Tuesday, January 12, 2010

प्रशांत भूषण सिरफिरे व्यक्ति हैं - नागेन्द्र दुबे

रायपुर । राजधानी की शैक्षणिक एवं सामाजिक संस्थान टापर्स एजुकेशन सोसायटी ने एक बैठक कर सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता, नक्सली एवं हिंसा समर्थक मानवाधिकार कार्यकर्ता के उस बयान की कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा है कि प्रशांत भूषण एक ऐसे सिरफिरे व्यक्ति हैं जिन्हें नक्सली हिंसा एवं विकास कार्यों में बाधा दिखाई नहीं दे रही है और वे नक्सलियों की वकालत करते हुए उन्हें भड़का रहे है कि वे राज्य के पुलिस प्रमुख को गोली मार दें । यह कितना हास्यास्पद बयान है कि स्वयं एक वकील द्वारा हत्या की वकालत की जा रही है। जो कभी बस्तर गया नहीं और वहाँ की स्थितियों को देखा नहीं, कुछ किताबें पलटकर राज्य सरकार को एकतरफा कटघरे में खड़े करने की नाकाम कोशिश कर रहा है । प्रशांत भूषण कहाँ था जब एसपी सहित 29 लोगों की निर्मम हत्या कर दी जाती है । जब ऐर्राबोर में नक्सलियों द्वारा नन्हे बच्चों का कत्लेआम किया जा रहा था तब ऐसे छद्म मानवाधिकार कहाँ थे, यह भी श्री भूषण को जानना चाहिए । हिमांशु कुमार जैसे नक्सली समर्थक का पक्ष लेनेवाले वकील को यह भी नहीं पता कि हिमांशु कुमार अपने द्वारा ही आयोजित कथित जनसुनवाई के पहले ही फरार हो जाते हैं । हिमांशु कुमार की तरह श्री भूषण भी माओवाद को राज्य में विकसित करने का असफल प्रयास कर रहे हैं । प्रशांत भूषण जैसे लोग सलवा जुडूम, जो आदिवासियों का आंदोलन था के खिलाफ भी बोलकर आदिवासियों का घोर अपमान कर रहे हैं । प्रशांत भूषण जैसे विक्षप्ति लोग आपरेशन ग्रीन हंट और सलवा जुडूम को बंद करने का तर्क देते हैं किन्तु माओवादी नक्सली हिंसा का समर्थन करते हैं । ऐसे सिरफिरे वकीलों का सोसायटी सदैव विरोध करती रहेगी । सोसायटी की ओर से प्रशांत भूषण की घोर निंदा करने वालों में– समीना खान, हेमंचद्र तारक, सुरेश तारक, बृजेश चौबे, बृजेन्द्र चौबे, नरेन्द्र दुबे, अनिल नायडू आदि कार्यकर्ता प्रमुख हैं ।

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