दंतेवाड़ा में नक्सलियों के दूसरे बड़े हमले के बावजूद केंद्र सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए नक्सलियों से बातचीत की अपनी अपील दोहराई है। केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा- दंतेवाड़ा में निर्दोष लोगों के मारे जाने की शर्मनाक घटना के बावजूद सरकार बातचीत के लिए तैयार है, बशर्ते नक्सली सिर्फ ७२ घंटे के लिए अपनी हिंसा पूरे देश में रोक दें।
श्री चिदंबरम ने कहा- मैंने यह पेशकश पहले भी की थी। दंतेवाड़ा में सुरक्षा बलों पर नक्सली हमले के बाद जब ११ मई को स्वामी अग्निवेश मुझसे मिले थे तब भी मैंने यह पेशकश की थी। गृहमंत्री ने कहा कि वे सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु और छत्तीसगढ़ के डॉ। विनायक सेन से भी कह चुके हैं कि अगर नक्सली नेतृत्व के साथ उनका कोई संपर्क है तो सरकार की यह बात उन तक वे पहुँचा दें। एक निजी टीवी चैनल के साथ बातचीत में श्री चिदंबरम ने कहा कि नक्सली खुद तारीख तय करें।
वे चाहें तो १ जून की तारीख तय कर सकते हैं। सुरक्षा बल भी उनके खिलाफ अपने ऑपरेशन रोक देंगे। इन ७२ घंटों के दौरान केंद्र सरकार सभी संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करके उनकी रिपोर्ट लेगी। अगर ७२ घंटे शांति से गुजर गए तो सरकार नक्सलियों के प्रतिनिधियों से बातचीत शुरू करेगी। श्री चिदंबरम ने उम्मीद जाहिर की कि अगर नक्सली वास्तव में बातचीत के प्रति गंभीर हैं तो समस्या का समाधान हो सकता है। गृहमंत्री ने माना कि पहलेनक्सलवादियों के खतरे को गंभीरता से न लेने की वजह से उन्हें अपनी ताकत और प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने का मौका मिल गया। अब इस समस्या से निपटने में कम से कम दो से तीन साल लगेंगे।
श्री चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस और सरकार में नक्सल नीति को लेकर कोई मतभेद नहीं है। उन्होंने कहा कि पंचायत राज सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह के भाषण और कांग्रेस के मुखपत्र "कांग्रेस संदेश" में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के पत्र के बाद यह बहस पूरी हो गई है।
श्री चिदंबरम ने कहा- मैंने यह पेशकश पहले भी की थी। दंतेवाड़ा में सुरक्षा बलों पर नक्सली हमले के बाद जब ११ मई को स्वामी अग्निवेश मुझसे मिले थे तब भी मैंने यह पेशकश की थी। गृहमंत्री ने कहा कि वे सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु और छत्तीसगढ़ के डॉ। विनायक सेन से भी कह चुके हैं कि अगर नक्सली नेतृत्व के साथ उनका कोई संपर्क है तो सरकार की यह बात उन तक वे पहुँचा दें। एक निजी टीवी चैनल के साथ बातचीत में श्री चिदंबरम ने कहा कि नक्सली खुद तारीख तय करें।
वे चाहें तो १ जून की तारीख तय कर सकते हैं। सुरक्षा बल भी उनके खिलाफ अपने ऑपरेशन रोक देंगे। इन ७२ घंटों के दौरान केंद्र सरकार सभी संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करके उनकी रिपोर्ट लेगी। अगर ७२ घंटे शांति से गुजर गए तो सरकार नक्सलियों के प्रतिनिधियों से बातचीत शुरू करेगी। श्री चिदंबरम ने उम्मीद जाहिर की कि अगर नक्सली वास्तव में बातचीत के प्रति गंभीर हैं तो समस्या का समाधान हो सकता है। गृहमंत्री ने माना कि पहलेनक्सलवादियों के खतरे को गंभीरता से न लेने की वजह से उन्हें अपनी ताकत और प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने का मौका मिल गया। अब इस समस्या से निपटने में कम से कम दो से तीन साल लगेंगे।
श्री चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस और सरकार में नक्सल नीति को लेकर कोई मतभेद नहीं है। उन्होंने कहा कि पंचायत राज सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह के भाषण और कांग्रेस के मुखपत्र "कांग्रेस संदेश" में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के पत्र के बाद यह बहस पूरी हो गई है।
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