Monday, March 8, 2010

कृषि मंत्री के नक्सली संबंधों पर स्थगन अग्राह्य

रायपुर। 08 मार्च। छत्तीसगढ़ विधानसभा में सोमवार को प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों द्वारा कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू के नक्सलियों से संबंधों को लेकर किए गए स्थगन प्रस्ताव को अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने अग्राह्य कर दिया। अध्यक्ष ने इसे स्थगन का विषय ही नहीं माना। इस चर्चा के दौरान कृषि मंत्री श्री साहू स्वयं पूरे समय सदन में मौजूद थे। कांग्रेस के श्री नंदकुमार पटेल ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि पूरा प्रदेश, कृषि मंत्री के नक्सलियों से संबंध होने की सच्चाई जानना चाहता है। हमने इस विषय पर काम रोको प्रस्ताव की सूचना दी है। इसे ग्राह्य कर चर्चा कराएं तो और भी कई तथ्य सामने रखे जा सकेंगे।

श्री पटेल ने कहा कि यदि कृषि मंत्री के संबंध में प्राप्त जानकारी में सच्चाई है तो उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसा न करते हुए मुख्यमंत्री ने बिना जांच के ही तथ्यहीन ठहरा दिया है। चर्चा कर विपक्ष मुख्यमंत्री के कथनों को असत्य साबित करेगा। उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण से सरकार कटघरे में है। कृषि मंत्री को बताना होगा कि उनके प्रफुल्ल झा से क्या संबंध हैं, उनकी मुलाकातें कब-कब हुईं? श्री पटेल ने श्री साहू पर कार्रवाई न किए जाने को जनसुरक्षा का उल्लंघन भी बताया। इस पर हस्तक्षेप करते हुए संसदीय कार्यमंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि यह स्थगन सूचना का विषय नहीं है। तो अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि श्री पटेल शून्यकाल में अपनी बात रख रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे ने संसदीय कार्य मंत्री की आपत्ति पर अध्यक्ष से व्यवस्था का आग्रह करते हुए कहा कि इस प्रदेश में नक्सल गतिविधियों से निपटने एक ओर सरकार प्रयास करने की बात कहती है और दूसरी ओर सरकार के ही नुमाइंदों के संबंध नक्सलियों से है। श्री चौबे ने कृषि मंत्री साहू और प्रफुल्ल झा द्वारा लिखित दो अलग-अलग पुस्तकों की प्रतियां दिखाते हुए कहा कि ये किताबें वर्ष 2001 2008 में प्रकाशित की गयीं। दोनों में ही लेखक के रूप में श्री साहू व श्री झा के आलेख प्रकाशित हुए हैं। श्री साहू द्वारा पुस्तक 2008 में प्रकाशित की गयी जबकि प्रफुल्ल झा व उसके पुत्र प्रतीक झा की गिरफ्तारी 2006-07 में हुई थी। इससे उनके आपसी संबंध स्पष्ट होते हैं। श्री चौबे ने कहा कि विपक्ष ऐसे ही कई तथ्यों को स्थगन पर चर्चा के दौरान उजागर करना चाहता है। इसलिए प्रस्ताव को ग्राह्य किया जाना चाहिए। जिसका संसदीय कार्यमंत्री श्री अग्रवाल ने पुन: विरोध किया। इस पर अध्यक्ष श्री कौशिक ने व्यवस्था दी कि यह विषय स्थगन प्रस्ताव का नहीं है अतएव सूचना को अग्राह्य कर दिया गया है। इस पर पुनर्विचार की मांग करते हुए नेता प्रतिपक्ष चौबे ने कहा कि पुस्तकों में नक्सली साहित्य का भान होता है इसलिए चर्चा कराने की जरूरत है। इस मुद्दे पर कांग्रेस के विधायक बंटे हुए नजर आए।

कृषि मंत्री साहू के सदन में प्रवेश करते ही शिव डहरिया ने चुटकी ली कि क्या गढ़चिरौली से आ रहे हैं। जवाब में श्री साहू ने कहा- नहीं छत्तीसगढ़ से। यह सुनकर जोगी ने कहा बेचारे को फंसा रहे हों। सीधा छत्तीसगढ़िया है। यह सुनते ही कांग्रेस के अन्य विधायकों के हाव-भाव बूझे-बूझे से रहे।

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