दंतेवाड़ा । अचानक हमले से जवानों को संभलने का मौका नहीं मिला और ७५ जवान शहीद हो गए। हमले में अभियान दल में सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट सत्यवान असिस्टेंट बीएल नीमा, डीएफ का एक हेड कांस्टेबल आर सियाराम धु्रव भी शहीद हो गए। घटना की सूचना मिलते ही दोरनापाल व चिंतागुफा से अतिरिक्त फोर्स तत्काल घटना स्थल पर रवाना की गई। घायलों व शवों को लेकर लौट रही फोर्स के रास्ते में नक्सलियों ने फिर विस्फोट किया। इसमें वाहन चालक की मौत हो गई। इसके बाद हेलिकॉप्टर की मदद से उन्हें निकाला गया। सर्चिंग पर गए जवानों के पास ८१ स्वचलित हथियार थे, इनमें से ज्यादातर हथियार नक्सली लूट कर ले गए। मौके पर पहुँचे बचाव दल को केवल तीन हथियार मिले।
बचाव दल के जवानों ने वहाँ घायल पड़े सात जवानों रमेश, राज बहादुर, बलदीप, अरविंद, विप्लव, प्रमोद और आदित्य को निकाला। शहीद जवानों के शव निकालने के लिए तीन हेलिकॉप्टर लगाए गए। इनमें बीएसएफ के एक विमान के साथ दिल्ली से आए दो एमआईजी-१७ हेलिकॉप्टर शामिल थे। देर शाम तक ६९ शव निकाले गए। पुलिस अफसरों के अनुसार इसी घटनास्थल पर दो साल पहले नक्सलियों ने एम्बुश लगाकर जगरगुंडा थानेदार हेमंत मंडावी सहित १२ जवानों को मार दिया था।
इधर आंध्र मीडिया सूत्रों से मिल रही जानकारी में बताया गया है कि उक्त हमले में सीपीआई माओवादी की कुल तीन कंपनियाँ शामिल थी। जिनका नेतृत्व नक्सली कमांडर गणेशन्ना व रमन्ना कर रहे थे। इस पूरे हमले की योजना नक्सलियों की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के बड़े कमांडर कटाकम सुदर्शन (कोसा) ने बनाई थी। बताया गया है कि सीआरपीएफ का लैंडमाइन तलाशी का सिस्टम मौके पर खराब हो गया था। नक्सली लगातार इस गश्ती दल का पीछा कर रहे थे। उन्हें हमले के बाद निकासी के रास्ते पता थे। इस हमले में लगभग एक हजार भूमकाल मिलिशिया सदस्य शामिल थे।
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