Saturday, March 20, 2010

संयुक्त अभियान से नक्सली बौखलाए

जगदलपुर ! नक्सल विरोधी अभियान के तहत छत्तीसगढ़ के दक्षिणी इलाका बस्तर संभाग में चल रहा ग्रीनहंट अभियान और ऑपरेशन त्रिशूल के नये प्रयोग से अब नक्सलियों के पैर उखड़ने का दावा पुलिस प्रशासन कर रही है। नक्सल प्रभावित रायों के संयुक्त पुलिस अभियान से अब नक्सली उन्मूलन में सफलता मिल रही है। दक्षिण बस्तर के कोंटा और दक्षिण बस्तर के दंतेवाड़ा जिले के विशेषकर कोंटा और बीजापुर में विशेष एसपीओ समूह के प्रशिक्षित कोया फोर्स के सामने अब नक्सली टिक नहीं पा रहा है। इससे बौखलाये नक्सलियों के द्वारा अब 22 और 23 मार्च को दो दिवसीय बंद का ऐलान किया है।

बस्तर संभाग के पांचों जिले नक्सल प्रभावित है। दंतेवाड़ा जिले के कोंटा विधानसभा क्षेत्र बीजापुर जिले के लगभग सभी क्षेत्र और नारायणपुर जिले के संपूर्ण इलाके नक्सलियों का प्रभावी क्षेत्र है और यहां स्थानीय लोग उनके मदद करते रहे। ऑपरेशन ग्रीन हंट के शुरू होने पर इन जिलों के विभिन्न क्षेत्रों में पुलिस और फोर्स के दबाव से अब नक्सली पशोपेश में हैं। ग्रीन हंट के सफलता के चलते अब यहां ऑपरेशन त्रिशूल जारी है। इस अभियान में विशेष एसपीओ को प्रशिक्षित कर उनके कंधे पर नक्सल विरोधी का एक बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। अभी हाल में खम्मम जिले के नक्सली संगठन के दो बड़े ईनामी नक्सलियों को मार गिराने की सफलता और पुलिस और फोर्स के दबाव के चलते आंध्रा पुलिस समक्ष एक नक्सली दंपत्ति ने आत्म समर्पण किया यह विशेष एसपीओ सहित फोर्स के ऑपरेशन त्रिशूल का नतीजा बतायी जा रही है। आधं्रा पुलिस ने आत्म समर्पण की इस खबर को सार्वजनिक किया है मगर उनके नामों की घोषणा तफ्तीश के बाद की जायेगी, लेकिन कोंटा क्षेत्र में दो खुंखार नक्सली बस्तर पुलिस के सामने आत्म समर्पण करने की सूचना है परंतु पुलिस इसे सार्वजनिक नहीं कर रही है। संभाग के नक्सलियों के शरणस्थल और उनके कर्मभूमि माना जाने वाला अबूझमाड़ में ऑपरेशन त्रिशूल के सफल अभियान के चलते यहां भी नक्सलियों का हौसला पस्त होने की सूचना है। अबूझमाड़ क्षेत्र के नक्सलियों से निपटने वहां चल रहे अभियान सहित संभाग के अन्य नक्सली जिलों में हो रही संयुक्त अभियान जिसमें पड़ोसी राय आंध्रा, महाराष्ट्र, उड़ीसा के फोर्स शामिल है की कार्यवाही से एक ओर नक्सली नेताओं के भूमिगत होने या अन्यत्र पलायन करने की खबरें भी लोगों की जुबान से मिल रही है। बहरहाल नक्सली और फोर्स दोनों अपने-अपने शक्ति परीक्षण में लगे हैं लेकिन वर्तमान पुलिस और फोर्स की अभियान से नक्सलियों के हौसला पस्त होने के चलते बंद का आह्वान किया जाना माना जा रहा है। बस्तर में इस नक्सल विरोधी अभियान के कमान संभालने वाले अफसर खुलकर कुछ बताने में परहेज करते हैं परंतु इतना अवश्य इंगित कर नक्सल विरोधी अभियान की सफलता पर जरूर बात करते हैं। जाहिर है पुलिस की इस अभियान से दक्षिण बस्तर में नक्सलियों का दबाव कम नजर आने लगा है जबकि पुलिस को बड़ी सफलता प्राप्त हुई है।

No comments:

Post a Comment