गढ़वा। उग्रवाद प्रभावित गढ़वा जिले में पिछले कुछ माह से भाकपा माओवादी के साथ-साथ टीपीसी तथा जेपीसी जैसे नक्सली संगठनों बढ़ रहे प्रभाव से ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे लोगाें का जीना हराम सा हो गया है। विशेषकर भाकपा माओवादी से अलग हटकर बसंत यादव द्वारा टीपीसी के नामपर पिछले करीब दो माह से जो आतंक कायम किया गया है। वह आम लोगों के लिए चिंता का विषय है। बावजूद इस पूरे प्रकरण पर पुलिस का चुप्पी साधे रहना बेहद आश्चर्य है। विदित हो कि गढ़वा जिले में भाकपा माओवादी के साथ- साथ टीपीसी तथा जेपीसी जैसा संगठन भी इन दिनों काफी सक्रिय हो गया है। स्थिति यह है कि पिछले दिनों गढ़वा शहर के सीमावर्ती महुलिया कल्याणपुर तथा जाटा जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित ईट भठ्ठा मालिकों से हथियार दिखाकर लेवी के नाम पर रुपये वसुल कर चलते बने। जबकि इस संगठन के द्वारा केहुनिया नाला पर ठेकेदार के मुशिंयों की पिटाइ किया गया। यहां तक कि पड़ोसी जिला पलामू के करसो गांव में एक निर्दोष पोस्टमैन की हत्या भी कर दी गयी । ताजा घटना में उचरी में लेवी के लिए आधा दर्जन ग्रामीणों की पिटाई किये जाने जैसी घटना को भी देखी जा सकती है।
उक्त तमाम घटना के मूल में इन नये-नये पनपे संगठनों द्वारा संगठित गिरोह बनाकर पैसा उगाही करना ही उदेश्य रही है। ऐसी परिस्थिति में पुलिस का हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहना आश्चर्य का विषय है।
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