जगदलपुर ! संभागीय मुख्यालय से लगभग 80-100 किमी। दूर भैंसादरहा के बाद लगनेवाली उड़ीसा की सीमा से नक्सलियों के धुरवा बाहुल्य क्षेत्र में घुसपैठ की खबर है। यही नहीं नक्सलियों के ग्रामिणों के बीच अपनी पैठ बनाने उनकी बोली और संस्कृति को सिखने और समझने शुरू कर देने की भी सूचना मिली है।
खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दरभा थाना से महज 80 किमी। दूर उड़ीसा की सीमा शुरू हो जाती है, निर्जन और बीहड़ जंगल का फायदा उठाकर नक्सली इस थाना क्षेत्र के उड़ीसा सीमा से लगे कोलेंग, छिंदपुर, कोदानार, ककालुर, पेदावाड़ा, कोटमसर समेत अन्य धुरवा बाहुल्य क्षेत्रों में दस्तक दे गये हैं। दरभा से मगरमच्छों का प्राकृतिक निवास स्थल मानी जाने वाली भैंसादरहा मात्र 40 किमी. दूर उड़ीसा की सीमा प्रारंभ हो जाती है। बताया गया कि उड़ीसा की सीमा बीहड़ जंगल-पहाड़ों से घिरे होने के कारण नक्सली आसानी से धुरवा बाहुल्य उक्त क्षेत्र में प्रवेश करने लग गये हैं। परपा थाना क्षेत्र के नेतानार क्षेत्र के एक ग्रामीण ने उनके क्षेत्र में नक्सली आमद की पुष्टि करते हुए बताया कि वे धुरवा बोली में बात करते हैं इसलिये उनकी नक्सली के रूप में पहचान करना आसान नहीं है।
गौरतलब है कि इससे पूर्व कांग्रेर घाटी के आस-पास भी नक्सली हलचल की खबर मिल चुकी है। सूत्रों का कहना है कि कोलेंग समेत धुरवा बाहुल्य क्षेत्र के ग्रामीणों को नक्सलियों के आमद की खबर है।
मगर वे किस वजह से पुलिस को इसकी सूचना नहीं देते, यह नहीं मालूम। दरभा के थाना प्रभारी महेन्द्र धु्रव फोन से चर्चा में स्वीकार किया कि दरभा के जंगली इलाकों में इक्के-दुक्के नक्सलियों के आमद की सूचना मिली थी, जिसके बाद उन्होंने स्वयं भैंसादरहा क्षेत्र में सिविल ड्रेस में अपने कुछ साथियों के साथ गश्त पर गये थे इस दौरान उन्होंने गोपनीय ढंग से नक्सलियों के दस्तक के बारे में गेहूंपदर, चलालगुर समेत कुछ अन्य गांव के ग्रामिणों से पूछताछ की थी मगर उनके बारे में कोई सुराग हाथ नहीं लगी।
खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दरभा थाना से महज 80 किमी। दूर उड़ीसा की सीमा शुरू हो जाती है, निर्जन और बीहड़ जंगल का फायदा उठाकर नक्सली इस थाना क्षेत्र के उड़ीसा सीमा से लगे कोलेंग, छिंदपुर, कोदानार, ककालुर, पेदावाड़ा, कोटमसर समेत अन्य धुरवा बाहुल्य क्षेत्रों में दस्तक दे गये हैं। दरभा से मगरमच्छों का प्राकृतिक निवास स्थल मानी जाने वाली भैंसादरहा मात्र 40 किमी. दूर उड़ीसा की सीमा प्रारंभ हो जाती है। बताया गया कि उड़ीसा की सीमा बीहड़ जंगल-पहाड़ों से घिरे होने के कारण नक्सली आसानी से धुरवा बाहुल्य उक्त क्षेत्र में प्रवेश करने लग गये हैं। परपा थाना क्षेत्र के नेतानार क्षेत्र के एक ग्रामीण ने उनके क्षेत्र में नक्सली आमद की पुष्टि करते हुए बताया कि वे धुरवा बोली में बात करते हैं इसलिये उनकी नक्सली के रूप में पहचान करना आसान नहीं है।
गौरतलब है कि इससे पूर्व कांग्रेर घाटी के आस-पास भी नक्सली हलचल की खबर मिल चुकी है। सूत्रों का कहना है कि कोलेंग समेत धुरवा बाहुल्य क्षेत्र के ग्रामीणों को नक्सलियों के आमद की खबर है।
मगर वे किस वजह से पुलिस को इसकी सूचना नहीं देते, यह नहीं मालूम। दरभा के थाना प्रभारी महेन्द्र धु्रव फोन से चर्चा में स्वीकार किया कि दरभा के जंगली इलाकों में इक्के-दुक्के नक्सलियों के आमद की सूचना मिली थी, जिसके बाद उन्होंने स्वयं भैंसादरहा क्षेत्र में सिविल ड्रेस में अपने कुछ साथियों के साथ गश्त पर गये थे इस दौरान उन्होंने गोपनीय ढंग से नक्सलियों के दस्तक के बारे में गेहूंपदर, चलालगुर समेत कुछ अन्य गांव के ग्रामिणों से पूछताछ की थी मगर उनके बारे में कोई सुराग हाथ नहीं लगी।
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