दुमका। घटना को अंजाम देने के बाद सुरक्षित भाग निकल लेने के लिए जो चाल नक्सलियों ने खेली, उसी के चलते नक्सली आराम से भाग निकलने में सफल रहे। घटनास्थल से बरामद हंसुआ और चप्पल किसकी थी यह अभी तक साफ नहीं हुआ है।
जानकारी के अनुसार घटना की अगली सुबह पुलिस खोजी कुत्ते के साथ उस स्थान पर पहुंची जहां राम पद गोराई ने दम तोड़ा था। चप्पल और हंसुआ सूंघने के बाद कुत्ता दक्षिण दिशा की ओर गया। इससे यही लगता है कि वारदात को अंजाम देने के बाद नक्सली इसी रास्ते से गांव से बाहर निकले। परन्तु ग्रामीणों ने पुलिस को बताया था कि घटना के बाद नक्सली उत्तर दिशा की ओर चले गये। पुलिस की माने तो दोनों बातों में भिन्नता के पीछे भी कई राज छिपे हुए है। वारदात के बाद नक्सली एक चप्पल छोड़कर क्यों भागे। जबकि जंगल में बगैर चप्पल के जाना असंभव है। पुलिस सूत्रों की माने तो जिस हथियार से पहले वार किया गया वह नक्सली का है या किसी ओर का इस दिशा में भी जांच की जा रही है। हो सकता है नक्सलियों ने पुलिस को चकमा देने के लिए जानबूझकर किसी और की चप्पल व हंसुआ का इस्तेमाल किया हो। नक्सली यह बात अच्छी तरह से जानते थे कि हत्या के बाद पुलिस उनकी तलाश में छापेमारी जरूर करेगी। इसीलिए उन्होंने पुलिस को देर तक उलझाये रखने के लिए यह विधि अपनायी हो। उनकी यह विधि काम कर गई। उन्हे भागने के लिए जितना वक्त चाहिये था वह आसानी से मिल गया।
पुलिस ने छानी जंगलों की खाक
दुमका। टोंगरा के इसमाला पथरिया गांव में राम पद गोराई की हत्या के बाद भाग निकले नक्सलियों की तलाश में बुधवार को पुलिस ने आधा दर्जन से अधिक गांव में सर्च अभियान चलाकर जंगलों की टोह ली। परन्तु पुलिस के हाथ असफलता ही लगी।
पुलिस निरीक्षक बी.एन.सिंह के नेतृत्व में चलाये गये सर्च अभियान के क्रम में पुलिस ने पलन, आसनबनी, चुआंपानी, सिंदूरडीह, बुधुडीह व अगरमला गांव में कई संदिग्ध स्थानों पर छापेमारी की लेकिन पुलिस को नक्सलियों की मौजूदगी का कोई सुराग हाथ नहीं लगा। सर्च अभियान के बाद पुलिस की टीम ने जंगलों पर चढ़ाई की लेकिन यहां भी निराशा ही हाथ लगी। पुलिस की माने तो घटना को अंजाम देने के बाद नक्सली रातों-रात प्रखंड छोड़कर निकल गये। जिसके कारण पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा।
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