Wednesday, May 19, 2010

जब एसपीओ ने ड्रायवर बन बचाई कई जानें

रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों ने बस को निशाना बनाकर जहां आम लोगों को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया वहीं बस में कुछ ऐसे जांबाज विशेष अधिकारी भी थे जिन्होंने न केवल नक्सलियों को वहां से खदेड़ा बल्कि ड्रायवर बन घायल लोगों को अस्पताल भी पहुंचाया।

दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय से सुकमा कस्बे की ओर रवाना हुए यात्रियों और नक्सल विरोधी अभियान से वापस लौट रहे विशेष पुलिस अधिकारियों को शायद इस बात का अंदेशा नहीं था कि आने वाले दूसरे घंटे में उनके सामने भयानक मौत नाचेगी।

नक्सली हमले में घायल यात्रियों के मुताबिक जब दंतेवाड़ा से यात्री बस करीब सवा दो बजे सुकमा के लिए रवाना हुई तब उसमें सवार लोगों को भारी गर्मी से कुछ राहत मिली। बस जब कुछ दूर पहुंची तब गादीरास गांव के करीब उसे कुछ वर्दीधारी एसपीओ ने रोक लिया और वे बस के भीतर तथा कुछ छत पर सवार हो गए।

बस जब कुछ दूर भूसारास गांव से आगे चिंगावरम के पास पहुंची तब लगभग पौने पांच बज रहे थे और इसी दौरान जोरदार धमाका हुआ और लोगों की चीखें सुनाई देने लगी। इसके बाद घटनास्थ्ल पर कोहराम मच गया और सामने मंजर दहला देने वाला था।

बस में सवार एक विशेष पुलिस अधिकारी वटटी ने बताया कि बस में जब धमाका हुआ तो बस वहां से उछली तथा उसका पिछला हिस्सा छत विक्षत हो गया था। इसमें सवार कुछ यात्रियों के चिथड़े उड़ गए थे तथा कुछ बाहर दूर तक छिटक गए थे। इस दौरान वह वहीं पड़ा था और उसने देखा कि लगभग चार की संख्या में ए क 47 बंदूकधारियों ने गोली चलाना शुरू कर दिया। इस दौरान कुछ और एसपीओ वहां थे और उनके पास इंसास रायफल भी था। एसपीओ ने भी जवाबी कार्रवाई की और पीछे से आ रहे अन्य एसपीओ ने भी उनका साथ दिया तब नक्सली वहां से भाग गए। बटटी कहते हैं कि जब यह घटना उनके सामने हुई तब वे लहुलुहान थे और उन्हें लग रहा था कि जल्द ही उनकी जान चली जाएगी। बटटी अभी सुकमा के अस्पताल में भर्ती है।

राज्य के पुलिस प्रवक्ता पुलिस महानिरीक्षक आर के विज कहते हैं कि एसपीओ ने यदि मोर्चा नहीं सम्भाला होता तब शायद नक्सली सभी लोगों को मार देते तथा हथियार भी लूट लेते।

विज बताते हैं कि घायल एसपीओ के पास आटोमेटिक बंदूकें थी और उन्होंने घायल अवस्था में ही नक्सलियों का मुकाबला किया वहीं इसी दौरान पीछे से एक अन्य गाड़ी में और एसपीओ तथा एसपीओ से सिपाही बने कुछ अन्य जवान वहां आ गए और उन्होंने घायलों के आसपास घेरा बना लिया जिससे नक्सली नजदीक आकर शवों को क्षत-विक्षत न कर सकें ओर हथियार नहीं लूट सकें।

अधिकारी बताते हैं कि जब नक्सली वहां से भाग गए तब यहां मौजूद एसपीओ ने जीप को रोका और घायलों को सुकमा ले जाने की गुहार लगाई जब डरा हुआ वाहन चालक राजी नहीं हुआ तब वह खुद ही ड्रायवर सीट पर बैठा और घायलों को सुकमा पहुंचाया और उनकी जान बचाई।

विज बताते हैं कि इस हमले के दौरान एक बात और सामने आई है कि एसपीओ और उसके साथी जवान न तो वहां से भागे और न ही पीठ दिखाई।

बिज के मुताबिक राज्य में अभी लगभग चार हजार विशेष पुलिस अधिकारी कार्यरत हैं और यह बस्तर में नक्सलियों से लोहा ले रहे अर्धसैनिक बल और पुलिस जवानों की आंख के रूप में काम कर रहे हैं और शायद यही कारण है कि नक्सली इन्हें आंख की किरकिरी मान रहे है।

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