कोलकाता । नक्सली कमांडर एम कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी का बेहद घनिष्ठ माना जाने वाला एरिया कमांडर वेंकटेश्वर रेड्डी उर्फ तेलुगु दीपक पुलिस के कब्जे में है। उसके जिम्मे छत्तीसगढ़ समेत उड़ीसा,बिहार और झारखंड में नक्सलियों की सशस्त्र कार्रवाई की कमान थी। मैकेनिकल इंजीनियर तेलुगु दीपक विस्फोटक विशेषज्ञ है।
कोलकाता के बेहाला से सटे सरसुना इलाके में व्यस्त रहने वाले बस अड्डे पर प। बंगाल सीआईडी की टीम शिल्दा कांड के "मास्टरमाइंड" की तलाश कर रही थी, लेकिन जब संदिग्ध वेंकटेश्वर रेड्डी उर्फ तेलुगु दीपक को पकड़कर उससे रात भर पूछताछ की गई तो पता चला कि झटके में नक्सलियों की बड़ी मछली पुलिस के हाथ आ गई है। उसकी गिरफ्तारी को हाल के दिनों में पुलिस की बड़ी सफलता मानी जा रही है। बुधवार को उससे बंगाल के डीजीपी भूपिंदर सिंह समेत तमाम आला अफसरों ने पूछताछ की। दीपक नक्सलियों के मिलिट्री कमीशन और राज्य कमेटी का सदस्य है।
वह झारग्राम से धन का इंतजाम करने बंगाल आया था। प्राथमिक पूछताछ में तेलुगु दीपक ने राजधानी एक्सप्रेस को बंधक बनाने, सांकराइल थाने के ओसी का अपहरण और गिधनी में पाँच जवानों को मार गिराने जैसे कांड की योजना में मास्टमाइंड रहने की बात स्वीकार की है। प्रदेश के एडीजीपी राज कन्नाौजिया ने बताया कि तेलुगु दीपक को २० साल से आंध्रप्रदेश में फरार घोषित किया हुआ है। -वहाँ उस पर ५० से अधिक मामले चल रहे हैं। उसने बंगाल, बिहार और उड़ीसा में पिछले छह महीने में पाँच हजार से अधिक आदिवासियों को नक्सली सैन्य दस्ते में भर्ती कर प्रशिक्षित किया है। जून २००८ में उड़ीसा के मलकानगिरी में ग्रेहाउंड दस्ते पर हमले में तेलुगु दीपक का हाथ था। इस घटना में ३८ जवान मारे गए थे। पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा, पुरुलिया और पश्चिम मेदिनीपुर जिलों में पिछले चार साल में माकपा के ७० से अधिक जोनल और लोकल कमेटियों के नेताओं की हत्या में तेलुगु दीपक का हाथ रहा है। राज कन्नाौजिया ने बताया कि हाल में वह कोलकाता और आसपास के जिलों में नक्सलियों का संगठन खड़ा करने और लालगढ़ में खर्च के लिए धन का बंदोबस्त करने के मिशन पर था।
कोलकाता के बेहाला से सटे सरसुना इलाके में व्यस्त रहने वाले बस अड्डे पर प। बंगाल सीआईडी की टीम शिल्दा कांड के "मास्टरमाइंड" की तलाश कर रही थी, लेकिन जब संदिग्ध वेंकटेश्वर रेड्डी उर्फ तेलुगु दीपक को पकड़कर उससे रात भर पूछताछ की गई तो पता चला कि झटके में नक्सलियों की बड़ी मछली पुलिस के हाथ आ गई है। उसकी गिरफ्तारी को हाल के दिनों में पुलिस की बड़ी सफलता मानी जा रही है। बुधवार को उससे बंगाल के डीजीपी भूपिंदर सिंह समेत तमाम आला अफसरों ने पूछताछ की। दीपक नक्सलियों के मिलिट्री कमीशन और राज्य कमेटी का सदस्य है।
वह झारग्राम से धन का इंतजाम करने बंगाल आया था। प्राथमिक पूछताछ में तेलुगु दीपक ने राजधानी एक्सप्रेस को बंधक बनाने, सांकराइल थाने के ओसी का अपहरण और गिधनी में पाँच जवानों को मार गिराने जैसे कांड की योजना में मास्टमाइंड रहने की बात स्वीकार की है। प्रदेश के एडीजीपी राज कन्नाौजिया ने बताया कि तेलुगु दीपक को २० साल से आंध्रप्रदेश में फरार घोषित किया हुआ है। -वहाँ उस पर ५० से अधिक मामले चल रहे हैं। उसने बंगाल, बिहार और उड़ीसा में पिछले छह महीने में पाँच हजार से अधिक आदिवासियों को नक्सली सैन्य दस्ते में भर्ती कर प्रशिक्षित किया है। जून २००८ में उड़ीसा के मलकानगिरी में ग्रेहाउंड दस्ते पर हमले में तेलुगु दीपक का हाथ था। इस घटना में ३८ जवान मारे गए थे। पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा, पुरुलिया और पश्चिम मेदिनीपुर जिलों में पिछले चार साल में माकपा के ७० से अधिक जोनल और लोकल कमेटियों के नेताओं की हत्या में तेलुगु दीपक का हाथ रहा है। राज कन्नाौजिया ने बताया कि हाल में वह कोलकाता और आसपास के जिलों में नक्सलियों का संगठन खड़ा करने और लालगढ़ में खर्च के लिए धन का बंदोबस्त करने के मिशन पर था।
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