Tuesday, August 17, 2010

किशनजी ने दिया संघर्ष विराम और शांति प्रकिया का सुझाव


कोलकाता । राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर माओवादियों को हिंसा छोड़ने और बातचीत के लिए आगे आने का संदेश देने के बाद शीर्ष माओवादी नेता किशनजी ने मंगलवार को दोनों पक्षों की ओर से तीन महीने के संघर्ष विराम का और शांति प्रक्रिया के लिए बातचीत का सुझाव दिया।

किशनजी ने एक अज्ञात स्थान से बताया कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधनों में माओवादियों से हिंसा छोड़ने की अपील की है। हम कभी हिंसा के पक्ष में नहीं रहे बल्कि सरकार ने हमें हथियार उठाने के लिए उकसाया है।

किशनजी ने कहा कि जब हमारे कामरेड आजाद बातचीत के लिए आधार तैयार कर रहे थे तो उन्हें धोखेबाजी से मार दिया गया, इसलिए सरकार की गतिविधियों से यह बहुत स्पष्ट है कि वे बिल्कुल शांति नहीं चाहते। माओवादी नेता ने दावा किया कि प्रधानमंत्री कार्यालय से कुछ खबरें आई हैं कि ममता बनर्जी को मध्यस्थ के तौर पर काम करने के लिए कहा गया है। यदि वह तैयार हो जाती हैं तो हमें कोई समस्या नहीं है।

किशनजी ने कुछ मध्यस्थों के नाम भी सुझाए। जिनमें लेखिका अरुंधति राय, गायक और तणमूल कांग्रेस सांसद कबीर सुमन, बीडी शर्मा, गोपाल नारलेकर और रमन्ना आदि नाम हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन हम तब तक एकपक्षीय तरीके से संघर्षविराम घोषित नहीं करेंगे जब तक कि सरकार की तरफ से कुछ सकारात्मक कदम नहीं उठाए जाएं।

किशनजी ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री देश के समस्याग्रस्त इलाकों में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करना चाहते हैं तो उन्हें संयुक्त बलों को वापस लेने का और आजाद की हत्या के मामले में न्यायिक जांच का आदेश देना होगा। किशनजी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में आतंकवाद और भ्रष्टाचार से लड़ने का संकल्प लिया था।

उन्होंने कहा कि हम हमेशा आतंकवाद और किसी भी तरह के भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं। भ्रष्टाचार से लड़ना हमारी पार्टी का विचार रहा है और इसलिए हम पूरे देश में लोगों को तैयार कर रहे हैं कि वे उनके साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं। पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और झारखंड में सूखे का जिक्र करते हुए किशनजी ने कहा कि हम सरकार से अपील करते हैं कि इन राज्यों के प्रत्येक सूखा प्रभावित जिले के लिए 50 करोड़ रुपये को मंजूरी दें।

उन्होंने यह मांग भी की कि पुलिस बल के आधुनिकीकरण के लिए स्वीकृत आठ हजार करोड़ रुपये और नक्सल रोधी अभियान पर हर दिन खर्च किए जा रहे 60 लाख रुपये का इस्तेमाल देश के कम विकसित जिलों में रोजगार और आय बढ़ाने की योजनाओं में किया जाए।

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