लातेहार। लातेहार जिले में नक्सलियों की समानांतर सरकार चल रही है। भले ही जिला प्रशासन इस बात को झुठला दे, लेकिन अगर ग्रामीण क्षेत्रों में विकास योजनाओं पर नजर डाली जाए तो यह अपने-आप प्रमाणित हो जाता है।
जिले के मनिका प्रखंड को ही अगर देखा जाए तो यहां की अगर दर्जन भर योजनाएं नक्सलियों के फरमान के कारण बंद पड़ी है। उदाहरणस्वरूप 3 करोड़ 87 लाख रुपए की लागत से बनने वाली मनिका-कुमंडीह पथ का निर्माण छह माह से रुका है। यह योजना प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से ली गई है। आलम यह है कि धमकी के कारण संवेदक इस ओर देखना भी मुनासिब नहीं समझ रहे हैं। मनिका में ही मनिका से आंटीखेता तक बननेवाली 14 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कार्य रुका है। यह योजना तीन करोड़ 87 लाख रुपए की है, जहां सिर्फ मेटल ही गिरा है। इसी प्रकार, सधवाडीह से जान्हो तक आठ किलोमीटर, कोरिद बयांग से खीराटांड़, मनिका-बरवैया पथ में तीनमुहान से बरवैया तक आठ किलोमीटर, रांची-डालटनगंज पथ से हेरहंज तक 28 किलोमीटर, कुई मोड़ से कोपे तक सड़क निर्माण का कार्य ठप पड़ा है। मनिका से कुमंडीह जाने वाले रास्ते में औरंगा नदी पर पुल निर्माण की निविदा निकाली गई, लेकिन मारे भय के कोई भी ठेकेदार विपत्र नहीं खरीद सका। रांकीकला में औरंगा नदी पर पुल निर्माण का कार्य अधर में लटका हुआ है। इसी प्रकार जिले के सभी प्रखंडों में कमोबेश यही हालत हे। चूंकि माओवादियों द्वारा लेवी की राशि वसूल करने के लिए ठेकेदारों को धमकी देने व काम बंद कराने की घटनाएं लगातार होती है। होता यह है कि लेवी वसूलने के बाद नक्सली काम करने की अनुमति भी दे देते हैं, लेकिन कई रास्ते ऐसे हैं, जिनके बन जाने से उनकी आवाजाही प्रभावित हो व पुलिस पहुंच जाए। इस कारण इन कार्यो पर रोक लगा दी जाती है। आलम यह है कि नक्सलियों के आदेश के बिना विकास का एक भी काम होना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन भी है। इस सवाल का जवाब जिला प्रशासन के पास नहीं है या वे कुछ बोलना नहीं चाहते।
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