें वेतन के रूप में 2130 रूपयें उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन एक दिन की गैरहाजरी हुई तो दो दिन का वेतन अधिकारियों द्वारा काट लिया जाता है। भैरमगढ़ के थाना प्रभारी से उक्त संबंध में जब जानकारी चाही गई तो उन्होंने बताया कि एसपीओ के अनुपस्थित होने का वेतन वे लोग नहीं काटते है।
वे तो केवल गोसवारा बनाकर भेज देते है। गोसवारा पास करने का कार्य जिला पुलिस कार्यालय से किया जाता है। एक-एक दिन की छुट्टी के लिये मोहताज इन एसपीओ की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है। 24 घंटे उनका समय थाना और उसके आस-पास कट रहा है। पुलिस का साथ देने के कारण वे माओवादियों के हिट लिस्ट में आ चुके है। इसलिये मौत के डर से अब वे अपने गांव भी नहीं लौटना चाहते।
No comments:
Post a Comment