जगदलपुर ! लगातार हो रहे बारूदी विस्फोटों से दक्षिण बस्तर की भूमि दहल गई है। नक्सली हमले में कल सीआरपीएफ की 168वीं बटालियन के 8 जवान शहीद हो गए। शहीद जवानों के शव माना एयरपोर्ट पर लाए गए। वहां पर श्रध्दांजलि देने के उपरांत गृह ग्राम के लिए रवाना किया जाएगा। इधर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने और बड़े नक्सली हमलों की आशंका के मद्देनजर अलर्ट कर दिया है।
दंतेवाड़ा के ताड़मेटला और चिंतलनार में सबसे बड़े नक्सली हमले का खून अभी सूखा भी नहीं था और नक्सलियों ने विस्फोट से सीआरपीएफ का एक और बुलेट प्रुफ वाहन उड़ा दिया। लगातार हो रहे नक्सली हमलों से साफ जाहिर है कि बस्तर बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है। नक्सली जमीन के अंदर बारूद बिछाकर लगातार विस्फोट कर रहे हैं। उन्होंने 14-15 मार्च की मध्य रात्रि बोदली राहत शिविर एवं पुलिस कैम्प पर हमला कर 55 जवानों को मार डाला था। वहीं 9 जुलाई 2008 को उत्पलमेटा (दंतेवाड़ा) में पीछा कर रही पुलिस पार्टी को फंसाकर हमला किया जहां 22 जवान मारे गए थे। 9 मई 2009 को धमतरी के रिसगांव में सर्चिंग से लौटती पुलिस पार्टी पर हमला किया था यहां भी एम्बुश लगाया गया था इस हमले में 13 जवान शहीद हो गए थे। 11 जुलाई 2009 को राजनांदगांव के मदनवाड़ा में एंबुश लगाकर हमला किया गया था जिसमें एसपी विनोद कुमार चौबे समेत 29 जवान शहीद हो गए थे। 6 अप्रैल 2010 को इसी वर्ष दंतेवाड़ा के ताड़मेटला में बारूद सुरंग विस्फोट के साथ हेंडग्रेनेट हमले से 76 जवान शहीद हो गए तो अब तक का देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला था। कल उन्होंने दंतेवाड़ा के पेदाकालेपाल में ब्लास्ट कर सीआरपीएफ की 168वीं बटालियन की बुलेट प्रुप वाहन को निशाना बनाया जिसमें 8 जवान शहीद हो गए।
इधर केंद्रीय गुप्तचर विभाग ने और बड़े नक्सली हमले होने की बात गोपनीय रिपोर्ट में कही है। जिसके आधार पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के नक्सली प्रभावित इलाकों में हाई अलर्ट घोषित कर गृह मंत्रालय को सतर्क कर दिया है।
पिछले एक माह के अंतराल में 84 सुरक्षाकर्मी माओवादियों के हमलें में शहीद हो चुके है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने हाई-अर्लट जारी करते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस को आगह किया है कि बस्तर के दंतेवाड़ा एवं बीजापुर क्षेत्र में बड़ी संख्या में माओवादियों की जमघट देखी जा रही है। इतना ही नहीं संभागीय मुख्यालय जगदलपुर के आस-पास भी माओवादी सक्रिय हो गए है। खुफिया मंत्रालय ने पुलिस को आगह करते हुए कहा है कि माओवादी छापामार दस्ते छत्तीसगढ़ के कुछ बड़े राजनेताओं को अपना निशाना बना सकते है। इस हाई-अर्लट के बाद मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह से लेकर के बस्तर के वरिष्ठ भाजपा नेताओ एवं मंत्रियों की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बस्तर में रह रहे अधिकांश भाजपा नेताओं को सशस्त्र बॉडीगार्ड पहले ही उपलब्ध कराये जा चुके है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के ताजा हाई-अर्लट के बाद बस्तर में अफवाहों का बाजार गर्म है। सीमावर्ती क्षेत्र के पुलिस थाने एवं चौकियों में विशेष सुरक्षा बरती जा रही है। बस्तर संभाग के सभी पुलिस थानों के मुख्य द्वार रात के साथ-साथ दिन में भी बंद रखने के निर्देश दिये गए है।
एक साल में 117 शहीद
बीते एक साल के भीतर नक्सली हमलों में सीआरपीएफ, जिला पुलिस बल, एसपीओ सहित 117 जवान शहीद हुए है जिसमें एक एसपी भी शामिल है। बीते तीन सालों के दौरान बस्तर के विकास के लिए 120 करोड़ रुपए फूंके गए है पर पुलिस एवं स्थानीय प्रशासन बस्तर के लोगों का विश्वास नहीं जीत पाया है। आज भी 40 प्रतिशत भू-भाग एवं जंगलों पर नक्सलियों का कब्जा है। इस तरह के हालात है कि बस्तर का 70 प्रतिशत भू-भाग बारूद के ढेर पर है।
दंतेवाड़ा के ताड़मेटला और चिंतलनार में सबसे बड़े नक्सली हमले का खून अभी सूखा भी नहीं था और नक्सलियों ने विस्फोट से सीआरपीएफ का एक और बुलेट प्रुफ वाहन उड़ा दिया। लगातार हो रहे नक्सली हमलों से साफ जाहिर है कि बस्तर बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है। नक्सली जमीन के अंदर बारूद बिछाकर लगातार विस्फोट कर रहे हैं। उन्होंने 14-15 मार्च की मध्य रात्रि बोदली राहत शिविर एवं पुलिस कैम्प पर हमला कर 55 जवानों को मार डाला था। वहीं 9 जुलाई 2008 को उत्पलमेटा (दंतेवाड़ा) में पीछा कर रही पुलिस पार्टी को फंसाकर हमला किया जहां 22 जवान मारे गए थे। 9 मई 2009 को धमतरी के रिसगांव में सर्चिंग से लौटती पुलिस पार्टी पर हमला किया था यहां भी एम्बुश लगाया गया था इस हमले में 13 जवान शहीद हो गए थे। 11 जुलाई 2009 को राजनांदगांव के मदनवाड़ा में एंबुश लगाकर हमला किया गया था जिसमें एसपी विनोद कुमार चौबे समेत 29 जवान शहीद हो गए थे। 6 अप्रैल 2010 को इसी वर्ष दंतेवाड़ा के ताड़मेटला में बारूद सुरंग विस्फोट के साथ हेंडग्रेनेट हमले से 76 जवान शहीद हो गए तो अब तक का देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला था। कल उन्होंने दंतेवाड़ा के पेदाकालेपाल में ब्लास्ट कर सीआरपीएफ की 168वीं बटालियन की बुलेट प्रुप वाहन को निशाना बनाया जिसमें 8 जवान शहीद हो गए।
इधर केंद्रीय गुप्तचर विभाग ने और बड़े नक्सली हमले होने की बात गोपनीय रिपोर्ट में कही है। जिसके आधार पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के नक्सली प्रभावित इलाकों में हाई अलर्ट घोषित कर गृह मंत्रालय को सतर्क कर दिया है।
पिछले एक माह के अंतराल में 84 सुरक्षाकर्मी माओवादियों के हमलें में शहीद हो चुके है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने हाई-अर्लट जारी करते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस को आगह किया है कि बस्तर के दंतेवाड़ा एवं बीजापुर क्षेत्र में बड़ी संख्या में माओवादियों की जमघट देखी जा रही है। इतना ही नहीं संभागीय मुख्यालय जगदलपुर के आस-पास भी माओवादी सक्रिय हो गए है। खुफिया मंत्रालय ने पुलिस को आगह करते हुए कहा है कि माओवादी छापामार दस्ते छत्तीसगढ़ के कुछ बड़े राजनेताओं को अपना निशाना बना सकते है। इस हाई-अर्लट के बाद मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह से लेकर के बस्तर के वरिष्ठ भाजपा नेताओ एवं मंत्रियों की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बस्तर में रह रहे अधिकांश भाजपा नेताओं को सशस्त्र बॉडीगार्ड पहले ही उपलब्ध कराये जा चुके है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के ताजा हाई-अर्लट के बाद बस्तर में अफवाहों का बाजार गर्म है। सीमावर्ती क्षेत्र के पुलिस थाने एवं चौकियों में विशेष सुरक्षा बरती जा रही है। बस्तर संभाग के सभी पुलिस थानों के मुख्य द्वार रात के साथ-साथ दिन में भी बंद रखने के निर्देश दिये गए है।
एक साल में 117 शहीद
बीते एक साल के भीतर नक्सली हमलों में सीआरपीएफ, जिला पुलिस बल, एसपीओ सहित 117 जवान शहीद हुए है जिसमें एक एसपी भी शामिल है। बीते तीन सालों के दौरान बस्तर के विकास के लिए 120 करोड़ रुपए फूंके गए है पर पुलिस एवं स्थानीय प्रशासन बस्तर के लोगों का विश्वास नहीं जीत पाया है। आज भी 40 प्रतिशत भू-भाग एवं जंगलों पर नक्सलियों का कब्जा है। इस तरह के हालात है कि बस्तर का 70 प्रतिशत भू-भाग बारूद के ढेर पर है।
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