उत्तर मिदनापुर । माओवादियों और आतंकी समूहों से कारगर तरीके से निपटने के लिए राज्य सरकार ने 67 करोड़ रुपये मंजूर किये हैं। विदित हो कि लालगढ़ इलाके के शिल्दा ईएफआर कैम्प पर माओवादियों के हमले के मद्देनजर सरकार ने सुरक्षा तैयारी पर इतनी बड़ी रकम खर्च करने का निर्णय लिया है। राज्य के गृह सचिव अद्र्धेदु सेन ने पुलिस महकमे की मांगों पर विचार करने के बाद उक्त राशि मंजूर की है, जबकि पुलिस विभाग की मांग 91 करोड़ रुपये थे। इसके अलावा राज्य पुलिस को केंद्र सरकार के कोष से भी आर्थिक मदद मिलती है। वैसे सरकार का लक्ष्य एक सौ करोड़ रुपये खर्च करने की है। इसके बावजूद पुलिस को शक्तिशाली व सक्षम बनाने के लिए लगातार कई प्रस्ताव आ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि चालू वित्ता वर्ष में माओवादी गतिविधियों से प्रभावित इलाकों में छापामार कार्रवाईयों के लिए दो हजार एके 47 राइफल, बुलेट प्रूफ जैकेट, 7।47 करोड़ रुपये की अत्याधुनिक बख्तरबंद गाड़ी, 1।9 करोड़ लागत वाली चार विशेष लाइट, 30 अत्याधुनिक मोटरसाइकिल, चार बुलेट प्रूफ मारूति जिप्सी दिये गये हैं। पुलिस व गृह विभाग के सूत्रों के अनुसार जिस तरह से सूबे में आतंकी हमले व माओवादी गतिविधियों की आशंका जतायी जा रही है, उससे सुरक्षा संबंधी तैयारियों को बढ़ाना लाजिमी हो गया है। सूत्रों का कहना है कि यदि सरकार ने यह कदम पहले उठाया होता तो आज राज्य में माओवादी या आतंकी गतिविधियों ने इतनी रफ्तार नहीं पकड़ी होती। सुरक्षा जनित खामियों के चलते जंगल इलाकों में माओवादी अपनी जड़ों को मजबूत करने में सफल रहे हैं। इसीलिए अब संयुक्त सुरक्षा बल को माओवादियों से जूझने में परेशानी हो रही है। रोजाना जंगल इलाकों में 40 लाख रुपये इन अभियानों पर खर्च हो रहे हैं। कुल 15 हजार फोर्स इन अभियानों में संलग्न है। विगत दस माह के दौरान इन बलों पर न्यूनतम 120 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। एक सौ करोड़ से अधिक की राशि खर्च करने के बाद सुरक्षा बल मात्र 400 लोगों को गिरफ्तार करने में सफलता पायी है। लेकिन इन गिरफ्तार लोगों में कितने सक्रिय माओवादी हैं इसमें संदेह है। जबकि माओवादी 170 लोगों की जान ले चुके हैं। बहरहाल देखना है कि इस गंभीर चुनौती का सामना करने की दिशा में सरकार योजनाबद्ध तरीके से कहां तक सक्षम हो पाती है।
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