लखनऊ. प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने नक्सली समस्या से प्रभावित क्षेत्रों के प्रभावी निदान की ओर न तो कोई ध्यान दिया और न ही कोई सार्थक कदम उठाया। उन्होंने कहा कि बुनियादी सुविधाओं के अभाव में राय के कुछ जनपदों में नक्सलवाद धीरे-धीरे पनपा। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में व्याप्त भीषण गरीबी, बेरोजगारी, स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाओं के अभाव के कारण यहां के लोग अपने को उपेक्षित महसूस करने के कारण मजबूरीवश नक्सलवाद के समर्थक बन गये। उन्होंने इसके लिए केन्द्र और राय की पूर्व सरकारों की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। मुख्यमंत्री ने आशंका व्यक्त की कि प्रदेश के कुछ पिछडे क्षेत्रों जैसे- बुंदेलखंड तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में नक्सलवाद की समस्या पुन: पनप सकती है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों के विकास के लिए उनके स्तर से केन्द्र सरकार को बार-बार पत्र लिखकर विकास कार्यों के लिए आर्थिक मदद देने की मांग की, किन्तु केन्द्र द्वारा इस संबंध में कोई ठोस कार्यवाही आज तक नहीं की गयी। उन्होंने कहा कि इसके कारण इन क्षेत्रों के पिछड़ेपन और यहां की बुनियादी सुविधाओं के विकास कार्यों को त्वरित गति से लागू नहीं किया जा पा रहा है। मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि प्रदेश में नक्सलवाद की समस्या केवल कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं है। उनकी सरकार ने नक्सलवाद को आर्थिक तथा सामाजिक समस्या के रूप में देखकर इसके प्रभावी निदान की पहल की है। प्रदेश के मिर्जापुर, सोनभद्र तथा कुछ अन्य जिले नक्सल प्रभावित रायों से सटे होने के कारण इस समस्या से ग्रस्त हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्य विकास कार्यों के अन्तर्गत उनकी सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को विकास कार्यों से जोड़ने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं। इसी कड़ी में सरकार ने इन क्षेत्रों में उपलब्ध उप खनिज क्षेत्रों में से एक तिहाई खनन क्षेत्रों के लिए पट्टा ऐसे स्वयं सहायता समूहों को देने का निर्णय लिया, जिनके सदस्य उसी ग्राम के निवासी हों जिस क्षेत्र में ऐसा पट्टा क्षेत्र स्थित है। उन्होंने कहा कि इसके लिए यह भी तय किया गया है कि इन स्वयं सहायता समूहों में कम से कम एक तिहाई सदस्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति के हों। उन्होंने कहा कि नक्सल प्रभावित मिर्जापुर, सोनभद्र, चन्दौली, देवरिया, कुशीनगर, मऊ, बलिया तथा गाजीपुर जनपदों में पिछले तीन वर्षों में लगभग 54 हजार हैण्डपम्प स्थापित किये गये। इन आठ नक्सल प्रभावित जनपदों में 19,181 आवंटियों को कृषि पट्टे आवंटित किये गये। इसी प्रकार 31,532 परिवारों को आवास स्थल आवंटित किये गये तथा 2618 लोगों को मत्स्य पालन के लिए पट्टे प्रदान किये गये हैं।
Wednesday, May 19, 2010
नक्सलियों से निपटने में कमजोर केन्द्र- मायावती
लखनऊ. प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने नक्सली समस्या से प्रभावित क्षेत्रों के प्रभावी निदान की ओर न तो कोई ध्यान दिया और न ही कोई सार्थक कदम उठाया। उन्होंने कहा कि बुनियादी सुविधाओं के अभाव में राय के कुछ जनपदों में नक्सलवाद धीरे-धीरे पनपा। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में व्याप्त भीषण गरीबी, बेरोजगारी, स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाओं के अभाव के कारण यहां के लोग अपने को उपेक्षित महसूस करने के कारण मजबूरीवश नक्सलवाद के समर्थक बन गये। उन्होंने इसके लिए केन्द्र और राय की पूर्व सरकारों की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। मुख्यमंत्री ने आशंका व्यक्त की कि प्रदेश के कुछ पिछडे क्षेत्रों जैसे- बुंदेलखंड तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में नक्सलवाद की समस्या पुन: पनप सकती है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों के विकास के लिए उनके स्तर से केन्द्र सरकार को बार-बार पत्र लिखकर विकास कार्यों के लिए आर्थिक मदद देने की मांग की, किन्तु केन्द्र द्वारा इस संबंध में कोई ठोस कार्यवाही आज तक नहीं की गयी। उन्होंने कहा कि इसके कारण इन क्षेत्रों के पिछड़ेपन और यहां की बुनियादी सुविधाओं के विकास कार्यों को त्वरित गति से लागू नहीं किया जा पा रहा है। मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि प्रदेश में नक्सलवाद की समस्या केवल कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं है। उनकी सरकार ने नक्सलवाद को आर्थिक तथा सामाजिक समस्या के रूप में देखकर इसके प्रभावी निदान की पहल की है। प्रदेश के मिर्जापुर, सोनभद्र तथा कुछ अन्य जिले नक्सल प्रभावित रायों से सटे होने के कारण इस समस्या से ग्रस्त हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्य विकास कार्यों के अन्तर्गत उनकी सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को विकास कार्यों से जोड़ने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं। इसी कड़ी में सरकार ने इन क्षेत्रों में उपलब्ध उप खनिज क्षेत्रों में से एक तिहाई खनन क्षेत्रों के लिए पट्टा ऐसे स्वयं सहायता समूहों को देने का निर्णय लिया, जिनके सदस्य उसी ग्राम के निवासी हों जिस क्षेत्र में ऐसा पट्टा क्षेत्र स्थित है। उन्होंने कहा कि इसके लिए यह भी तय किया गया है कि इन स्वयं सहायता समूहों में कम से कम एक तिहाई सदस्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति के हों। उन्होंने कहा कि नक्सल प्रभावित मिर्जापुर, सोनभद्र, चन्दौली, देवरिया, कुशीनगर, मऊ, बलिया तथा गाजीपुर जनपदों में पिछले तीन वर्षों में लगभग 54 हजार हैण्डपम्प स्थापित किये गये। इन आठ नक्सल प्रभावित जनपदों में 19,181 आवंटियों को कृषि पट्टे आवंटित किये गये। इसी प्रकार 31,532 परिवारों को आवास स्थल आवंटित किये गये तथा 2618 लोगों को मत्स्य पालन के लिए पट्टे प्रदान किये गये हैं।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment