Saturday, March 27, 2010
हथियार सहित नौ संघम सदस्य गिरफ्तार
प्राप्त जानकारी के अनुसार सर्चिंग में निकली संयुक्त पुलिस पार्टी ने बड़ागांव थाना क्षेत्र के ग्राम वालकामतेड़ा के पास स्थित मेंढकी नदी के किनारे बसे जंगल से फत्तेसिंह पिता पनकाराम 30 वर्ष, सुकालु पिता पल्लीराम 30 वर्ष, शंकर सिंह पिता बेलाराम 25 वर्ष बुत्ता पिता श्रराधु 18 वर्ष सभी निवासी ग्राम कामतेड़ा थाना बड़गांव को गिरफ्तार किया। उसके बाद सर्चिंग दल उदनापुर मार्ग की ओर और आगे बढ़ा तो जंगल से घस्सूराम पिता अनुराम 20 वर्ष एवं वीरसिंह पिता गन्नूराम 23 वर्ष को गिरफ्तार किया। इसके बाद सर्चिंग दल उसी मार्ग पर और आगे बढा तो उदनपुर-हुरनार के सागौन जंगल से सोमनाथ पिता चमरा तथा जिमतरई के नर्सरी प्लांट से फागूराम पिता बुधुराम आंचला 49 वर्ष तथा सगडूराम पिता मोड्डाराम 40 वर्ष को ग्राम आलपरस थाना कोयलीबेड़ा से गिरफ्तार किया है। पकड़े गये सभी संघम सदस्य हैं तथा सभी ग्राम कालमेड़ा के निवासी हैं। पकड़े गये संघम सदस्यों के पास से जवानों ने पांच भरमार बंदूक भी जब्त किया है। समाचार लिखे जाने तक सर्चिंग जारी है।
नक्सलियों ने बस्तर में विकास कार्य अवरुद्ध किया
"स्कूल शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाल ही में संकलित की गई एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, "बस्तर में वर्ष 2007 से अब तक करीब 210 विद्यालय भवन उड़ाए जा चुके हैं। परिणामस्वरूप शिक्षा विभाग को केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के शिविरों के नजदीक कुछ स्कूल दोबार शुरू करने पड़े।"उन्होंने कहा, "स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति में बहुत कमी आई है। इसकी वजह यह है कि माता-पिता अपने बच्चों को बंदूकों की सुरक्षा में रहने वाले स्कूलों में नहीं भेजना चाहते हैं।"करीब 40,000 वर्ग किलोमीटर के बस्तर क्षेत्र में पांच जिले दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, बस्तर और कांकेर शामिल हैं। नक्सली 80 के दशक के अंतिम वर्षो से इस क्षेत्र के आंतरिक इलाकों में एक समानांतर सरकार चला रहे हैं। देश की कुल लौह अयस्क खदानों का 20 प्रतिशत हिस्सा इसी क्षेत्र में है।
"राजधानी रायपुर के पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2005 से अब तक बस्तर इलाके में नक्सली हिंसा में करीब 1,600 लोग मारे गए हैं।
तरांदूल के जंगल में नक्सली स्मारक ध्वस्त
गश्त दौरान पुलिस पार्टी को ज्ञात हुआ कि तरांदूल से खसगांव मार्ग पर तरांदूल से करीब दो-ढ़ाई किलोमीटर दूर जंगल में नक्सलियों द्वारा स्मारक बनाया गया है। पुलिस पार्टी उक्त स्थान पर ग्रामीणों के साथ पहुंची एवं जंगल के बीच करीब 12 फूट ऊंचा एवं करीब 6 फीट चौड़ा एवं लाल रंग से पोताई किया हुआ स्मारक जंगल केबीच बना पाया गया। जिसमें नक्सलियों ने अपने मृत नक्सलियों के बाबत,लाल सलाम,भूमकाल दिवस,आदि का उल्लेख किया था। उक्त स्मारक पुलिस पार्टी एवं साथ गये ग्रामीणों ने ध्वस्थ किया। अंदरूनी इलाको में हो रही पुलिस से नक्सली प्रभावित ग्रामों के निवासियों में काफी हर्ष देखा जा रहा है। इन ग्रामीणों में पुलिस को अपने गांव घर में देखने से उनमें एक नये विश्वास का संचार हो रहा है।
नक्सली चलायेगा टेक्टिकल काउंटर ऑफनसिव योजना
नक्सली बताकर 6 ग्रामीणों के गिरफ्तार के विरोध में आईजी को सौंपा ज्ञापन
राजूराम पटेल, तुलसीराम जनपद सदस्य और जगन्नाथ ग्राम केलेडो ने बताया कि ग्राम पंचायत कराकी का आश्रित ग्राम नेलहोड में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत तालाब गहरीकरण का कार्य 18 फरवरी से शुरू किया। इसमें समस्त ग्रामीण मजदूरों को प्रत्येक सदस्य ने एक गोदी जिसका दर 100 रूपये सभी गोदी के हिसाब से सभी ग्रामीण मजदूर कोंडारूक और केलोड़ के मिलकर कार्य कर रहा था। लगभग 300 मजदूर कार्य में लगे थे वहां 19 फरवरी को कार्यस्थल पर नेलाहोड में बीएसएफ पुलि कोलेपुर से आकर कार्य कर रहे मजदूरों को तलब कर तालाब निर्माण नक्सलियों के द्वारा कराया जाने का आरोप लगाया। यह शासन के द्वारा नहीं कराई जा रही काम बताकर ग्रामीण मजदूरों को बीएसएफ के पुलिस वालों ने धमकाये और इनमें से हीरूराम मंडावी पिता मुरहाराम मंडावी को पकड़कर मारपीट किये एवं सुनाघर में ले जाकर ताला जड़ दिया और आदिवासियों के घर से पूर्वजों का देवबंदूक ले गये। इसके अलावा लालूराम पिता मारहाराम, गन्नूराम पिता बीराम, धिराधीराम पिता राजूराम, रामसाय पिता मेंगीराम इन पांच लोग नेलहोड के निवासी हैं और जगतराम पिता मंगतूराम ग्राम कोंडारूड निवासी को साथ ले गये। इन 6 लोगों को बीएसएफ कोड़ेकुरसी के कहनानुसार कुंडाईखेड़ा के मध्य जंगल में पकड़ा जाना बताया गया जो सरासर झूठ है। जिस दिन इन्हें बीएसएफ द्वारा पकड़ा गया उस दिन ये सभी रोजगार गारंटी कार्य किये जिसका उल्लेख मस्टरोल कार्ड में भी दर्ज है।
जनपद पंचायत सदस्य तुलसीराम ने कहा कि बेगुनाह आदिवासी मजदूरों को नक्सली बताकर प्रताड़ित किया जा रहा है और इसे ग्रामीणों में भय और रोष व्याप्त है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार एक ओर आदिवासियों की हितैषी होने की बात कह रही है लेकिन नक्सली के आड़ में बेकसूर आदिवासियों को प्रताड़ित करने मे कोई कोरकसर छोड़ रखी है।
इस संबंध में बस्तर रेंज के आईजी टीजे लांगकुमेर ने कहा कि उन्होंने पुलिस अधीक्षक कांकेर से इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट चाही गई है वह उन्हें बहुत जल्द भेजे जाने की सूचना एसपी ने दी है। उन्होंने कहा कि प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है और विभिन्न धाराओं में ये मजदूर बंदी हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में इस विषय पर कुछ टिप्पणी करना ठीक नहीं है फिर भी पुलिस अधीक्षक कांकेर की रिपोर्ट आने के बाद इस पर यथा संभव कार्यवाही किया जा सकेगा। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस द्वारा बेगुनाह ग्रामीणों को जिसमें आदिवासी की सं?या अधिक बताई जा रही है ऐसा कोई प्रकरण सामने नहीं आयी है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन ग्रीन हंट और ऑपरेशन त्रिशूल के चलते जहां लगभग 480 नक्सली हिरासत में हैं और विभिन्न घटनाओं में 900 के आसपास नक्सली मारे जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस अब सड़क निर्माण सहित अन्य विकास कार्यों में मदद कर रही है और पुलिस सुरक्षा और कानून व्यवस्था पु?ताकर विकास कार्यों में गति लाने का प्रयास कर रही है।
ग्रीन हंट अभियान में मारे गए 90 नक्सली
Friday, March 26, 2010
नक्सलियों के सफाये को सरकार प्रतिबद्ध
झारसुगुड़ा। नक्सलियों की गोली से शहीद हुए जिले के दो जवान कूदोपाली निवासी बलराम प्रधान व रेगाली-सर्गीपाली के दीपक सेन भोई को गार्ड आफ आनर दिये जाने के अवसर पर पहुंचे राज्यसभा सांसद किशोर कुमार महांती ने कहा कि दोनों जवानों ने माटी की रक्षा व असामाजिक तत्वों के मंसूबों को नाकाम करने के लिए अपने प्राणों की परवाह किये बिना उनसे मुकाबला करते हुए शहीद हुए है।
श्री महांती ने कहा कि सरकार नक्सलियों के पूर्ण रूप से सफाये के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्र सरकार के साथ संयुक्त रूप से राज्य सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ ग्रीनहंट आपरेशन किया है, उससे नक्सली बौखला गये है। वहीं ब्रजराजनगर विधायक अनूप साय ने कहा कि जब तक सरकार अपनी गलत नीतियों को नहीं बदलती व नक्सलियों को बढ़ावा देने वाले तथा किन कारणों से लोग नक्सली बन रहे है, उसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तब तक हमारे वीर जवान व निरीह लोग नक्सलियों की गोली के शिकार होते रहे है। वरिष्ठ अधिवक्ता व समाजसेवी संदीप अवस्था व त्रिनाथ ग्वाल ने भी शहीदों को नमन करते हुए मृतात्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।
माओवादी हिंसा से संयुक्त अभियान पर प्रभाव नहीं पड़ेगा
सुरक्षा बलों व माओवादियों के बीच हुई फायरिंग
माओवादियों ने की माकपा समर्थक की हत्या
आपरेशन ग्रीनहंट के खिलाफ प्रदर्शन आज
केन्द्रीय उपसचिव ने की आपरेशन ग्रीनहंट की समीक्षा
जगदलपुर। बस्तर के कांकेर जिला कार्यालय में आज आपरेशन ग्रीनहंट के संबंध में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता केन्द्र सरकार के उपसचिव डीपी चौधरी ने की।प्रशासनिक सूत्रों ने जानकारी दी कि आज की इस बैठक को बेहद गोपनीय रखा गया है।
इस बैठक में प्रदेश के मुख्य सचिव पी जाय उम्मेन, सीआरपीएफ के डीजी विजय रमन, आयुक्त मनोज कुमार पिंगवा और आईजी टी जे लांगकुमेर ने भी भाग लिया। राजनांदगांव में भी ऐसी ही एक बैठक का आयोजन किया गया ।
माओवादियों पुलिस के बीच गोलीबारी
नक्सलियों-अपराधियों की कुंडली कंप्यूटराइज्ड

मगध । नक्सलियों और अपराधियों की 'कुंडली' कम्प्यूटर की फ्लापी में दर्ज हो चुकी है। जरूरत है सिर्फ माउस को क्लिक करने की। मगध प्रमंडल के पांचों जिलों गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, नवादा और अरवल के कई थानों को कम्प्यूटराइज किया जा चुका है। जिला मुख्यालय पर पुलिस कप्तान के आवासीय कार्यालय में भी कम्प्यूटर का 'सदुपयोग' हो रहा है। इसके बावजूद कई बड़ी घटनाओं में अपराधियों और नक्सलियों के 'मोड आफ आपरेंडी' का पता लगाने में पुलिस विफल साबित हो रही है। दूसरी ओर केन्द्रीय गृह विभाग ने क्राइम रिकार्ड ब्यूरो से पटना मुख्यालय को जोड़ रखा है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो द्वारा समय-समय पर राज्य क्राइम रिकार्ड ब्यूरो को बड़े-बड़े अपराधियों व नक्सलियों के साथ ही शातिर अपराधियों का बायो-डाटा उपलब्ध कराया जाता रहा है। राज्य सरकार ने इसकी महत्ता को देखते हुए एक डीआईजी संवर्ग के अधिकारी का पद राज्य क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के लिए सृजित कर रखा है। पूर्व में एनसीआर द्वारा भेजे गये तकनीशियन अपनी फ्लापी में उपलब्ध सूचनाएं जिला पुलिस के कम्प्यूटर में डाउन लोड करते थे, लेकिन पिछले कुछ सालों से यह प्रक्रिया बंद है। इस संबंध में मगध क्षेत्र की डीआईजी अनुपमा एस. निलेकर ने बताया कि प्रमंडल के सभी जिलों के टाउन थानों को कम्प्यूटराइज किया जा चुका है। जिला पुलिस बल के जवानों को एनसीआर से आये प्रशिक्षकों ने पूर्व में प्रशिक्षित किया था। डीआईजी श्रीमती निलेकर ने माना कि इन दिनों एनसीआर से जिला पुलिस की 'कनेक्टिविटी' नहीं है। ऐसे में नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो द्वारा निर्गत अद्यतन सूचना बिहार पुलिस को उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
वहीं दूसरी ओर कुछ सालों से थाना स्तर पर 'पुलिसिंग' नहीं हो पा रही है। कारण अधिकारियों पर कार्य का अत्यधिक बोझ होना बताया जाता है। हालात यह है कि एक अधिकारी ओडी डयूटी पर है। फिर उसी को लंबित कांडों के अनुसंधान के लिए क्षेत्र में जाना है। इसके बाद उसके ऊपर केस डायरी 'अप टू डेट' कर अदालत में समर्पित करने की भी जिम्मेवारी है। फिर यदि कहीं विधि व्यवस्था की समस्या सामने आयी तो क्षेत्र में जाना अनिवार्य है। ऐसे में थाने स्तर पर छह पंजी में 'इंट्री' नहीं हो पाती। जबकि छह पंजियां थाना क्षेत्र के अपराध और अपराधियों का 'आईना' होती हैं। उदाहरण के लिए घटना को अंजाम देते वक्त अपराधियों ने घर के अंदर कैसे प्रवेश किया? पीड़ित व्यक्तियों के साथ अपराधियों का कैसा व्यवहार था? घटना स्थल पर पहुंचने और फरार होने के समय किस वाहन का इस्तेमाल किया गया? ऐसी कई जानकारियां पंजी के पन्नों को पलटते ही अधिकारियों को अपराधियों तक पहुंचाने में मदद करती थीं।
अब ऐसी पंजी किसी वरीय अधिकारी के थाना निरीक्षण के पूर्व आधी-अधूरी जानकारी के साथ 'अप टू डेट' की जाती है। गया के पुलिस अधीक्षक सुशील एम. खोपडे ने बताया कि शहरी क्षेत्र के सिविल लाइन्स और मुफ्फसिल थानों में कम्प्यूटर लगाये जा चुके हैं। दोनों थानों में कम्प्यूटर की फ्लापी में अद्यतन सूचनाएं दर्ज है। जहानाबाद में
पुलिस की कार्य प्रणाली को आन लाइन करने के उद्देश्य से कम्प्यूटरीकरण की योजना बनायी गयी थी जो अधिकारियों की उदासीनता से दम तोड़ रही है। योजना के तहत प्राथमिकी की पूरी जानकारी कम्प्यूटर में दर्ज होनी थी। राज्य के थानों को पुलिस मेट 01 से जोड़ना था, ताकि किसी जिले के किसी थाने और क्षेत्र की वांछित की जानकारी मिनटों में मिल सके।
नवादा में नगर थाना सहित हिसुआ, रजौली, वारिसलीगंज, कौआकोल, पकरीबरावां, नरहट, सिरदला, गोविन्दपुर व अकबरपुर थानों में कम्प्यूटर रूम बनाये जाने के साथ ही इससे संबंधित कुछ आवश्यक सामान लगाये गये है। कम्प्यूटर चलाने के लिए पुलिस वालों को प्रशिक्षित भी किया गया। लेकिन आज भी थानों में कागज पर ही प्राथमिकी दर्ज की जा रही है। बिहार पुलिस के कम्प्यूटरीकरण की योजना पुलिस मुख्यालय स्तर से वर्तमान डीजीपी नीलमणि व एडीजी अभ्यानंद ने बनायी थी। पुलिस कप्तान अनिल किशोर यादव बताते है कि अब तक कम्प्यूटर की आपूर्ति न होने से योजना लागू नहीं हो पा रही है। औरंगाबाद में थानों के कम्प्यूटरीकरण की योजना अधर में लटक गई है। यहां एक भी थाने का कम्प्यूटरीकरण नहीं किया गया है। एसपी निशांत कुमार तिवारी ने बताया कि सिपा प्रोग्राम के तहत थानों का कम्प्यूटरीकरण किया जाना था। नगर थाने का कम्प्यूटरीकरण किया गया परंतु कार्य आधा अधूरा ही रह गया। पुलिस मुख्यालय ने इसी को ध्यान में रखते हुए थानों को कम्प्यूटराइज करने की योजना शुरू की थी। लेकिन यह अपने लक्ष्य को हासिल करने में अब तक सफल नहीं हो सकी है। कारण कहीं आपरेटर नहीं, तो कहीं आंकड़े नहीं है।
Thursday, March 25, 2010
माओवादी नेता आज़ाद को किसी ने गिरफ्तार नहीं किया था
देश की सबसे बड़ी नक्सलवादी संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने घोषणा की है कि उसके सबसे बड़े नेताओं में से एक और पोलित ब्यूरो सदस्य चेरुकुरी राजकुमार उर्फ़ आज़ाद सुरक्षित हैं। तीन दिन पहले ही उसने यह आरोप लगाया था कि आज़ाद को आंध्र प्रदेश पुलिस के ख़ुफ़िया विभाग ने पकड़ लिया है और उनकी जान को गंभीर ख़तरा है।
सीपीआई माओवादी की दंडकाराण्य स्पेशल ज़ोन समिति के प्रवक्ता गुड्सा उसेंडी ने सोमवार की शाम बीबीसी को फ़ोन पर बताया कि उन्हें भरोसेमंद सूत्रों से यह सूचना मिल गई है कि आज़ाद सुरक्षित हैं। उन्होंने बताया, "असल में आज़ाद की जो चिट्ठी मुझे कुछ दिन पहले ही मिल जाना चाहिए थी वो कल रात मिली और उसी से इस बात की पुष्टि हुई कि वो सुरक्षित हैं और पुलिस ने उन्हें नहीं पकड़ा है। कामरेड अप्पा राव और कोंडल रेड्डी के मार जाने के बाद जो हालात उत्पन्न हुए थे उसमें हमारी यह आशंका स्वाभाविक थी कि आज़ाद को भी पुलिस ने पकड़ कर मार दिया होगा या मरने वाली होगी। इसलिए हमें पहले उस तरह का वक्तव्य देना पड़ा। इसका हमें खेद है कि हमारे कारण मीडिया को और कुछ बुद्धिजीवियों को कष्ट उठाना पड़ा।"
आज़ाद ने अपने पत्र में सूचित किया है कि जैसे ही उन्हें शकामुरी अप्पा राव के मारे जाने की सूचना मिली, उन्होंने अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए और वो एक सुरक्षित जगह चले गए। पहले उनकी योजना 12 मार्च को अप्पा राव से मिलने की थी। आज़ाद ने यह भी बताया है कि अप्पा राव को 10 मार्च को चेन्नई में पुलिस ने पकड़ा जहाँ वो कुछ समय से एक ठिकाने पर रह रहे थे।
गुड्स उसेंडी के अनुसार अप्पा राव उस दिन सुबह 8।30 बजे ठिकाने से निकले और फिर नहीं लौटे। उन्होंने बताया, "हम यह समझते हैं कि आंध्र पुलिस ने उन्हें उसी दिन पकड़ लिया और जानकारी लेने के लिए उन्हें यातनाएँ देने के बाद 12 मार्च को गोली मार दी।"
ये बात सीपीआई माओवादी के उस पहले वक्तव्य से उलट है जिसमें उसने कहा था कि अप्पा राव और कोंडल रेड्डी को आंध्र पुलिस ने महाराष्ट्र में पकड़ा था और बाद में इन दोनों को अलग-अलग जगह ले जाकर गोली मार दी गई। आज़ाद के पत्र से यह बात भी सामने आई है कि अप्पा राव और कोंडल रेड्डी के मारे जाने का आपस में कोई संबंध नहीं था और दोनों को बिल्कुल अलग-अलग पकड़ा गया लेकिन दोनों को एक ही दिन मारना एक संयोजित कार्रवाई थी।
यहाँ यह बात उल्लेखनीय है कि सीपीआई माओवादी के आरोप के बाद आंध्र प्रदेश पुलिस के महानिदेशक गिरीश कुमार ने इस बात का खंडन किया था कि आज़ाद उनकी हिरासत में है।
आज़ाद की माँ ने भी आंध्र प्रदेश मानवाधिकार आयोग का दरवाज़ा खटखटाया था और मांग की थी कि आज़ाद को अदालत में पेश किया जाए। इस पर आयोग ने पुलिस महानिदेशक को आदेश दिया था कि वो इस मामले में एक रिपोर्ट अदालत में पेश करें।
Wednesday, March 24, 2010
चाकुलिया में भी पड़े थे कानू सान्याल के कदम
नक्सलियों ने दो अपहृत भाइयों की जान बख्शी
लहुनीपाड़ा। सुंदरगढ़ जिले के केबलांग थाना अन्तर्गत जामुडीही से नक्सलियों द्वारा अपहृत ढाबा मालिक समेत उसके भाई को नक्सलियों के प्रजा कोर्ट ने निर्दोष करार देने से उन्हें मुक्त कर दिया गया है लेकिन उनके साथ ही अपहृत कोईड़ा के जिला परिषद सदस्य व माकपा नेता आनंद मासी होरो का सुराग लगा पाने में पुलिस विफल रही है।
केबलांग थाना अंचल के जामुडीही पर स्थित मोटु ढाबा के मालिक हरिनाथ मुंडारी तथा राशन दुकान चलानेवाले नरेंद्र मुंडारी समेत राक्सी से कोईड़ा जिला परिषद सदस्य तथा माकपा नेता आनंद मासी होरो का शुक्रवार की रात सशस्त्र नक्सलियों ने अपहरण कर लिया गया था। जिसमें नक्सलियों ने तीनों के चेहरे पर काला कपड़ा बांधने समेत उनके हाथ-पैर बांधकर उन्हें एक डंपर में बिठाकर केबलांग से तकरीबन 30 से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित झारखंड के सीमा के पास सारंडा जंगल में ले गये। नक्सलियों के कब्जे से मुक्त हुए दोनों मुंडारी भाइयों का कहना है कि उन लोगों को वहां पर नक्सलियों के प्रजा कोर्ट में पेश किया गया। प्रजा कोर्ट में नक्सलियों ने दोनों भाइयों के पुलिस मुखबिर न होने तथा किसी राजनीतिक दल से संबंध न होने के कारण उन्हें निर्दोष करार देकर मुक्त कर दिया। जिसके बाद दोनों भाइयों को शनिवार की रात नौ बजे बड़जोर जंगल में छोड़ दिया। इन लोगों से लूटी गयी दो बाइक वापस कर दी गयी। नक्सलियों के कब्जे से छूटकर घर लौटने पर उनके परिजनों में हर्ष देखा जा रहा है। दूसरी ओर अपहृत जिला परिषद सदस्य आनंद मासी होरो का कोई सुराग नहीं मिल पाया है। जिसमें उनकी हत्या किये जाने की आशंका तेज हो गयी है। दूसरी ओर घटना के 48 घंटों बाद भी पुलिस घटनास्थल तक नहीं पहुंची है, जिससे अंचल के लोगों में भय व्याप्त है।
माओवादियों से निपटने को केंद्र व राज्य स्तर पर प्रयास तेज
स्केच की मदद से धरे जाएंगे शीर्ष नक्सल नेता
रायपुर। दशकों से पकड़ में नहीं आ रहे शीर्ष नक्सल नेताओं की अब खैर नहीं है क्योंकि सुरक्षा एजेंसियां इन माओवादियों की तस्वीरें तैयार करा रही हैं।
छत्तीसगढ़ में नक्सलों से लोहा ले रहे पुलिस और सुरक्षा बलों को इस क्षेत्र में सक्रिय कुछ नक्सलियों के स्केच हाल में सौंपे गए।
बड़ी संख्या में शीर्ष नक्सल नेताओं की तस्वीरें अब भी उपलब्ध नहीं है इसलिए गिरफ्तार किए गए माओवादियों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर स्केच बनाने के लिए चित्रकारों को तैनात किया गया है।
एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा, नक्सलियों के शीर्ष नेताओं के बारे में जानकारी और खुफिया अभियानों में पैनापन लाने के लिए राज्य और केंद्र दोनों के सुरक्षा बलों को ये स्केच उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
नक्सल क्षेत्र में तैनात बटालियनों में सभी कंपनी कमांडर रैंक और कमान अधिकारियों को फोटोग्राफ उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
खुफिया अभियान चलाने के दिशा निर्देश गृह मंत्रालय और अर्द्धसैनिक बलों के मुख्यालयों के जारी किए गए हैं। अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा दलों को तस्वीरें प्राप्त होने के बाद वे नक्सल नेताओं की गतिविधियों का पता लगाने में स्थानीय लोगों की मदद ले सकेंगे।
सूत्रों के अनुसार नक्सल नेताओं की तस्वीरें बनाने के लिए सुरक्षा बल स्थानीय लोगों की भी मदद ले रहे हैं।
बंद, सुरक्षा के कड़े इंतजाम, अंदरूनी क्षेत्रों में व्यापक असर
रायपुर। छत्तीसगढ़ समेत नक्सल प्रभावित छह राज्यों में नक्सलियों द्वारा बंद के आह्वान को देखते हुए राज्य में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है वहीं नक्सल प्रभावित जिलों के अंदरूनी क्षेत्रों में बंद का व्यापक असर पड़ा है।
राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने आज यहां बताया कि नक्सलियों के आज और कल के बंद के आह्वान को देखते हुए राज्य में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को सतर्क रहने के लिए कहा गया है तथा नक्सल प्रभावित और सीमावर्ती क्षेत्र के थानों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।
उन्होंने बताया कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकने के लिए रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और अन्य भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में पुलिस बल तैनात किया गया है तथा वाहनों की तलाशी ली जा रही है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा गया है।
इधर राज्य के धुर नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के पुलिस अधीक्षक अमरेश मिश्रा ने बताया कि जिले के शहरी क्षेत्रों में बंद का असर नहीं हुआ है वहीं अंदरूनी क्षेत्रों में बस मालिकों द्वारा बस नहीं चलाए जाने के कारण लागों को आवाजाही में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। मिश्रा ने बताया कि जिले में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं तथा वाहन मालिकों से कहा गया है कि उनके वाहनों को पूरी सुरक्षा दी जाएगी।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि शहरी क्षेत्रों के बाजार और हाट खुले हैं, लेकिन अंदरूनी क्षेत्रों में बंद का असर हुआ है।
उन्होंने बताया कि सुरक्षा कारणों से जिले के किरंदुल से विशाखापतनम के बीच चलने वाली पैसेंजर गाड़ी को रात में केवल बस्तर जिले के जिला मुख्यालय जगदलपुर तक चलाने का फैसला किया गया है।
बस्तर क्षेत्र के सूत्रों ने बताया कि नक्सलियों द्वारा बंद के आह्वान को देखते हुए ज्यादातर दुकानदारों ने डर के कारण अपने दुकानें नहीं खोली हैं।
अलविदा कामरेड
15 माओवादी गिरफ्तार
झाड़ग्राम । १६ मार्च के जागरण के अनुसार पश्चिम मेदिनीपुर जिले के नक्सल प्रभावित झाड़ग्राम व मेदिनीपुर कोतवाली थाना क्षेत्र से सोमवार को पुलिस व सुरक्षा बल के जवानों ने कुल 13 माओवादियों को हिरासत में लिया है। दूसरी ओर पुरुलिया जिले के अयोध्या पहाड़ से सोमवार की शाम पुलिस ने दो माओवादियों को गिरफ्तार किया।
पश्चिम मेदिनीपुर के एसपी मनोज कुमार वर्मा ने बताया कि मेदिनीपुर कोतवाली थाना क्षेत्र से 11 एवं झाड़ग्राम से दो माओवादियों को गिरफ्तार करने में सफलता मिली है। उनके पास से माओवादी लिफ्लेट, पोस्टर, बम बनाने का सामान व संगठन की हिसाब पुस्तिका भी बरामद की गई है।
इधर, पुरुलिया के आड़षा थाना पुलिस के अनुसार अयोध्या पहाड़ से गिरफ्तार माओवादियों रमेश महतो एवं गोबिंद बेसरा के पास से 300 पीस डेटोनेटर एवं 100 पीस जिलेटिन बरामद किया गया है। गिरफ्तार माओवादी रमेश महतो आड़षा निवासी है, जबकि गोबिंद बेसरा कोटशिला थाना क्षेत्र के सहारजुड़ी गांव का रहने वाला है। दोनों से पूछताछ की जा रही है।
ग्रीन हंट से माओवादियों का नुकसान नही
चंद्रशेखर ने कहा कि आठ-दस दिनों से पश्चिम बंगाल और झारखंड की सरकारों ने सीमांत क्षेत्र में माओवादियों के खिलाफ साझा अभियान छेड़ रखा है। झारखंड पुलिस को माओवादियों के कुछ कैंप नष्ट करने व कुछ को गिरफ्तार करने में सफलता भी मिली है, जबकि बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर जिले के लालगढ़ एवं बेलपहाड़ी इलाकों में पुलिस को कुछ खास सफलता नहीं मिल पाई है। सिर्फ बेलपहाड़ी थाना क्षेत्र के कन्हाईसोल में पुलिस को माओवादियों का एक बंकर धवस्त करने में ही सफलता मिली है। बंगाल में अभियान के दौरान आज तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। माओवादी नेता ने कहा कि अभियान के दौरान माओवादियों की कोई गतिविधि नजर नहीं आने से राज्य की सरकार और पुलिस मान रही है कि अभियान के चलते माओवादी भय से बैकफुट पर चले गए हैं लेकिन यह उनका दिवास्वप्न ही है। सरकार व पुलिस को चेतावनी देते हुए कहा कि समय आने पर उन्हें हमारी गतिविधियां नजर आ जाएंगी। माओवादियों की अगली योजना के बारे में पूछने पर चंद्रशेखर ने कहा कि विशेष रणनीति के तहत फिलहाल इस संबंध में कुछ नहीं बताएंगे। इधर, सूत्रों के मुताबिक पुलिस अभियान के चलते माओवादी जंगल छोड़ गांवों में आ गए हैं और वहां पर ग्रामीणों से घुल-मिल गए हैं।
आपरेशन ग्रीन हंट को ले सीएम ने की बैठक
कालोसोना मंडल हत्या मामले में चार नक्सली गिरफ्तार
लालगढ़ छोड़ उड़ीसा भागे किशनजी
पुरुलिया, जागरण समाचार के अनुसार आपरेशन ग्रीन हंट के दबाव में शीर्ष माओवादी नेता कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी, पोलित ब्यूरो के सदस्य माल्ला राजि रेड्डी समेत 10-12 नेता आपरेशन पीस हंट की कमान स्थानीय कमांडरों को सौंप झारखंड होते हुए उड़ीसा भाग गए हैं। यह दावा पश्चिम बंगाल की खुफिया विभाग ने किया है। खुफिया सूत्रों ने बताया कि बढ़ते दबाव के बाद किशनजी ने पिछले हफ्ते लालगढ़ छोड़ने का फैसला लिया था।
उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा नक्सलियों के खात्मे के लिए चलाए जा रहे आपरेशन ग्रीन हंट के जबाव में माओवादियों ने आपरेशन पीस हंट चला रखा है।
खुफिया विभाग के सूत्रों का कहना है कि मोबाइल लोकेशन की जांच से पता चला है कि इस समय किशन जी, माल्ला राजि रेड्डी समेत शीर्ष माओवादी नेता उड़ीसा के वांगरिपोलि-वारिपोदा जंगल में शरण लिए हुए हैं। ये नेता अपने साथ भारी मात्रा में गोला बारूद, विस्फोटक व हथियार साथ लेते गए हैं। कुछ विस्फोटक लालगढ़ में मिट्टी के नीचे दबा दिया गया है। बताया जाता है कि उड़ीसा में आपरेशन ग्रीन हंट नहीं चलने के कारण इन माओवादी नेताओं ने वहां शरण लेने का निर्णय लिया। बंगाल पुलिस ने इसकी जानकारी उड़ीसा पुलिस को दे दी है।
माओवादियों के खिलाफ एक हो नागरिक : कानून मंत्री
कानू सान्याल: अंतिम बात, आखिरी यादें
दरअसल, हाथीघीसा (पश्चिम बंगाल) की एक झोपड़ी और उसके बाशिन्दे ने इन तमाम संदर्भो (सवालों) से मुझे बहुत दिन तक मथा था। यह कानू सान्याल की झोपड़ी थी। उनके रूप में मैंने यहां नक्सलवाद के 'कथा पुरुष' को घुटते-मरते देखा था। और आज खबर आई कि कानू दा फंदे में झूल गए। खुद सबको छोड़ गए। दुनिया ने तो उन्हे पहले ही छोड़ दिया था। (हां, कुछ लोग जरूर अपवाद रहे)। भाई पैसा न देते तो दादा, सांस चालू रखने वाली दवा भी नहीं खा सकते थे।
कामरेड बताएंगे-'दादा की अस्वाभाविक मौत सिर्फ उनकी उम्र का तकाजा थी?' नहीं, बिल्कुल नहीं। 78 साल के दादा को दुनियावी मोर्चे पर कोई मलाल न था। उन्होंने अपेक्षा भी नहीं की। हां, उनको यह बात जरूर कचोटती रही कि कभी साथी रहे लोग या उनकी सरकार (पश्चिम बंगाल का माकपा राज) ने मरणासन्न अवस्था में भी उनकी सुधि न ली। हां, आज पोस्टमार्टम को ले जाने वाली पुलिस इसी राज की थी। आज बुद्धदेव भट्टाचार्य (मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल) की यह मुनादी पूरी हुई कि 'अब पश्चिम बंगाल में कोई नक्सली नहीं बचा।' वे सिर्फ कानू बाबू को नक्सली मानते थे। सभाओं में अक्सर कहते थे -'हम कानू बाबू को अपने साथ करना चाहते है।' वस्तुत: यह गवाही थी कि कैसे नक्सल आंदोलन के किरदारों को उनके ही पुराने साथियों (माकपा) ने दबाया, कुचला? अक्खड़ कानू दा, घोर घुटन के ऐसे कई कारणों को जीते रहे।
मैं, कुछ दिन पहले उनसे मिला था। बैठने नहीं दे रहे थे। मीडिया से बात को तैयार नहीं। किसी तरह बात शुरू हुई। थोड़ी देर बाद मेरे फोटोग्राफर का फ्लैश चमका, तो दादा फिर भड़क गए। बेहद चिढ़े हुए, पूरी व्यवस्था से। अपनों से, खुद से भी। बोले-'अब जीने का मन नहीं करता है।' मैं जब मिला था, वे बीमार थे। सामने दो अखबार। चाय की केतली। उनका बाडी लैंग्वेज यही बता रहा था कि अपना कुछ भी न हो सका; कुछ भी तो नहीं बदला! उनके घुटन के मूल में यही था। उन्होंने तमाम संदर्भो का हवाला देते हुए कहा भी था-'अब मैं सब कुछ भूल चुका हूं। क्या था, क्या हूं-सब कुछ। .. गलती से भी याद आता है, तो तड़प जाता हूं।' तड़प के कारण भी गिनाए। माओवादियों पर भड़क गए थे, उन्हे अराजकतावादी कहा था। उनके अनुसार 'माओवादी, मार्क्सवाद-लेनिनवाद के खिलाफ काम कर रहे है। हथियार तो लादेन भी उठाये हुए है। .. बंदूक के पीछे राजनीति और अनुशासन होना ही चाहिये।'
तब, यह नहीं लगा था कि दादा खुद को इस तरह खत्म करेगे। दरअसल बीमारी के बावजूद उनकी बूढ़ी हड्डियों में बेजोड़ ललक दिखी थी। उन्होंने मुकाम पाने की तकनीक भी बताई थी-'सबको एकताबद्ध कर शिक्षित करना होगा। आम आदमी को लेकर लड़ाई करना होगा। जनता को हथियारबंद करना होगा। देखना, एक दिन ऐसा होगा।'
वे इस बात से भी निराश थे कि 'अभी फैलने की बहुत गुंजाइश है मगर कोई इस लायक काम नहीं कर रहा है। .. माकपा संशोधनवादी है। और हमारे साथियों को टूटने, अलग गुट बनाने से फुर्सत नहीं है।'
खैर, दादा तो चले गये। वे जनता के 'लड़ाकों', उनके रहनुमाओं के लिए हमेशा नसीहत रहेगे। हमेशा इस बात की गवाही देते रहेगे कि कैसे और क्यों कोई आंदोलन बीच रास्ते से भटक जाता है; कितनी सहूलियत से जनता बेच दी जाती है? अभी के दौर में कानू सान्याल होना असंभव सा है। और शायद इसलिए नक्सल आंदोलन चाहे जिस भी स्वरूप को अख्तियार करे, मंजिल दूर, बहुत दूर नजर आ रही है।
एक और बड़ा संकट है-अब लखी को कौन पूछेगा? वह नक्सली आंदोलन के उद्भव के प्रमुख किरदार जंगल संथाल की बेवा है। दादा, उनका ख्याल रखते थे। वह दादा के ठीक बगल की झोपड़ी में अपनी मौत की रोज मनौती मनाती है।
मधुरेश, पटना
ग्रीन हंट के विरोध में नक्सलियों ने खोला मोर्चा
देवघर। पूर्व रेलखंड के मदनकट्टा व विद्यासागर स्टेशन के बीच नक्सलियों द्वारा आपरेशन ग्रीनहंट के विरोध में मंगलवार सुबह रेल पटरी पर बैनर लगाए जाने व उसे उड़ाने के असफल प्रयास की छानबीन में रेल व जिला पुलिस जुटी हुई है। इस घटना को अंजाम देकर इस इलाके में नक्सलियों ने अपनी उपस्थिति खुले तौर पर दर्ज करा दी है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार देवघर के सीमावर्ती जामताड़ा जिले के नारायणपुर व नाला प्रखंड इलाके में पिछले कुछ समय में नक्सली गतिविधि बढ़ी है। आपरेशन ग्रीनहंट शुरू होने के बाद से इस इलाके में अनजान चेहरों को देखा जा रहा है। रेल पटरी पर हुई घटना को भी इन्हीं नक्सलियों की करतूत बतायी जा रही है। ज्ञात हो कि इस जगह से नारायणपुर की दूरी ज्यादा दूर नहीं है। लोगों ने बताया कि घटना के बाद कुछ लोगों को नारायनपुर की ओर जाते हुए देखा गया। घटना स्थल के पूरब में देवघर जिला के करौं थाना क्षेत्र का लाला पोखर व पश्चिम में जामताड़ा जिला के करमाटांड ओपी के सहजपुर व इंदिराटांड गांव है। यह जगह सुनसान है और काफी दूर तक कोई आबादी नहीं है। गौरतलब हो कि रेल पहले से ही नक्सलियों का साफ्ट टारगेट रहा है। खुफिया तंत्र ने पहले भी इस मार्ग पर नक्सलियों द्वारा रेल पुल को उड़ाये जाने की घटना के बारे में अगाह किया था। इसके बाद से रेल पुलिस ने चौकसी बढ़ा दी थी। बाद में धीरे-धीरे चौकसी कम हो गयी और अब नक्सलियों ने खुलेआम अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। सूत्रों के अनुसार नारायणपुर व नाला इलाके में नक्सली ने अपनी गतिविधि बढ़ा दी है। बताया जाता है कि नाला का इलाका बंगाल के वीरभूम इलाके से जुड़ा हुआ है। बंगाल के इस इलाके काफी समय से नक्सली सक्रिय हैं। अब चुकिं बंगाल में आपरेशन ग्रीन हंट व्यापक पैमाने पर चलाया जा रहा है ऐसे में नक्सली नये ठिकाने की जुगाड़ में हैं। ज्ञात हो कि जामताड़ा का यह इलाका देवघर जिले के करौं, चितरा व पालोजारी थाना क्षेत्र से सटा हुआ है और ऐसे में सीमा के इस पार भी ये नक्सली कभी भी दस्तक दे सकते हैं। रेल पटरी को उड़ाने के असफल प्रयास के बारे में आरपीएफ आसनसोल डिविजन के कमंाडेंट आरएसपी सिंह का कहना है कि मामले में अहम सुराग हाथ लगे है। पुलिस मामले की छानबीन में जुट गई है। वहीं, चौकसी बढ़ा भी दी गई है।
काम कर गई नक्सलियों की नयी ट्रिक दिशा का
दुमका। घटना को अंजाम देने के बाद सुरक्षित भाग निकल लेने के लिए जो चाल नक्सलियों ने खेली, उसी के चलते नक्सली आराम से भाग निकलने में सफल रहे। घटनास्थल से बरामद हंसुआ और चप्पल किसकी थी यह अभी तक साफ नहीं हुआ है।
जानकारी के अनुसार घटना की अगली सुबह पुलिस खोजी कुत्ते के साथ उस स्थान पर पहुंची जहां राम पद गोराई ने दम तोड़ा था। चप्पल और हंसुआ सूंघने के बाद कुत्ता दक्षिण दिशा की ओर गया। इससे यही लगता है कि वारदात को अंजाम देने के बाद नक्सली इसी रास्ते से गांव से बाहर निकले। परन्तु ग्रामीणों ने पुलिस को बताया था कि घटना के बाद नक्सली उत्तर दिशा की ओर चले गये। पुलिस की माने तो दोनों बातों में भिन्नता के पीछे भी कई राज छिपे हुए है। वारदात के बाद नक्सली एक चप्पल छोड़कर क्यों भागे। जबकि जंगल में बगैर चप्पल के जाना असंभव है। पुलिस सूत्रों की माने तो जिस हथियार से पहले वार किया गया वह नक्सली का है या किसी ओर का इस दिशा में भी जांच की जा रही है। हो सकता है नक्सलियों ने पुलिस को चकमा देने के लिए जानबूझकर किसी और की चप्पल व हंसुआ का इस्तेमाल किया हो। नक्सली यह बात अच्छी तरह से जानते थे कि हत्या के बाद पुलिस उनकी तलाश में छापेमारी जरूर करेगी। इसीलिए उन्होंने पुलिस को देर तक उलझाये रखने के लिए यह विधि अपनायी हो। उनकी यह विधि काम कर गई। उन्हे भागने के लिए जितना वक्त चाहिये था वह आसानी से मिल गया।
पुलिस ने छानी जंगलों की खाक
दुमका। टोंगरा के इसमाला पथरिया गांव में राम पद गोराई की हत्या के बाद भाग निकले नक्सलियों की तलाश में बुधवार को पुलिस ने आधा दर्जन से अधिक गांव में सर्च अभियान चलाकर जंगलों की टोह ली। परन्तु पुलिस के हाथ असफलता ही लगी।
पुलिस निरीक्षक बी.एन.सिंह के नेतृत्व में चलाये गये सर्च अभियान के क्रम में पुलिस ने पलन, आसनबनी, चुआंपानी, सिंदूरडीह, बुधुडीह व अगरमला गांव में कई संदिग्ध स्थानों पर छापेमारी की लेकिन पुलिस को नक्सलियों की मौजूदगी का कोई सुराग हाथ नहीं लगा। सर्च अभियान के बाद पुलिस की टीम ने जंगलों पर चढ़ाई की लेकिन यहां भी निराशा ही हाथ लगी। पुलिस की माने तो घटना को अंजाम देने के बाद नक्सली रातों-रात प्रखंड छोड़कर निकल गये। जिसके कारण पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा।
धनबाद-गिरिडीह में नक्सलवाद फैलाया था सान्याल ने
धनबाद। 24 मई 1967 को पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी से चारू मजुमदार के साथ मिलकर नक्सली आंदोलन की शुरूआत करने वाले कानू सान्याल ने ही 70 के दशक में टुंडी, तोपचांची, पीरटांड़ इलाके में नक्सलवाद की नींव डाली थी जो देखते ही देखते पूरे झारखंड में फैल गया। करीब एक दशक से भी अधिक समय तक कानू सान्याल, चारू मजुमदार, कन्हाई चटर्जी एवं अमूल्य सेन ने इस क्षेत्र को अपना कार्य क्षेत्र बनाया था और यहां के लोगों विशेषकर आदिवासियों को नक्सली विचारधारा से जोड़ने का काम किया था।
पश्चिम बंगाल की सिद्धार्थ शंकर राय की सरकार ने वर्ष 72 में नक्सलियों के खिलाफ अभियान छेड़ा था। सरकार के बढ़ते दबाव को देखते हुए नक्सलियों के उपरोक्त शीर्ष नेता भूमिगत हो गए और बंगाल छोड़ बिहार के छोटानागपुर क्षेत्र जो अब झारखंड है को अपना कार्यक्षेत्र बनाया। गोला प्रखंड के जिलगा पहाड़ के नीचे रहने वाले जीवलाल जो आसनसोल में कार्यरत थे कानू व मजुमदार के संपर्क में आए थे। नक्सली नेताओं का पहला लक्ष्य सबसे पहले आदिवासी समुदाय को जोड़ना था। उस वक्त आदिवासी समाज के प्रतिनिधि के तौर पर टुंडी के दक्षिणी क्षेत्र के गुवाकोला के रहने वाले विधायक लखीराम सोरेन एवं पश्चिमी टुंडी के नावाटांड के रावण मांझी सरकार की ओर से मनोनीत थे। बताया जाता है कि वर्ष 72 में जीवलाल को लेकर चारो नक्सली नेता गुवाकोला पहुंचे और लखीराम को नक्सली विचारधारा से लैस करने का प्रयास किया लेकिन वे सफल नहीं हो सके। इसके बावजूद नक्सली नेताओं ने हिम्मत नहीं हारी। कई साल तक प्रयास करने के बावजूद जब वे सफल नहीं हुए तो रावण मांझी के पास पहुंचे। रावण उनके विचारधारा से काफी प्रभावित हुए। शुरूआत में वे रावण को लेकर उनके रिश्तेदारों के गांव बैगनकोचा, सिलवारीटांड़, मछियारा, कोलाहीर आदि गांव गए और आदिवासियों को गोलबंद कर संगठन खड़ा किया। कार्यकत्र्ताओं को जरूरत पड़ने पर चिकित्सा एवं धन कन्हाई चटर्जी उपलब्ध कराते थे। इसके बाद तो पीरटांड़, तोपचांची, डुमरी का क्षेत्र इनके प्रभाव में आ गया। इस क्षेत्र में संगठन खड़ा करने के लिए नक्सलियों को झामुमो से मुकाबला करना पड़ा था। इस संघर्ष में कई माओवादी एवं झामुमो कार्यकत्र्ताओं की मौत हुई थी। पीरटांड़ के जंगली क्षेत्रों में वर्ष 80 तक कानू सान्याल एवं उनके साथी कार्यकत्र्ताओं को प्रशिक्षण देने आते थे। बंगाल एवं अन्य क्षेत्र के भी लोग यहां प्रशिक्षण लेने आते थे। बताया जाता है कि हर प्रशिक्षण में कानू सान्याल नक्सलबाड़ी की आग को पूरे देश में फैलाने का लक्ष्य कार्यकत्र्ताओं को देते थे। कन्हाई चटर्जी पीरटांड़ क्षेत्र में ही मलेरिया से पीड़ित हुए थे। पश्चिमी टुंडी के पलमा में माओवादी अपने नेताओं कन्हाई चटर्जी, अमूल्य सेन, रावण मांझी आदि का शहादत दिवस 23 मार्च को मनाते थे। हाल के दो वर्षो से अब वहां शहीद दिवस नहीं मनाया जा रहा है। अब माओवादी किसी दूसरे जगह पर शहीद दिवस मनाते हैं।
उड़ीसा में नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अतिरिक्त बल
उड़ीसा में नक्सलियों ने पटरी उड़ाई
नक्सलियों ने पुलिसकर्मी की हत्या की
भुवनेश्वर ! नक्सलियों ने उड़ीसा के मलकानगिर जिले में मंगलवार को एक विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) की हत्या कर दी।पुलिस ने बताया कि सशस्त्र नक्सलियों ने जिले के मारीबेड़ा गांव में बासुदेव खिल्ला की हत्या कर दी।पुलिस के अनुसार लगभग 15 की संख्या में आए नक्सलियों ने एसपीओ पर हमला किया और उसकी हत्या कर दी। खिल्ला के साथ रहे एक अन्य व्यक्ति राम पुजारी को भी गोलियां लगी हैं। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
नक्सली मुठभेड़ में 3 जवान शहीद
पुलिस ने बताया कि दोनों तरफ से हुई गोलीबारी में एसओजी के तीन जवानों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए। चार घायल जवानों की हालत गंभीर बताई गई है, जिन्हें विशाखापत्त्चनम भेज दिया गया है। मृतकों की पहचान संजीत के. टिरके, बलराम प्रधान और दीपक सानभाय के रूप में की गई है। पुलिस के मुताबिक मुठभेड़ में माओवादियों को किसी तरह के नुकसान का अभी तक पता नहीं लगा है। पुलिस ने कहा कि गोलीबारी के बाद यहां जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूर गहन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है, ताकि भाग गए नक्सलियों को गिरफ्तार किया जा सके।
पुलिस ने कहा कि पास के मल्कानगिरी जिले में एक अन्य घटनाम में माओवादियों ने चित्रकोंडा में खनिजों के परिवहन वाली एक निजी औद्योगिकी कंपनी की पाइपलाइन के पास पंप हाउस और नियंत्रण कक्ष को उड़ा दिया। पुलिस के मुताबिक हथियारों से लैस करीब 50 सशस्त्र उग्रवादियों ने आज सुबह इलाके में धावा बोला और वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों को काबू में करके विस्फोट कर दिया। माओवादियों ने कल भी उड़ीसा में दो विस्फोट किए थे, जिसके बाद 48 घंटे के उनके बंद के दौरान मुंबई-हावड़ा रेल मार्ग पर यातायात प्रभावित रहा।
बिहार में नक्सलियों ने थाना भवन को उड़ाया
नक्सलियों ने रेल पटरी उड़ाई
बीजापुर ! नक्सलियों ने पश्चिम बंगाल में माकपा के एक नेता की हत्या भी कर दी। बिहार के गया जिले में नक्सलियों द्वारा पटरी को उड़ा दिए जाने के बाद भुवनेश्वर-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस पटरी से उतर गई। इस वजह से तीन रेलगाड़ियों को रद्द कर दिया गया जबकि 17 रेलगाड़ियों के मार्ग में परिवर्तन करना पड़ा । पुलिस के अनुसार भुवनेश्वर-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस के आठ डिब्बे परैया और काष्टा रेलवे स्टेशनों के बीच सोमवार रात पटरी से उतर गए।
छत्तीसगढ़ सहित आठ राज्यों में नक्सलियों के 22 एवं 23 मार्च के बंद से बीजापुर के अन्दरूनी क्षेत्र- बासागुड़ा उसूर, फरसेगढ़, भोपालपटनम्, इलमिड़ी एवं गंगालूर मार्ग में आवाजाही काफी प्रभावित हुई। मद्देड़ से तारलागुड़ा होते वेंकटापुरम व महाराष्ट्र का सम्पर्क बंद की चपेट में रहा। नक्सलियों के शीर्ष नेता की हत्या एवं आपरेशन के बंद संबंधी बैनर-पोस्टर सड़क मार्गों में अनेक स्थान पर लगाए गए हैं। बीजापुर-आवापल्ली के बीच नुकनपाल पुल एवं दुंगईगुड़ा के पास सड़क खोद कर मार्ग अवरोध किया गया, जिससे बासागुड़ा-उसूर की यात्री बसें वहीं खड़ी रही। रेलवे महानिरीक्षक एस. के. भारद्वाज ने बताया कि इंजन सहित आठ डिब्बे पटरी से उतर गए। नक्सलियों द्वारा लगभग चार मीटर तक पटरी उड़ाने की वजह से यह हादसा हुआ। रेलवे कर्मचारी मरम्मत कार्यो में जुटे हुए हैं। चिकित्साकर्मियों और इंजीनियरों का एक दल घटना स्थल पर पहुंच चुका है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि तीन रेलगाड़ियों पटना-रांची जनशताब्दी, गया-डेहरी ओन सोन और पटना डेहरी ओन सोन को रद्द कर दिया गया है। 17 रेलगाड़ियों के मार्गो में बदलाव किया गया है।
उधर, पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मिदनापुर जिले के कुलडीहा गांव में नक्सलियों ने माकपा के स्थानीय नेता हेमंत प्रधान की हत्या कर दी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक प्रधान का सोमवार रात लगभग 15 सशस्त्र नक्सलियों ने अपहरण कर लिया था। मंगलवार को उनका शव मिला। राय में नक्सलियों ने गिधनी और खाटकूड़ा स्टेशनों के बीच बारूदी सुंरग से रेल की पटरियों को उड़ा दिया।
रेलवे की संपत्ति को इससे भारी नुकसान पहुंचा है। दक्षिण पूर्व रेलवे के एक प्रवक्ता ने बताया कि इससे कई रेलगाड़ियों की आवाजाही प्रभावित हुई है। कुछ रेलगाड़ियों का मार्ग परिवर्तित कर दिया गया है। उड़ीसा के सुंदरगढ़ जिले में सोमवार देर रात नक्सलियों ने एक पटरी को विस्फोटक लगाकर उड़ा दिया। इस वजह से एक मालगाड़ी पटरी से उतर गई। एक अधिकारी के अनुसार नक्सलियों ने बिशरा रेलवे स्टेशन के निकट पटरी उड़ाई। इससे हावड़ा-मुंबई रेलमार्ग प्रभावित हुआ है। रेलवे कर्मचारी मरम्मत कार्य में जुटे हुए हैं। मालगाड़ी के तीन डिब्बे क्षतिग्रस्त हो गए। वरिष्ठ मंडलीय वाणियिक प्रबंधक वी. के. श्रीवास्तव ने बताया, च्चनक्सलियों ने सोमवार देर रात लगभग 1.30 बजे इस घटना को अंजाम दिया। इस घटना के कारण एक मालगाड़ी के पांच डिब्बे पटरी से उतर गए। घटना के बाद कई लंबी दूरी की रेलगाड़ियां विभिन्न स्टेशनों पर खड़ी रहीं। तीन एक्सप्रेस रेलगाड़ियों को रद्द कर दिया गया और कई रेलगाड़ियों के मार्ग में परिवर्तन भी किया गया है। उल्लेखनीय है कि नक्सलियों ने बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश सहित महाराष्ट्र के कुछ जिलों में दो दिवसीय बंद का आह्वान किया है।