रायपुर ! छत्तीसगढ़ के लोकायुक्त ने नियुक्तियों में अनियमितता के मामले में एक आईएएस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की है।
सूत्रों के अनुसार, सरकार को भेजी रपट में लोकायुक्त न्यायमूर्ति एल. सी. भादू ने कहा है कि छत्तीसगढ़ महिला समाख्या सोसायटी में निदेशक और सहायक निदेशक की नियुक्तियों में धांधली के लिए सचिव (स्कूली शिक्षा) नंद कुमार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
सोसाइटी ग्रामीण इलाकों में शिक्षा और महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए काम करती है।
साथ ही कुमार द्वारा नियुक्त निदेशक शालिनी रमन और सहायक निदेशक प्रशांत सुखदेव को भी हटाने की सिफारिश की गई है। लोकायुक्त ने शिक्षा विभाग के तीन अधिकारियों जी. आर. चंद्राकर, आर. के. शर्मा और बजरंग प्रजापति के खिलाफ भी कार्रवाई की संस्तुति की है।
पिछले महीने छत्तीसगढ़ सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी बी. एल. अग्रवाल को निलंबित कर दिया था, क्योंकि उनके यहां आयकर विभाग का छापा पड़ा था जिसमें पता चला था कि वह 93 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति के मालिक हैं ।
छत्तीसगढ़ शिक्षा सचिव दोषी,लोकायुक्त से शिकायत में हुआ पर्दाफाश
छत्तीसगढ़ लोकायुक्त ने स्कूल शिक्षा सचिव नंदकुमार को भर्ती में अनियमितता में दोषी मानते हुए उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की अनुशंसा की है। महिला सामाख्या सोसायटी में भर्ती प्रक्रिया में दोषी पाते हुए लोक आयोग ने शासन को शिक्षा विभाग के सचिव नंदकुमार वर्मा एवं विभागीय अन्य अधिकारी जीआर चंद्राकर, आरके शर्मा और बजरंग प्रजापति सहायक प्रोग्राम के खिलाफ विभागीय जांच की अनुशंसा करते हुए मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव, विधि सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग को अपने सुझाव और अनुशंसा की रिपोर्ट कल प्रेषित किए है। मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह ने पूरी रिपोर्ट का अध्ययन कर कार्रवाई करने कहा है।
लोकायुक्त एलसी भादू एवं लोक आयोग के विधि सलाहकार प्रभात झा ने बताया कि महिला सामाख्या सोसायटी के संचालक एवं उपसंचालक की गुपचुप की गई फर्जी नियुक्ति को निरस्त करते हुए गलत तरीके से चयनित शालिनी रमन और प्रशांत सुखदेवे की सेवा समाप्ति का सुझाव दिया है। लोक आयोग कार्यालय में प्रभात झा ने पत्रकारों को बताया कि महिला सामाख्या सोसायटी द्वारा 04 अप्रेल 2008 को संचालक एवं सहायक संचालक सहित अन्य पदों हेतु विज्ञापन जारी किया गया था जिसे निरस्त कर दिया गया था। समिति द्वारा नियमों को शिथिल कर दोबारा विज्ञापन 04 सितम्बर 2008 को जारी किया गया जिसमें संचालक के पद की आयु को 35-58 को घटाकर 30-50 किया गया और शैक्षणिक योग्यता एमएड की जगह पोस्ट ग्रेजुएट किया गया साथ ही सहायक संचालक के पद पर नियुक्ति हेतु बीएड की जगह बीए कर दिया गया था। ताकि पूर्व निर्धारित लोगों को चयनित किया जा सके। दोबारा विज्ञापन से संचालक पद हेतु 17 आवेदन प्राप्त हुए जिनमें से 15 उपस्थित हुए साथ ही सहायक संचालक के लिए 23 आवेदन प्राप्त हुए जिसमें से पांच लोगों को चयन के योग्य पाया गया इनमें से तीन लोग साक्षात्कार हेतु उपस्थित हुए। संचालक के पद पर शालिनी रमन और सहायक संचालक के पद पर प्रशांत सुखदेवे का चयन हुआ। उन्होंने बताया कि इसी पद के लिए भर्ती के संबंध में उम्मीदवार स्मृति शर्मा द्वारा लोकायोग को जून 2009 में एक शिकायत की थी। आयोग ने मामले को गंभीरता से लिया और पूरी प्रक्रिया की जांच की इसमें उजागर हुआ है कि लिखित परीक्षा का 75 प्रतिशत परिणाम जारी किया गया था किंतु उत्तर पुस्तिका जांचा ही नहीं गया है। वहीं भर्ती नियमों को परिवर्तित करने के लिए शिक्षा सचिव की काउंसिल में स्वीकृति लेनी पड़ती है पर उसका पालन नियमत: नहीं किया गया। साथ ही नियुक्ति प्रक्रिया में शिक्षा विभाग के सचिव नंद कुमार के दस्तखत से संबंधित कई कागजात पाए गए हैं। महिला सामाख्या समिति में हुई नियुक्ति के संबंध में लोकायुक्त ने स्कूल शिक्षा सचिव नंद कुमार को दोषी पाया है चूंकि वे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है अत: उनकी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को उचित कार्रवाई हेतु प्रेषित की गई है साथ ही इस संबंध में जांच में दोषी पाए जाने पर जीआर चंद्राकर शिक्षा अधिकारी बलौदाबाजार, आर के शर्मा ब्लाक शिक्षा अधिकारी धरसींवा, बजरंग प्रजापति सहायक प्रोग्राम समन्वयक राजीव गांधी शिक्षा मिशन के खिलाफ विभागीय जांच की अनुशंसा की है। लोकायुक्त ने सुझाव दिया है कि किसी भी अधिकारी को राय शासन द्वारा प्रतिनियुक्ति पर भेजने या रखने से पूर्व हाईपावर कमेटी के समक्ष उसकी कार्यप्रणाली एवं व्यवहार तथा कार्यक्षमता का संज्ञान लिया जाकर ही आगे की कार्रवाई करें। मुख्य सचिव, विधि सचिव, वित्त सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग के मुख्य सचिव एवं महालेखाकार को सम्मिलित किया जाकर हाई पावर कमेटी बनाई जानी चाहिए।
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