चाकुलिया। नक्सलबाड़ी आंदोलन के जनक कानू सान्याल के कदम वर्ष 1968-69 को चाकुलिया, बहरागोड़ा क्षेत्र में भी पड़े थे। वे यहां नक्सल आंदोलन को गति प्रदान करने आये थे। जानकार बताते हैं कि सान्याल चाकुलिया के एक कम्युनिस्ट समर्थक के घर दो रात रूके भी थे। इसी दौरान उन्होंने क्षेत्र के लोगों को अत्यंत गोपनीय तरीके से नक्सल आंदोलन के बारे में विस्तार से समझाया था। बताया जाता है कि उनके साथ प्रेसिडेंसी कालेज के प्रो. असीम चटर्जी उर्फ काका भी आये थे जिन्हें बाद में इस क्षेत्र का प्रभारी भी बनाया गया था। अपने एक दिन व दो रात के दौरे के क्रम में सन्याल ने कम्युनिस्ट विचारधारा वाले कार्यकर्ताओं को न केवल एकसूत्र में बांधा था, वरन नक्सल आंदोलन को इस इलाके में सरजर्मी पर उतारने का काम किया था। उनके लौटने के बाद चाकुलिया प्रखंड के रूपुषकुंडी, बहरागोड़ा प्रखंड के सुरमुई, पंचांडो आदि गांव में नक्सलवादी विचारधारा ने पांव जमा लिये। नक्सलियों से निपटने के लिए बीएमपी पुलिस ने रुपुषकुंडी गांव में चौकी बनायी थी लेकिन नक्सल आंदोलनकारियों ने पुलिस चौकी पर हमला कर चार जवानों की हत्या कर दी थी तथा हथियार भी लूट लिये थे। कहा जाता है कि पुलिस चौकी पर हमला कर शस्त्र लूटने की यह पहली घटना थी। इससे पुलिस व प्रशासन अवाक रह गये थे। उस घटना ने तत्कालीन बिहार सरकार को हिलाकर रख दिया था। बंगाल के संतोष राणा तथा बहरागोड़ा के मणि चक्रवर्ती की गिनती तब क्षेत्र के प्रमुख आंदोलनकारी के रूप में होती थी। कानू सान्याल के चाकुलिया आगमन तथा उसके प्रभाव को आज भी कम्युनिस्ट पार्टी के कई कामरेड विशिष्ट घटना मानते हैं
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