Wednesday, March 3, 2010

नक्सल तार में उलझे कृषि मंत्री


कांग्रेस ने की मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने उच्च स्तरीय जाँच की माँग



रायपुर । छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू एक बार फिर विवादों में आ गए हैं। इस बार वे आठ साल पहले लिखी अपनी किताब के कारण कांग्रेस का निशाना बने हैं। कथित नक्सल समर्थक की किताब से उनकी किताब के लेख व अन्य सामग्री में समानता के आधार पर कांग्रेस ने कृषि मंत्री को लपेटा है। कांग्रेस ने श्री साहू पर नक्सलियों से संबंध रखने का आरोप लगाते हुए मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने और मामले की उच्च स्तरीय जाँच की माँग की है।

प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सत्यनारायण शर्मा व पूर्व मंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को यहाँ एक पत्रकारवार्ता में आरोप लगाया कि कथित नक्सल समर्थक प्रफुल्ल झा से कृषि मंत्री श्री साहू का संबंध है। प्रफुल्ल झा नक्सलियों को मदद करने और नक्सली साहित्य लिखने के आरोप में इन दिनों जेल में है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि कृषि मंत्री श्री साहू और प्रफुल्ल झा के बीच प्रगाढ़ संबंध का प्रमाण यह है कि वर्ष २००१ में श्री साहू ने वैभव प्रकाशन के माध्यम से एक पुस्तक "अकाल मुक्त छत्तीसगढ़ : यथार्थ एवं संभावना" का प्रकाशन कराया। इस पुस्तक में लेखों का संकलन व संपादन प्रफुल्ल झा ने किया है। इसमें एक लेख पलायन के लिए "मजबूर, छत्तीसगढ़िया मजदूर" प्रकाशित हुआ है, जिसका लेखक प्रफुल्ल झा है। वर्ष २००८ में कृषि मंत्री के पद पर रहते हुए श्री साहू ने वर्ष २००१ में प्रकाशित उसी किताब को नए कलेवर में नए शीर्षक के साथ प्रकाशित कराया है। वर्ष २००८ में प्रकाशित किताब का नाम "छत्तीसगढ़ का दिनमान, अकाल व उदयकाल" दिया। वर्ष २००१ में इसी किताब का नाम "अकाल मुक्त छत्तीसगढ़ : यथार्थ व संभावना" था।

इन दोनों किताबों के सारे लेख हूबहू वही हैं, लेकिन अंतर केवल इतना है कि वर्ष २००१ में प्रकाशित किताब के पृष्ठ २७ पर प्रफुल्ल झा के नाम पर प्रकाशित लेख "पलायन के लिए मजबूर, छत्तीसगढ़िया मजदूर" को चुराकर श्री साहू ने वर्ष २००८ की किताब में नए शीर्षक "पलायन की पीड़ा एवं छत्तीसगढ़िया मजदूर किसान की नियति" के साथ स्वयं के नाम से प्रकाशित कराया है।

कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि श्री साहू का लेख कृषि विभाग की सरकारी वेबसाइट "किसान गुड़ी डॉट काम" में भी है। वेबसाइट का उद्घाटन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने किया था। कांग्रेस नेताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि प्रफुल्ल झा के जेल जाने के बाद कृषि मंत्री ने किताब के प्रस्तावना को बदला। प्रस्तावना में पहले विवादित व्यक्तियों के नाम थे। कई विवादित विषयवस्तु भी है, जो काफी आपत्तिजनक हैं। कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया कि एक नक्सली बंदी के लेख को श्री साहू ने चुराकर अपने नाम से क्यों छापा? इससे उनका नक्सली विचारधारा में विश्वास प्रकट होता है। २००१ में प्रकाशित किताब को कबीरपंथी संत श्री अभिलाष दास को और २००८ में उसी किताब को गुヒ गोलवलकर को समर्पित किया गया है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि भाजपा, आरएसएस व रमन सरकार ने अब तक इसका संज्ञान लेकर कार्रवाई क्यों नहीं की? श्री साहू का मंत्री पद पर बने रहना राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा है, इसलिए तत्काल उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त कर पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जाँच कराई जाए और उनके खिलाफ विशेष जनसुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए। मामले में संतोषजनक कार्रवाई नहीं होने पर कांग्रेस जन आंदोलन करेगी।




प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सत्यनारायण शर्मा व पूर्व मंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को यहाँ एक पत्रकारवार्ता में आरोप लगाया कि कथित नक्सल समर्थक प्रफुल्ल झा से कृषि मंत्री श्री साहू का संबंध है। प्रफुल्ल झा नक्सलियों को मदद करने और नक्सली साहित्य लिखने के आरोप में इन दिनों जेल में है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि कृषि मंत्री श्री साहू और प्रफुल्ल झा के बीच प्रगाढ़ संबंध का प्रमाण यह है कि वर्ष २००१ में श्री साहू ने वैभव प्रकाशन के माध्यम से एक पुस्तक "अकाल मुक्त छत्तीसगढ़ : यथार्थ एवं संभावना" का प्रकाशन कराया। इस पुस्तक में लेखों का संकलन व संपादन प्रफुल्ल झा ने किया है। इसमें एक लेख पलायन के लिए "मजबूर, छत्तीसगढ़िया मजदूर" प्रकाशित हुआ है, जिसका लेखक प्रफुल्ल झा है। वर्ष २००८ में कृषि मंत्री के पद पर रहते हुए श्री साहू ने वर्ष २००१ में प्रकाशित उसी किताब को नए कलेवर में नए शीर्षक के साथ प्रकाशित कराया है। वर्ष २००८ में प्रकाशित किताब का नाम "छत्तीसगढ़ का दिनमान, अकाल व उदयकाल" दिया। वर्ष २००१ में इसी किताब का नाम "अकाल मुक्त छत्तीसगढ़ : यथार्थ व संभावना" था। इन दोनों किताबों के सारे लेख हूबहू वही हैं, लेकिन अंतर केवल इतना है कि वर्ष २००१ में प्रकाशित किताब के पृष्ठ २७ पर प्रफुल्ल झा के नाम पर प्रकाशित लेख "पलायन के लिए मजबूर, छत्तीसगढ़िया मजदूर" को चुराकर श्री साहू ने वर्ष २००८ की किताब में नए शीर्षक "पलायन की पीड़ा एवं छत्तीसगढ़िया मजदूर किसान की नियति" के साथ स्वयं के नाम से प्रकाशित कराया है।

कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि श्री साहू का लेख कृषि विभाग की सरकारी वेबसाइट "किसान गुड़ी डॉट काम" में भी है। वेबसाइट का उद्घाटन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने किया था। कांग्रेस नेताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि प्रफुल्ल झा के जेल जाने के बाद कृषि मंत्री ने किताब के प्रस्तावना को बदला। प्रस्तावना में पहले विवादित व्यक्तियों के नाम थे। कई विवादित विषयवस्तु भी है, जो काफी आपत्तिजनक हैं। कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया कि एक नक्सली बंदी के लेख को श्री साहू ने चुराकर अपने नाम से क्यों छापा? इससे उनका नक्सली विचारधारा में विश्वास प्रकट होता है। २००१ में प्रकाशित किताब को कबीरपंथी संत श्री अभिलाष दास को और २००८ में उसी किताब को गुヒ गोलवलकर को समर्पित किया गया है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि भाजपा, आरएसएस व रमन सरकार ने अब तक इसका संज्ञान लेकर कार्रवाई क्यों नहीं की? श्री साहू का मंत्री पद पर बने रहना राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा है, इसलिए तत्काल उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त कर पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जाँच कराई जाए और उनके खिलाफ विशेष जनसुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए। मामले में संतोषजनक कार्रवाई नहीं होने पर कांग्रेस जन आंदोलन करेगी।

सीएम को दी सफाई : कृषि मंत्री श्री साहू ने दोपहर करीब डेढ़ बजे सीएम हाउस जाकर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को अपनी सफाई दी। उन्होंने कांग्रेस नेताओं द्वारा जारी प्रेस नोट को भी मुख्यमंत्री को दिया। इधर, भाजपा प्रदेश महामंत्री शिवरतन शर्मा ने कांग्रेस नेताओं के बयान की कड़ी निंदा करते हुए उन्हें मानसिक दिवालियेपन का शिकार बताया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता प्रदेश में गंदी राजनीति का वातावरण तैयार कर रहे हैं और अनर्गल आरोप लगाकर अपनी खोखली मानसिकता को प्रमाणित कर रहे हैं ।
नई दुनिया, मार्च, 2010

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