Friday, January 22, 2010

सीमाओं में ही दबोचे जाएँगे नक्सली

नक्सलवाद पर शुक्रवार को मंत्रालय में आयोजित बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्री पी। चिदंबरम ने पत्रकारों को संबोधित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक तथा महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री आरआर पाटिल सहित अन्य अफसर उपस्थित थे। छत्तीसगढ़, उड़ीसा और महाराष्ट्र अब अपनी- अपनी सीमाओं में नक्सलियों को दबोचने की रणनीति पर काम करेंगे। इसके लिए तीनों राज्य की सीमाओं पर हथियार, रसद और आवाजाही पर खास नजर रखी जाएगी। संयुक्त अभियान में जल्द ही झारखंड भी शामिल होगा। नक्सलियों से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ में आईटीबीपी की एक और बटालियन तैनात होगी। नक्सलियों से राज्यों की पुलिस और केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बल ही मुकाबला करेंगे। इनके खिलाफ सेना का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।केंद्रीय गृह मंत्री पी। चिदंबरम ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के मुख्यमंत्री तथा महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री व संबंधित राज्यों के अधिकारियों व अर्द्ध सैनिक बलों के आला अधिकारियों की बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि तीनों राज्य नक्सलियों के खिलाफ संयुक्त अभियान चलाने पर सहमत हैं। इस अभियान में झारखंड को शामिल करने के लिए वहाँ के मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को २८ जनवरी को चर्चा के लिए दिल्ली बुलाया गया है। आंध्रप्रदेश ने नक्सलियों पर अंकुश लगा रखा है। इस वजह से वहाँ के मुख्यमंत्री व अफसरों को बैठक में नहीं बुलाया गया। श्री चिदंबरम ने कहा कि संयुक्त अभियान पूरी तरह विकास आधारित है। प्रभावित इलाकों को नक्सलियों से मुक्त करा कर वहाँ सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य सेवाएँ और स्कूल, पंचायत भवन जैसी बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँगी।
प्रभावित राज्यों के ३३ जिलों को चिन्हित किया गया है जो नक्सली आतंक के कारण वर्षों से विकास कार्य के क्रियान्वित नहीं होने से काफी पिछड़ गए हैं। इनके विकास के लिए राज्य सरकारों को केंद्र ने पिछड़ा क्षेत्र विकास निधि से राशि जारी की है। उन्होंने कहा कि इन इलाकों के विकास के लिए धन की कमी समस्या नहीं बनेगी।केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नक्सलियों के विदेशों से संबंध होने का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है, लेकिन तस्करी के जरिए विदेशों से हथियार मंगाए जाने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। श्री चिदंबरम ने कहा कि नक्सली हिंसा और हत्याओं में संलिप्तता छोड़ दें तो उनसे बातचीत की जा सकती हैं। गुヒवार को नारायणपुर में नक्सलियों द्वारा की गई दो स्कूली बच्चों की हत्या का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि नक्सलियों की न तो कोई विचारधारा है और न ही वे विकास चाहते हैं। इसी वजह से उन्होंने सेना में भर्ती होने जा रहे इन दोनों बच्चों को मार दिया।
जनसुनवाई की सूचना ही नहीं दी : दंतेवाड़ा में वनवासी चेतना आश्रम द्वारा आयोजित जनसुनवाई में नहीं आने के संबंध में पूछे जाने पर श्री चिदंबरम ने बताया कि आश्रम के हिमांशु कुमार ने दिल्ली आकर मुझे जनसुनवाई के लिए आमंत्रित किया था। उन्होंने साफ कर दिया था कि मुख्यमंत्री अगर इस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे तभी वे शामिल होंगे। श्री चिदम्बरम ने कहा कि यह शर्त रखे जाने के बाद संगठन के लोगों ने उनसे सम्पर्क नहीं किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण का राजभवन से लेना देना नहीं है। जहाँ तक राजभवन से चर्चा का सवाल है, तो राज्यपालों से सप्ताह में कम से कम एक बार विभिन्ना विषयों पर चर्चा होती रहती है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है।
(नई दुनिया, रायपुर, २३ जनवरी, २०१० से साभार)

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