Thursday, May 20, 2010

बंदूक तलवार से हम कभी भी शांति नहीं ला सकते है: अधोक्षानंद जी

पुरी। देश के विभिन्न भागों में हो रहे संत्राशवाद और आतंकवाद की घटना देश के लिए चिंता का विषय है। आतंकवाद कार्यकलाप के साथ नक्सलपंथी हिंसा देश के शांत वातावरण को भंग कर रही है। आतंकवाद और नक्सल समस्या का समाधान निहायत जरूरी है। देश के साधु संतो ने अपने स्तर पर इस समस्या के समाधान के लिए अपने स्तर पर प्रयास शुरू किया है। आतंकवादी कार्यकलाप सरकार और सभी देश वासियों के लिए एक चुनौती है। सरकार को इस चुनौती से निपटने के लिए कदम उठाना चाहिए। साधु-संत, बुद्धिजीवी और जागरूक व्यक्तियों को मिलकर इस समस्या के समाधान हेतु प्रयास करना चाहिये। पुरी गोब‌र्द्धनपीठ के असली शंकराचार्य के रूप में दावेदार स्वामी अधोक्षानंद जी महाराज ने यह मत व्यक्त किया है। भगवान आदि शंकराचार्य के जयंती के अवसर पर आश्रम में तीन दिवसीय अनुष्ठान सम्पन्न होने के अवसर पर स्वामी जी ने बताया कि देश में आतंकवादी घटनाएं हो रही है और हाल ही में देश के विभिन्न हिस्सों में नक्सली हिंसा में मारे गए शहीदों की आत्मा शांति के लिए आश्रम में प्रार्थना किया गया है। उनके परिवरों को सम्भलने के लिए आराधना की गयी है। अधोक्षानंद जी ने पत्रकारों को बताया कि देश के किसी भी हिस्से में आतंकवादी घटनाएं नहीं होनी चाहिए। जब तक यह जारी रहेगा, सरकारी व्यवस्था और धर्म के लिए शर्मनाक है। सरकार जिस तरह आतंकवाद को चुनौती के रूप में स्वीकार कर काम कर रही है। वैसे ही हम धार्मिक तरीके से पूरे देश में ऐसा अभियान शुरू करने वाले है। जिससे हमारे भटके हुए नौजवान मुख्यधारा में लौट आएं और देश के निर्माण में अपनी शक्ति का प्रयोग करे। दूसरी ओर हम सरकार से ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कर रहे है कि अपने ही लोगों को मारकर विजश्री नहीं मिलती है। भटके हुए युवाओं को कानूनी मुख्य धारा में लाने के लिए कानूनी कार्रवाई की जाए। हालांकि वह हमारे बच्चे है, इसको ध्यान में रखना चाहिए। उन्हे वापस विश्वास में लाने के लिए दोनों ही पक्ष के सबसे पहले मध्यस्थ को विश्वास दिलाना जरूरी है। आगामी रथयात्रा के आयोजन के बारे में उल्लेख करते हुए अधोक्षानंद जी महाराज ने कहा कि पिछले साल रथयात्रा में भगदड़ में 6 भक्तों की मौत हो गयी थी। ऐसा दुबारा नहीं होना चाहिए। इसके लिए केन्द्रांचल राजस्व आयुक्त ने नीचे से ऊपर तक सभी अधिकारी, सेवायत और अन्य लोगों के साथ समन्वय बनाकर रथयात्रा का परिचालन करना आवश्यक है।

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