Saturday, May 22, 2010

माओवादी संगठन में बच्चों की भर्ती चितांजनक

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत में माओवादियों द्वारा अपने संगठन में बच्चों की भर्ती पर गहरी चिंता प्रकट की है और कहा है कि इस बात की विश्वसनीय रिपोर्ट है कि कुछ बच्चे जबरदस्ती स्कूल से भर्ती कर लिए जाते हैं।

सशस्त्र संघर्ष पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों में माओवादियों द्वारा सशस्त्र संघर्ष में बच्चों का इस्तेमाल बहुत ही चिंताजनक है। इस अंतरराष्ट्रीय संगठन ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा है कि अक्टूबर, 2009 में नक्सलियों ने अपने सशस्त्र संगठन के लिए पांच लड़के-लड़कियां देने के लिए गांववासियों को मजबूर किया था।

महासचिव बान की-मून द्वारा इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बात की कई विश्वसनीय रिपोर्ट हैं कि स्कूलों से लाकर जबरदस्ती बच्चे माओवादी संगठन में भर्ती किए जाते हैं। यह रिपोर्ट अब सुरक्षा परिषद को सौंपी जाएगी।

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि नक्सली कहते हैं कि बच्चे केवल संदेशवाहक और मुखबिर के तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं लेकिन उन्होंने यह भी माना है कि बच्चों को बारूदी सुरंग समेत घातक और गैरघातक हथियारों का प्रशिक्षण देते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक नक्सली सरकारी भवनों को नुकसान पहुंचाने और स्थानीय लोगों में दहशत फैलाने के लिए स्कूलों पर सुनियोजित तरीके से हमले करते हैं। उनकी वजह से कई स्कूल या तो बंद हैं या वीरान पड़ गए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि नक्सल समस्या मध्य से पूर्व तक कई राज्यों में फैली हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड पुलिस ने नक्सल प्रभावित जिलों में 43 स्कूलों में 28 खाली करवा लिए तथा 13 और स्कूलों को खाली करवाने जा रही है।

हालांकि, रिपोर्ट में भारत सरकार द्वारा नक्सली हिंसा की निंदा और उनकी गतिविधियों पर काबू पाने की उनकी कटिबद्धता की सराहना की गई है।

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