Monday, April 12, 2010

बस्तर : कौन पहुंचाता है नक्सलियों को रूपये और हथियार

संवेदनशील क्षेत्रों में चुनौतियों के मध्य कार्य

जगदलपुर ! बस्तर संभाग में आए दिन नक्सलियों द्वारा की जा रही विस्फोटक व हिंसक घटनाओं से बस्तर के जनमानस में अब यह बात कौंधने लगी है कि नक्सलियों के आर्थिक मददगार कौन हैं तथा गोला बारूद सहित हथियारों के जखीरे प्राप्त करने का श्रोत क्या हैं, उन पर कड़ी नजर कैसे रखी जाए ?


बस्तर संभाग के संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा बलों को गंभीर चुनौतियों के मध्य कार्य करना पड़ रहा है। आए दिन नक्सलियों द्वारा किए जा रही विस्फोट की घटनाओं से सुरक्षा बलों को अपने सुरक्षा संबंधी निर्देशों के पालन पर गंभीर रहकर हादसों को टालना अपेक्षाकृत आसान हो सकता है। विगत दिनों सुरक्षा बल के 84 जवानों की रोड ओपनिंग पार्टी नक्सली हमले का शिकार हो गई। बस्तर में नक्सली सुरक्षा बलों के साथ तू डाल-डाल और मैं पांत-पांत का खेल, खेल रहे हैं। नक्सली पात वितरण में माहिर हैं तभी जवान उनकी कुटिल चालों का शिकार हो गए।


नक्सलियों द्वारा बार-बार किए जाने वाले विस्फोटों के बाद यह विचारणीय प्रश् है कि नक्सलियों को गोलाबारूद एवं आर्थिक सहायता बस्तर के किन श्रोतों से प्राप्त हो रही है साथ ही बस्तर संभाग में हर बार सुरक्षा बलों द्वारा लिए गए फैसलों में ऐसी चूकों से बड़े-बड़े हादसे होते रहते हैं। प्रभावित क्षेत्रों के सुरक्षा बलों की हर पल की खबर नक्सली अपने पास रखते हैं और बार-बार सुरक्षा बलों के जवान उन्हें गाहे-बगाहे हादसों का मौका देते रहते हैं। सुरक्षा बलों की छोटी सी चूक की भारी कीमत चुकाने से शासन भी चिचिंत है और पुलिस अधिकारियों को प्रदेश के गृहमंत्री एवं मुख्यमंत्री अपने सुरक्षा बलों को इस प्रकार की चूक न करने की कडी हिदायत दे रहे हैं। देखना यह है कि बस्तर में तैनात सुरक्षा बल अपनी चूकों को सुधारेंगे या फिर यूं ही हादसों का सिलसिला चलता रहेगा।


इन नक्सली घटनाओं के पीछे दूसरे कारणों में जाने की जरूरत भी संबंधित विभाग को महसूस करने की आज नितांत आवश्यता है। बस्तर में नक्सलवाद को आर्थिक सहायता कहां से प्राप्त होती है, उन्हें गोला बारूद एवं हथियार कहां से प्राप्त होते हैं इन कारणों पर गौर करने की जरूरत है। गौरतलब है कि बस्तर में तेन्दूपत्ता के सीजन में ही नक्सली वारदातें क्यों जोर पकड़ती हैं और हमेशा से यह आरोप भी लगाया जाता रहा है कि बीड़ी पत्ता ठेकेदारों से माओवादियों की साठगांठ होने से ही तेन्दूपत्ता का व्यवसाय बस्तर में निर्विघ् संपन्न होता है। हर साल इस तरह के शिकायतों के बाद भी तथा बस्तर संभाग में पदस्थ कुछ निर्माण एजेंसियों एवं वन विभाग के कर्मचारी-अधिकारी जो बिना अंदर वालों के परमिशन के विभागीय कार्य संपन्न नहीं करा सकते वे करोडों रूपए का खर्च किस तरह इन क्षेत्रों में दर्शाते हैं, जहां पर नक्सली खौफ के चलते कोई भी अधिकारी, कर्मचारी विकास कार्य संपन्न नहीं कराते। यह एक विचारणीय प्रश् है और वक्त की जरूरत है उन कारणों में जाने की जिससे बस्तर में नक्सलियों को रसद, आर्थिक सहायता, गोला बारूद तथा हथियार कहां से प्राप्त होते हैं।

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