Sunday, January 17, 2010

वकील प्रशांत भूषण की आईपीएस एशोसियेशन द्वारा निंदा


रायपुर । आईपीएस एशोसियेशन की छत्तीसगढ़ इकाई ने एक आपातकालीन बैठक बुलाकर सुप्रीम कोर्ट के वकील द्वारा राज्य के पुलिस महानिदेशक श्री विश्वरंजन के नक्सलियों द्वारा मारे जाने या जेल में होने जैसी टिप्पणी पर कड़ा विरोध कर निंदा की है ।

एशोसियेशन की पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि भारतीय संविधान की रक्षा और कानून के पेशे से जुड़े तथा सुप्रीम कोर्ट जैसे देश के सर्वोच्च न्यायिक इकाई से जुड़े प्रशांत भूषण जैसे वकील द्वारा पुलिस विभाग के प्रमुख के विरूद्ध दिया गया बयान मर्यादा, मानवीय गरिमा के विपरीत है । प्रशांत भूषण का यह बयान ज़मीनी हक़ीक़त से परे और माओवादी समर्पण की परिकल्पना पर आधारित है । प्रशांत भूषण ने इस तथ्य को नज़रअंदाज़ किया है कि छ्त्तीसगढ़ में माओवाद की नींव ही भय और हिंसा पर केंद्रित है । ऐसे बयान में नक्सलवाद को बढ़ावा देने की अनुगूँजें सुनाई देती हैं जो बस्तर में शांति स्थापना और आदिवासियों के संवैधानिक विकास के लिए जारी नक्सली आपरेशन की सफलता से घबराकर घृणास्पद टिप्पणी है । प्रशांत भूषण का बयान इस बात का संकेत है कि कानून का सहारा लेकर कुछ समाजविरोधी एवं प्रजातंत्रविरोधी लोग देश में माओवादी विचारधारा सहित हिंसक गतिविधियों को मान्यता दिलाना चाहते हैं ।

एशोसियेशन की विज्ञप्ति में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ पुलिस प्रदेश और ख़ासकर नक्सली समस्या से ग्रस्त बस्तर, राजनांदगाँव, सरगुजा जिले में शांति को बहाल कर विकास के लिए जमीन तैयार करने के लिए कटिबद्ध है । छत्तीसगढ़ पुलिस न तो आदिवासियों या ग्रामवासियों के खिलाफ़ लड़ रही है न ही संविधान, कानून, न्याय, शांतिपूर्ण विकास पर विश्वास करने वालों के खिलाफ़ लड़ रही है । पुलिस की लड़ाई नक्सलियों द्वारा की जा रही हिंसा, दमन, अत्याचार, वारदात जैसे संविधान विरोधी दुष्कृत्यों के ख़िलाफ़ है । शांति स्थापित करने के लिए डीजीपी विश्वरंजन के रूप में एक आईपीएस तो क्या राज्य में कार्यरत समस्त आईपीएस अधिकारी राष्ट्रहित में प्राणों की आहुति देकर भी अपनी उच्चतम सेवाओं को रेखांकित करने के लिए तत्पर रहेंगे ।

एशोसियेशन की ओर से अध्यक्ष श्री रामनिवास, गिरिधारी नायक, दुर्गेश माधव अवस्थी, एम.डब्ल्यू अंसारी, ए. एन. उपाध्याय, आनंद तिवारी, राजीव श्रीवास्तव, आर.के.विज, मुकेश गुप्ता, संजय पिल्लै, राजेश मिश्रा, बी.एस.मरावी, रमेश शर्मा, पी.एन.तिवारी, लांगकुमेर, पवनदेव, अरुणदेव गौतम, राजकुमार देवांगन, एम. पी. चौधरी, एस.पी.कल्लूरी, हिमांशु गुप्ता, जी.पी.सिंह, जयंत थोरात, विवेकानंद, आनंद छावड़ा, अमित कुमार, दीपांशु काबरा, राहुल शर्मा, अंकित गर्ग, अभिषेक पाठक, वी.पी.पौशार्य, पुरुषोत्तम गौतम आदि आईपीएस अधिकारियों ने वकील श्री भूषण के ख़िलाफ अपना विरोध प्रकट किया है ।
(स्थानीय अखबारों से संदर्भित)

1 comment:

  1. I.P.S association se hamari gujaris hai ki vo bhrashtachar band kar de to unke chetro mein maav vaad svath band ho jayega naukar shaho aur rajnetaon ne jab unke hisse ki roti chhin li hai to unke pass koi chara nahi hai vartmaan mein kisi bhi naukarshah ki nispaksh jaanch agar kara di jaaye to aay se adhik sampatti rakhne k apradhi hain . apradhiyon ki jagah jail hoti hai apne girebaan mein jhakne k baad apni ninda kar lein yahi uchit hoga.

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