Monday, April 26, 2010

माओवादी गतिविधियों से झाड़ग्राम में 500 करोड़ का नुकसान

खड़गपुर। पंद्रहवीं शताब्दी (1560-1565) में जब क्षत्रिय चंद्रवंशी राजपूत चौहान राजा सर्वेश्वर मल्लदेव ने जब झाड़ग्राम रियासत बनायी थी तब उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन यहां का निवासी हर तरफ से अपने को असहाय महसूस करेगा। न खेती करने को मिलेगी और न व्यापार हो सकेगा। पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर जिले में 22.45 डिग्री उत्तर एवं 86.98 डिग्री पूर्व में स्थित झाड़ग्राम तहसील का अब जो हाल है वह किसी से छिपा नहीं रहा। यहां के लोगों से पूछने पर यही बात सामने आती है कि ठप हो गयी खेती, कारोबार का बुरा हाल। वहीं प्रशासनिक वर्ग में झाड़ग्राम की चर्चा करने पर यही जवाब मिलता है कि बंद हो गयी राजस्व उगाही, वन संपदा पर उठ रहे सवाल हैं। हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिंदबरम को प्रशासन की ओर से जो रिपोर्ट सौंपी गयी उसके मुताबिक नवंबर-08 से मार्च 2010 के बीच बंद, अवरोध व माओवादी गतिविधियों के कारण झाड़ग्राम तहसील को करीब पांच सौ करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है। इसमें शिक्षा, वन संपदा, परिवहन, राजस्व व कृषि सहित अन्य मदों को शामिल किया गया है। दो नवंबर, 08 को शालबनी में प्रस्तावित जिंदल इस्पात कारखाने का शिलान्यास कर वापस लौट रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य एवं तत्कालीन केंद्रीय इस्पात मंत्री रामविलास पासवान के काफिले पर हुए माओवादी हमले के बाद से यदि कोई सर्वाधिक प्रभावित हुआ है तो वह है झाड़ग्राम महकमा और यहां के लोग। पुलिस ने माओवादियों की धरपकड़ के लिए अभियान शुरू किया और इसका अंजाम भुगतना पड़ा निरीह ग्रामीणों को। आदिवासियों के हितों की रक्षा करने के लिए गठित हुई पुलिस संत्रास प्रतिरोध जन साधारण समिति ने भी बंद व अवरोध के बहाने झाड़ग्राम के कारोबार पर ही बुरा असर पहुंचाया। सरकारी रिकार्ड के मुताबिक तहसील की कुल आबादी 10,08,030 में एससी-एसटी वर्ग की जनसंख्या 4,88,072 है। इससे भलीभांति समझा जा सकता है कि यहां के लोगों का जीवन-स्तर कैसा होगा? तहसील के झाड़ग्राम, बीनपुर-1, 2, व 3, जामबनी, नयाग्राम, सांकराइल, गोपीबल्लभपुर-1 व 2 में से अधिकांश माओवादी हिंसा से प्रभावित हो चुके हैं। इस कारण सरकारी विभाग जहां राजस्व की वसूली नहीं कर पा रहा है वहीं ग्रामीणों का चूल्हा जलना भी मुश्किल हो गया है।

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