जगदलपुर ! किरंदुल-कोत्तावलसा रेल मार्ग पर बस्तर जिला के सरहद में स्थित सिलकजोड़ी और डिलमिली रेलवे स्टेशन के मध्य स्थित ग्राम बाटकोंटा में 18 और 19 अप्रैल की दरम्यानी रात्रि 1 बजे किरंदुल से लौह अयस्क भरकर विशाखापटमन की ओर जा रही मालगाड़ी के तीन ईंजन और 17 बोगी क्षतिग्रस्त हो गये। इस मार्ग पर 150 मीटर दूरी तक के पटरी टूटकर अलग हो गया और मालगाड़ी के तीनों ईंजन पटरी से अलग होकर 17 डब्बों के साथ गिर गया। इस दुर्घटना में लौह अयस्क से भरी हुई वैगन एक-दूसरे पर चढ़ गया और उसके कपलिंग और चक्के से यह वैगन उखड़कर दूर जा गिरा। इस लाईन में अबतक घटित सबसे बड़ी इस रेल दुर्घटना में रेलवे को करोड़ों की क्षति हुई और साथ ही साथ इस लाईन पर यातायात कमसे कम 72 घंटे के लिए थम गया। घटनास्थल पर विशाखापटनम से डीआरएम और भुनेश्वर से बड़े अधिकारी पहुंच गये हैं और रेल लाईन दुरूस्थ करने ईंजन और क्षतिग्रस्त वैगनों का काम चल रहा है।
रेल सूत्रों के अनुसार किरंदुल से लौह अयस्क लेकर वाल्टियर की लेकर मालगाड़ी जा रही थी। इसमें लगे तीनों ईंजन के सहारे मालगाड़ी गंतव्य की ओर अग्रसर हो रही थी इस दौरान दंतेवाड़ा और बस्तर जिले के सरहद पर स्थित सिलकजोड़ी रेलवे स्टेशन पार कर यह गाड़ी डिलमिली स्टेशन की ओर जा रही थी। इन दोनों स्टेशनों के मध्य स्थित बाटकुण्डा गांव पहुंचते ही तेज आवाज के साथ मालगाड़ी के तीनों ईंजन एक के बाद एक कर गिर गई और साथ ही साथ उसके पीछे लगी 17 माल भरा बोगी भी एक के ऊपर एक चढ़कर पटरी से अलग होकर गिर गया। इस दुर्घटना में 150 मीटर पटरी टूट कर अलग हो गया। दुर्घटना की सूचना पाते ही रेल प्रशासन किरंदुल, दिल्लीराजहरा और कोरपुट से रिलिफ ट्रेनों सहिर्त ईंजन और वैगन उठाने योग्य के्रन मंगवाकर इस रेल लाईन को सुधारने काम शुरू किया। दुर्घटना की खबर विशाखापटनम में डीआरएम और भुवनेश्वर के अधिकारियों को दी गई और युध्दस्तर पर लाईन ठीक करने के लिए तत्काल स्टॉफ, ठेकेदार और मजदूर भेजे गये। रेलवे सूत्रों के अनुसार 150 मीटर दूरी तक इस मार्ग पर लगभग 33 स्थानों पर फिश प्लेल निकाल ली गई थी। जिससे यहां से गुजरते वक्त यह बड़ी हादसा हो गई। नक्सल प्रभावित इस इलाके में नक्सलियों के द्वारा किया गया यह पहली बड़ी वारदात होने का अंदेशा लगाई जा रही है।
डीआरएम विशाखापटनम की देखरेख में सुधार कार्य चल रहा है और वे मौके पर मौजूद रहकर काम करा रहे हैं। सोमवार की सुबह साढ़े 9 बजे क्षतिग्रस्त रेल ईंजन क्रमांक 21127 को क्रेन के द्वारा उठाकर पटरी में रखकर उसकी मरम्मत कार्य शुरू किया। इसके पश्चात ईंजन क्रमांक 21135 को क्रेन ने लगभग साढ़े 11 बजे के आसपास उठाकर पटरी में खड़े किया। लगभग 12 बजे के आसपास तीसरा ईंजन क्रमांक 31100 को के्रन ने पटरी पर लगा दिया। इन क्षतिग्रस्त ईंजनों का मरम्मत मौके पर ही की जा रही है। दुर्घटना के दौरान माल से भरे 17 डिब्बे एक के ऊपर एक चढ़कर क्षतिग्रस्त हो गया, उसे भी क्रेन के द्वारा निकाली जा रही है। दुर्घटनास्थल पर दो बिजली के पोल भी क्षतिग्रस्त हो गये। इस मार्ग पर अभी बिजली बंद है। डीआरएम दुर्घटनास्थल पर पहुंचकर स्वयं मरम्मत का कार्य का देखरेख कर रहे हैं। यहां बारूदीरोधी वाहन भी ला दिया गया है लेकिन इसका कोई उपयोग नहीं हो रहा है। इस दुर्घटना के कारणों के संबंध में रेल प्रशासन कुछ भी कहने से मना कर दिया है। यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित है और यहां पहली वारदात है जिसमें इतनी बड़ी क्षति हुई है। इस दुर्घटना में रेल प्रशासन को करोड़ों की क्षति हुई है वहीं माल परिवहन में बाधा उत्पन्न होने से एनएमडीसी और रेल प्रशासन को और अधिक हानि होने की सूचना है। रेलवे सूत्रों के अनुसार इस रेल लाईन का सुधार युध्द स्तर पर चल रहा है और यातायात पुन: स्थापित करने में लगभग 72 घंटा लगने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
इस घटना के संबंध में बस्तर एसपी सुंदरराज पी से इस प्रतिनिधि के चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि जगदलपुर से लगभग 40 किमी दूर यह दुर्घटना हुई है। उन्होंने कहा कि फिश प्लेट निकाला जाना ग्रामीणों का नहीं हो सकता है लेकिन इस घटना को नक्सली वारदात से जोड़कर कुछ कहना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि दुर्घटना के संबंध में जांच के बाद ही नक्सलियों के हाथ होने के संबंध में कुछ कहा जा सकता है लेकिन अभी इसकी पुष्टि किया जाना मुमकिन नहीं है।
रेल सूत्रों के अनुसार किरंदुल से लौह अयस्क लेकर वाल्टियर की लेकर मालगाड़ी जा रही थी। इसमें लगे तीनों ईंजन के सहारे मालगाड़ी गंतव्य की ओर अग्रसर हो रही थी इस दौरान दंतेवाड़ा और बस्तर जिले के सरहद पर स्थित सिलकजोड़ी रेलवे स्टेशन पार कर यह गाड़ी डिलमिली स्टेशन की ओर जा रही थी। इन दोनों स्टेशनों के मध्य स्थित बाटकुण्डा गांव पहुंचते ही तेज आवाज के साथ मालगाड़ी के तीनों ईंजन एक के बाद एक कर गिर गई और साथ ही साथ उसके पीछे लगी 17 माल भरा बोगी भी एक के ऊपर एक चढ़कर पटरी से अलग होकर गिर गया। इस दुर्घटना में 150 मीटर पटरी टूट कर अलग हो गया। दुर्घटना की सूचना पाते ही रेल प्रशासन किरंदुल, दिल्लीराजहरा और कोरपुट से रिलिफ ट्रेनों सहिर्त ईंजन और वैगन उठाने योग्य के्रन मंगवाकर इस रेल लाईन को सुधारने काम शुरू किया। दुर्घटना की खबर विशाखापटनम में डीआरएम और भुवनेश्वर के अधिकारियों को दी गई और युध्दस्तर पर लाईन ठीक करने के लिए तत्काल स्टॉफ, ठेकेदार और मजदूर भेजे गये। रेलवे सूत्रों के अनुसार 150 मीटर दूरी तक इस मार्ग पर लगभग 33 स्थानों पर फिश प्लेल निकाल ली गई थी। जिससे यहां से गुजरते वक्त यह बड़ी हादसा हो गई। नक्सल प्रभावित इस इलाके में नक्सलियों के द्वारा किया गया यह पहली बड़ी वारदात होने का अंदेशा लगाई जा रही है।
डीआरएम विशाखापटनम की देखरेख में सुधार कार्य चल रहा है और वे मौके पर मौजूद रहकर काम करा रहे हैं। सोमवार की सुबह साढ़े 9 बजे क्षतिग्रस्त रेल ईंजन क्रमांक 21127 को क्रेन के द्वारा उठाकर पटरी में रखकर उसकी मरम्मत कार्य शुरू किया। इसके पश्चात ईंजन क्रमांक 21135 को क्रेन ने लगभग साढ़े 11 बजे के आसपास उठाकर पटरी में खड़े किया। लगभग 12 बजे के आसपास तीसरा ईंजन क्रमांक 31100 को के्रन ने पटरी पर लगा दिया। इन क्षतिग्रस्त ईंजनों का मरम्मत मौके पर ही की जा रही है। दुर्घटना के दौरान माल से भरे 17 डिब्बे एक के ऊपर एक चढ़कर क्षतिग्रस्त हो गया, उसे भी क्रेन के द्वारा निकाली जा रही है। दुर्घटनास्थल पर दो बिजली के पोल भी क्षतिग्रस्त हो गये। इस मार्ग पर अभी बिजली बंद है। डीआरएम दुर्घटनास्थल पर पहुंचकर स्वयं मरम्मत का कार्य का देखरेख कर रहे हैं। यहां बारूदीरोधी वाहन भी ला दिया गया है लेकिन इसका कोई उपयोग नहीं हो रहा है। इस दुर्घटना के कारणों के संबंध में रेल प्रशासन कुछ भी कहने से मना कर दिया है। यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित है और यहां पहली वारदात है जिसमें इतनी बड़ी क्षति हुई है। इस दुर्घटना में रेल प्रशासन को करोड़ों की क्षति हुई है वहीं माल परिवहन में बाधा उत्पन्न होने से एनएमडीसी और रेल प्रशासन को और अधिक हानि होने की सूचना है। रेलवे सूत्रों के अनुसार इस रेल लाईन का सुधार युध्द स्तर पर चल रहा है और यातायात पुन: स्थापित करने में लगभग 72 घंटा लगने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
इस घटना के संबंध में बस्तर एसपी सुंदरराज पी से इस प्रतिनिधि के चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि जगदलपुर से लगभग 40 किमी दूर यह दुर्घटना हुई है। उन्होंने कहा कि फिश प्लेट निकाला जाना ग्रामीणों का नहीं हो सकता है लेकिन इस घटना को नक्सली वारदात से जोड़कर कुछ कहना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि दुर्घटना के संबंध में जांच के बाद ही नक्सलियों के हाथ होने के संबंध में कुछ कहा जा सकता है लेकिन अभी इसकी पुष्टि किया जाना मुमकिन नहीं है।
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