नई दिल्ली ।नक्सलवाद से निपटने के मुद्दे पर गृह मंत्री पी. चिदंबरम के यू टर्न से खफा भाजपा ने अब उन पर ही निशाना साधा है। पार्टी ने दो टूक कहा है कि चिदंबरम पहले तो सीमित अधिकार की बात कहकर कड़े तेवर दिखा रहे थे, लेकिन जब उन्हें अपने ही दल व गठबंधन में समर्थन नहीं मिला तो नक्सलवाद से निपटने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाल पीछे हट गए।
गृह मंत्री का यह रवैया संवैधानिक व राजनीतिक दोनों तरह से उचित नहीं है और यह उनकी अब तक की छवि के विपरीत है। नक्सली हिंसा के निपटने के मामले में भाजपा शुरू से ही गृहमंत्री पी. चिदंबरम के साथ खड़ी रही है, लेकिन उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पार्टी ने एक बयान जारी कर कहा है कि अभी तक चिदंबरम इस मुद्दे पर ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे थे, लेकिन अब वह अपनी पार्टी के दवाब में इस तर्क की आड़ ले रहे हैं कि माओवाद से निपटने की मुख्य जिम्मेदारी राज्यों की है। केंद्र का काम केवल सहायक की भूमिका निभाने का है।
भाजपा ने दो टूक कहा कि राज्य में केंद्रीय बलों को भेजना भर केंद्र की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि उनकी तैनाती भी उसके हिस्से में आती है। ऐसे में केंद्र सरकार किसी भी सूरत में अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती है। भाजपा ने कहा कि अभी 17 मई को चिदंबरम ने कहा था कि वह माओवाद के खिलाफ लड़ाई में वायु सेना के इस्तेमाल के लिए अपनी सरकार को मनाने का प्रयास करेंगे। इसी दिन चिदंबरम ने यह शिकायत भी की थी कि सुरक्षा संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति ने माओवाद के विरुद्ध लड़ाई में उन्हें सीमित अधिकार दिया है। जबकि उन्होंने व्यापक अधिकार की मांग की थी।
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